Anubhavi Raat
पर से मेरा कंट्रोल ख़तम हो चुका था अब चूत अपना काम अपने आप कर रही थी मेरे मुंहसे अपने आप इ, इसस्सश इससश निकलने लगी, इससे ज़्यादा ना मैं कुछ बोली ना ही वो कुछ बोला पर वो अपना काम बड़ी ज़िम्मेदारी से निभा रहा था, एकाएक मुझे अपनी चूत मैं कंपकपि होने लगी, मेरी टांग भी काँपने लगी और गांड ज़ोर ज़ोर से झटके से उपर नीचे होने लगी, लेकिन उस पर कहाँ असर होने वाला था, वो और लंबी लंबी जीभ चूत के उपर नीचे करने लगा, मुझसे मज़ा कंट्रोल नही हो पाया और मैने सी सी करके दो चार करारे करारे झटके देकर अपनी चूत का चूतरस उसके मुंह पर उडेल दिया, जिसे उसने पूरी ज़िम्मेदारी के साथ गटक लिया, ऐसा लगा जैसे मेरे शरीर की सारी जान उस चूत के अंदर से निकल कर उसके मुंह मैं चली गयी हो, पर वो कामभक्त अभी भी चूत छोड़ने के मूड मैं नही था ! मैं लगातार झड़ रही थी की अचानक उसने अपनी एक उंगली मेरी कुँवारी बुर मैं डाल दी, और मुंह से चूत आम की तरह चूसने लगा, उंगली डालते ही बुर ने ढेर सारा पानी उसके मुंह पर फिर से छोड़ दिया.
उहह………..उहह………उः………..उहह इईईईईईए सीईईईईईए इश्ह्ह्हह्ह्ह्ह मत करो ना मैं दबी हुई आवाज़ मैं बोली.
कुछ नही होगा, तुम चुप चाप ऐसे ही लेटी रहो, वो भी दबे हुए लफ़ज़ो मैं बोला.
इईईईईईए ईए इश्ह्ह्ह नहीं, मैने शरम दिखाते हुए कहा,
“ मज़ा आ रहा है ना” वो फुसफुसाते हुए बोला
इश्ह्ह्ह इश्ह्ह्हह मैने कुछ ना कहते हुए मुंडी हिला दी,
फिर चुप चाप लेटी रहो, उसका अगला आदेश था
वो उंगली अंदर गोल गोल घुमाने लगा, अब तो मेरा वो हाल था की मेरी जान हलक मैं अटकी हुई थी और मज़ा अपने चरम पर था मन कर रहा था की उसे कहु भोसड़ी वाले और कितना चुसेगा मादरचोद अब डाल भी दे अपना लंड मेरी चूत के तहख़ाने मैं, बुर भट्टी बनी पड़ी है और तू साला और तडपा रहा है, पर मैं शर्म के मारे कुछ ना कह सकी और चुपचाप लेती रही उसने उंगली की रफ़्तार तेज़ करदी , अचानक मेरी चूत की भी कंट्रोलिंग पावर जवाब दे गयी , मेरी चूत का ज्वालामुखी फिर से फट पड़ा और चूत की कंपकपि चूत से निकलकर सारे शरीर मैं फैल गयी, मेरी चूत के दरवाज़े तेज़ी से खुलने और बंद होने लगे , गांड से खुशी की लहर पूरे शरीर मैं फैल गयी और मैं सातवे आसमान के चक्कर काटने लगी, आँखे झप झपाने लगी, दिल डूबने लगा फिर मचलने लगा…..
आःह्ह्ह….. उह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह….. आः उह्ह्ह्हह्ह्हह्ह.
इईईईईईए सीईईईईईए इश्ह्ह्हह्ह्ह्ह इश्ह्ह्ह इश्ह्ह्हह
अब उसने पेंट खोल कर अपने लंड को आज़ाद कर दिया, लंड देख कर मुझे डर लग गया
इश्ह्ह्हह “मुझे डर लग रहा है” मैंने उसे धीरे से कहा,
अभी डर दूर किये देते हैं मेरी जान, अब वो खुल कर मैदान मैं डट चुका था
उसने लंड के सुपाडे को मेरी चूत के मुहाने पर रख दिया और उसे वही पर रगड़ने लगा मैं फिर तड़पने लगी
इश्ह्ह्हह्ह्ह्ह इश्ह्ह्ह इश्ह्ह्हह मत करो न ऐसा, मैंने धीमे से कहा
ठीक है फिर थोडा सा दर्द होगा मेरी जान तुम डरना मत
इश्ह्ह्ह इश्ह्ह्हह इश्ह्ह्ह इश्ह्ह्हह “जो करना है जल्दी करो ना मुझे नींद आ रही है” मैं बहाना बनाते हुए बोली
उसने अपने लंड को मेरी गीली चूत के ऊपर हल्का सा धक्का दिया सुपाडा अन्दर घुस गया,
आऐईईईई मैं चीखने वाली थी की उसने मुह पर हाथ रख पर अपना लंड पूरा अन्दर ठेल दिया और मेरी चीख अन्दर ही घुट कर रह गयी
अब वो दनादन लोडे को चूत के अन्दर घिस रहा था और मेरी आँखों से आसूं आ रहे थे, मेरी चूत से खून निकल रहा था और मुझे दर्द हो रहा था
आई आईईइ… ऐईईईईइ… आआईईईईई…. आआईईईईईईई…. मेरे मुंह से निकल रही थी और वो हूँ हूँ हूँ हूँ करके चोदे जा रहा था आऐईईईई… हूँ… आआ…औईई… हूँ…… की हल्की आवाज़ से पूरा कमरा भर गया था.
थोड़ी देर बाद जब मेरी चूत का दर्द मीठे दर्द मैं तब्दील हो गया तब मैं भी उसका साथ देने लगी और उछल उछल कर चुदवाने लगी, अब मुझे भी गजब का आनंद आने लग गया था, मैं मन ही मन खुश थी की आखिर मैंने चुदवाने का राज जान लिया था, चूत मरवाने मैं कितना मजा आता है इसका मुझे भान हो गया था
कमरे में फच फच की आवाज़ आने लगी….
हूँ फच फच हूँ फच फच हूँ …. और जोर से करो ना मैं उससे साड़ी शर्म उतारकर बोली
उसको क्या चाहिए था, पूरी ताक़त से लंड को मेरी चूत की गहराई मैं उतार दिया, और चुदाई की स्पीड बढ़ा दी, मैं फिर से सातवे आसमान मैं पहुँच गयी और स्वर्ग का आनंद लेने लगी, मन किया की आज सारी रात ये मुझे चोदता रहे तो कितना अच्छा हो, उस रात उसने मुझे कम से कम दस बार झाडा, और खुद तीन चार बार झडा,हर बार झड़ने से पहले वो लंड बहार निकाल लेता था और मेरे मुंह में डाल देता था जिसका रस में प्यार से चूस लेती थी |
थोड़ी देर हम लेटे रहे फिर वो चला गया और सुबह जल्दी उठकर में वापस अपने घर आ गयी |
तो दोस्तों ये थी मेरी सच्ची दास्ताँ |
आपको कैसे लगी ?
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