Bhabhi Ki Film Dikha Kar Choda

Kunsinraj 2017-12-01 Comments

भाभी एकदम से चौंक गयीं और अपना हाथ पीछे खींच लिया। लेकिन बोली अभी भी कुछ नही। मैं भी डर गया था। अपनी कोहनी भी भाभी के चूची से हटा लिया । लेकिन बैठे अभी भी हम दोनों चिपक कर थे। मेरे मन मे चल रहा था कि आज तो चुत मिलेगी। हम ऐसे ही बैठ कर 5 मिनट तक फ़िल्म देखते रहे । मैं सोच रहा था कि फिर से एक बार कोशिश करता हूँ, शायद इस बार बात बन जाये।

तभी आचानक से भाभी ने बोला अमित मुझे नींद आ रही है , पूरी फिल्म कल देखेंगें। मुझे बहुत गुस्सा आया मन कर रहा था भाभी का गला दबा दू, लेकिन मैं क्या कर सकता था । मैंने बोला ठीक है भाभी और लैपटॉप लेकर अपने रूम में चला गया ।

अभी बस 5 मिनट ही हुए थे तभी बाहर से भाभी की आवाज़ आई। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।

भाभी- अमित आप सो गए क्या?

मैं- नही भाभी , क्या हुआ?

भाभी- दरवाजा खोलो।

मुझे कुछ समझ मे नही आ रहा था। फिर भी मैंने दरवाजा खोला और भाभी से पूछा क्या हुआ? भाभी बोली कि उन्हें हॉरर फ़िल्म देखने के बाद डर लग रहा है अकेले सोने में ,आज तुम भी मेरे कमरे सो सकते हो क्या ?

ये सुन कर मैं ख़ुशी से पागल हो रहा था लेकिन अपनी खुशी को अंदर ही छुपाते हुए मैन बोला हां भाभी मुझे भी अकेले सोने में डर लग रहा था।फिर हम भाभी के कमरे में आगए। अभी फिर से भाभी बीच मे और एक किनारे मैं दूसरे किनारे बच्ची सो रही थी। कंबल भी एक ही था बड़ा सा। कुछ देर बात करने के बाद मुझे लगा भाभी सो गई।

लेकिन मेरी आँखों से नींद ग़ायब थी। एक बार मैंने धीरे से आवाज़ दिया लेकिन भाभी ने कुछ नही बोला।अब मेरे दिमाग मे फिर से गंदे ख्याल आने लगे।

कुछ देर बाद मै भाभी की तरफ़ हल्का हल्का खिसकने लगा और उनके बिल्कुल क़रीब पहुँच गया। ऐसा करके मै भाभी के शरीर से एक दम चिपक गया था ।

लेकिन अभी भी भाभी के शरीर मे कोई हलचल नही हुई। भाभी की पीठ बिल्कुल मेरे सीने से चिपकी हुई थी , उनकी कमर मेरे कमर से और मेरा लंड पूरे उफ़ान पर था। मेरा लंड भाभी के चूतड़ से पूरी तरह से सटा हुआ था।

फिर मैंने अपना एक हाथ भाभी के नंगे पेट पर धीरे से रखा। और अपनी उंगलियों से उनके नाभी के चारो तरफ धीरे धीरे घुमाने लगा। भाभी की साँसे हल्की हल्की तेज हो रही थी। इससे मेरी हिम्मत थोडी बड़ सी गयी लेकिन डर भी लग रहा था।

फिर भी मैं अपने हाथ को वही रखा और अपना चेहरा उनकी गर्दन के बिल्कुल नज़दीक कर दिया जिस से मेरे होंठ भाभी के गर्दन को हल्के हल्के छूने लगे।

धीरे -धीरे मैन अपना हाथ नाभि से हटा कर भाभी की चूची की तरफ करने लगा। हल्के से मैं उनकी दाहिनीं चूची को छुआ। भाभी की साँसे अब बहुत तेज हो गई थी । जिस से मुझे पता चल गया कि भाभी जाग रही हैं और मज़े भी ले रही हैं।

अब मैं अपने होठों से उनकी गर्दन को चूमने लगा और एक हाथ से उनकी चूची को भी मज़े से दबाने लगा। भाभी अब धीरे धीरे आवाज़े निकाल रही थी । अब मैं उनकी ब्लाउज़ उतारने लगा उन्होंने इसका ज़रा सा भी विरोध नही किया। भाभी ने अंदर ब्रा नही पहना था। धीरे धीरे मै उनकी नंगी चूचियो को मसल रहा था और पीछे से उनहे चुम रहा था।

भाभी के कान में मैं धीरे से बोला – मज़ा आ रहा है। उन्होंने बोला कुछ नही लेकिन तुरन्त मेरी तरफ़ करवट लिया और मेरे होंठ चूसने लगी। मैं तो एकदम से पागल हो गया , मुझे विश्वास ही नही हो रहा था। फिर मैं भी उनका साथ देने लगा और उनके होठों के रस कम से कम दस मिनट तक चूसा। फिर उनकी गर्दन को मैने चूमा। पूरे समय भाभी के मुँह से मादक आवाज़े निकलती रही।

एक एक कर के उनकी चूचियो को काभी देर तक मैंने चूसा फिर नाभि । अब मैने अपना टीशर्ट और पैंट उतार दिया। मेरा लंड अब बिल्कुल आज़ाद था। । मैं भाभी की साड़ी और पेटिकोट भी उतारने लगा , वो भी मेरा मदद कर रही थी। मै उठा और नाईट बल्ब जला दिया।

अब हम दोनो देवर भाभी बिल्कुल नंगे थे। भाभी बहुत सुंदर और कामुक दिख रही थी , उनके चुत पर थोडे बाल भी थे। भाभी मेरे खड़े लंड को बहुत प्यार से निहार रही थी , हालांकि वो थोड़ा शरमा भी रही थी।

मैं उनका एक हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया, वो धीरे धीरे अपना हाथ आगे पीछे करने लगी। मै भी उनके होंठ चूसने लगा और एक हाथ से भाभी के चुत सहला रहा था। मैंने भाभी को बोला मेरा लंड चूसने को लेकिन उन्होंने माना कर दिया बोला उन्हें नही पसंद चूसना। मैंने भी ज़्यादा ज़ोर नही डाला।

अब मैं उनके जांघो के बीच आ गया था। एक उंगली भाभी की चूत में पहले मैंने डाला ,चूत बहुत गीली थी । कुछ देर बाद मैं उनकी चुत को चाटने लगा। भाभी मेरे बालो को पकड़ के दबा रही थी मुझे। भाभी पूरी जोश में आ गयी।

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