Badi Mushkil Se Biwi Ko Teyar Kiya – Part 16
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पर मैंने अपनी पीड़ा को उजागर नहीं होने दिया। मैंने सोचा की शायद उससे अनिल के आनंद में बाधा पहुंचेगी। और मुझे उस पीड़ा में भी आनंद का अनुभव हो रहा था। मुझे चुप देख कर अनिल ने उसका लन्ड मेरी चूत में थोड़ा और घुसेड़ा। अब मेरा दर्द मेरी सहनशीलता की सीमा पर पहुँच गया था। मैं फिर भी अपने होठों को भींच कर चुप रही। जब अनिल ने एक और धक्का दे कर उसके लन्ड को करीब आधे से ज्यादा मेरी योनि में घुसेड़ दिया तब मैं दर्द से कराह उठी। अनिल के लन्ड ने मेरी योनि की गहराई में पहुंचकर मेरे यौन पटल को फाड़ डाला था। अचानक मेरी योनि में से खून बहने लगा।
मेरी योनि में से खून बहता देख मैं एकदम घबरा गयी। मैं अनिल से कहने लगी, “अनिल यह क्या हो गया? यह खून कैसे निकल रहा है?”
अनिल ने झुक कर मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिए और मुझे ढाढस देते हुए बोला, “डार्लिंग चिंता की कोई बात नहीं है। हर कुँवारी कन्या, जिसने पहले अपनी योनि में किसी पुरुष का लन्ड नहीं लिया हो उसका कौमार्य पटल पहली बार चुदाई मैं फट सकता है। यह खून थड़ी देर में रुक जायगा। आज मैंने तुम्हारा कौमार्य भंग किया है। यह उसका सबूत है।”
अनिल ने शायद कई कुँवारी कन्याओं का कौमार्य भंग किया होगा। पर मैं उस समय यह सब सोचने की हालात में नहीं थी। मेरी चूत में अनिल का इतना मोटा लन्ड घुसा हुआ था और अनिल उसे और अंदर घुसेड़ने ने की पैरवी में था। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..
मेरा सारा ध्यान उस समय मेरे योनि मार्ग में घुसे हुए अनिल के लन्ड पर केंद्रित था। मेरे कौमार्य पटल फट जानेसे और अनिल का इतना मोटा लन्ड घुसेड़ने से मुझे काफी दर्द अनुभव हो रहा था। पर पता नहीं क्यों, वह दर्द भी मुझे अद्भुत रोमांच पैदा करने वाला और सुमधुर लग रहा था। जब अनिल ने अपना लन्ड और अंदर घुसेड़ा तब मेरी सहनशीलता जवाब दे गयी और मैं जोर से चिल्ला उठी , “अनिल, बस करो, बहुत दर्द हो रहा है। मैं मर जाउंगी।” अनिल ने तब रुक कर अपना लन्ड थोड़ा वापस खींचा और मुझे थोड़ी राहत महसूस हुई। पर मुझे वह दर्द अच्छा लगने लगा था। मैं उस दर्द को बार बार अनुभव करना चाहती थी। मैंने इशारे से अनिल को उसका लन्ड अंदर डालने के लिए प्रेरित किया।
तब क्या था। अनिल ने धीरे से पर पूरी ताकत के साथ एक धक्का देकर मेरे योनि मार्ग में उसका लन्ड पूरा घुसेड़ ही दिया। मैं दर्द से कराहने लगी। पर मैंने अनिल को उसका लन्ड वापस खींचने के लिए नहीं कहा। अब मुझे उसका लन्ड मेरी चूत में चाहिए था। दर्द के बावजूद, मैं उसके लन्ड को बार बार मेरी चूत में डलवाना चाहती थी। मैंने अपनी कमर ऊपर की और धकेल कर बिना बोले अनिल को इशारा दिया की वह मुझे चोदना शुरू करे। अनिल ने धीरे धीरे अपना लन्ड मेरी चूत में घुसेड़ना और वापस खींचना फिर और घुसेड़ना और फिर वापस खीचना शुरू कर दिया। वह धीरे धीरे मुझे चोदने लगा।
तब पहली बार मुझे समझ में आया की चोदना किसे कहते हैं। मैं तबअनिल से वैसे चुदवाने लगी जैसे पहले कई बार चुदवाने की अनुभवी थी। मैं अपनी कमर ऊपर उठाकर अनिल के हर एक धक्के को मेरे नितम्ब के उछाल से जवाब देने लगी। जमीन पर हरी घांस पर लेटनेके कारण मेरे नंगे चूतड़ पर हरी घांस के निशान हो गए थे और कभी एकाध कंकड़ भी चुभ रहा था और थोड़ा दर्द दे रहा था। पर मैं उन सब से जैसे ऊपर उठ चुकी थी।
जैसे मुझे कोई दर्द था ही नहीं ऐसे मैं अनिल की चुदाई के आनंद में पूरी तरह से डूब चुकी थी। उसके कड़े मोटे लन्ड का हर धक्का मुझे अद्भुत आनंद और रोमांच का अनुभव करा रहा था। मर्द से चुदवाने में इतना आनंद आ सकता था यह मैं कतई नहीं जानती थी। उस समय जो अवर्णनीय आनंद का में अनुभव कर रही थी वह मैं ही जानती थी।
मैंने मेरे प्रियतम अनिल की और देखा। मुझे चोदते हुए उसके कपोल में उसकी भौएं सिकुड़ जाती थी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मुझे चोदते हुए उसे जो आनंद आ रहा था वह मेरे आनंद से कहीं ज्यादा ही होगा। उसके चेहरे पर एक अजीब सा उन्माद नजर आ रहा था। उस समय जैसे मुझे चोदने के अलावा वह और कुछ नहीं सोच रहा था। उसने मेरी और देखा। हमारी नजरें मिली। वह मुस्कुराया। मैंने शर्म से मेरी आँखें मूंद ली। उस समय अनिल ने मेरे चूचियों को सहलाते हुए, मुझे चोदने की प्रक्रिया चालु रखते हुए मुझसे पूछा, “क्या तुम मुझसे हर रोज चुदना चाहोगी? क्या तुम मेरी बीबी बनना पसंद करोगी? क्या तुम मुझसे शादी करोगी?”
मैंने कभी यह नहीं सोचा था की मेरा होने वाला पति इस परिस्थिति में मुझसे शादी करने के लिए प्रोपोज़ करेगा।
मुझे तो हाँ कहनी ही थी। मैंने उसी समय बिना कुछ सोचे समझे तय कर लिया की मैं अनिल से शादी जरूर करुँगी। मैंने अनिल की और देखा और बिना झिझक बोल उठी, “हाँ मैं तुमसे हर रोज चुदना चाहती हूँ। मैं तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ। मैं तुम्हारे बच्चों की माँ बनना चाहती हूँ। मैं तुमसे शादी करना चाहती हूँ। ”
कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार निचे कोममेंट सेक्शन में जरुर लिखे.. ताकि देसी कहानी पर कहानियों का ये दोर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।
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