Ek Raat Ki Dulhan

Deep punjabi 2016-07-25 Comments

मैंने भाभी को गले लगाकर चुप होने को कहा, हाँ भाभी अजय ठीक हो जायेगा बहुत जल्दी और हम घर भी चलेगे, और झूठ बोलना पडा के आप बैठो मैं दवाई लेकर आता हूँ क्योंके मुझे खून का प्रबन्ध करने जाना था। उसे पानी पिलाकर बाहर पड़े बेंच पर बिठाकर अंदर डॉक्टर के पास दुबारा जाकर बोला,”आप मेरा खून ले लिए पॉज़टिव बी ग्रुप का है पर हमारे बेटे की जान बचा लीजिये।

डॉक्टर ने कहा,” बहुत ख़ुशी की बात है, यही ही मिल गया खून वरना बहुत जगह पता करना पड़ता और जलद ही नर्स हो आवाज़ लगाई और कागज़ी करवाई और टेस्ट्स करने को बोला।
करीब एक घण्टे बाद मेरा खून निकाल कर अजय को चढ़ाया गया।

थोड़ी देर बाद अजय को होश आया और उसने आँखे खोली और मम्मी मम्मी कह कर रोने लगा। उसके रोने की आवाज़ सुनकर भाभी बाहर से भागी अंदर आई और देखा एक बेड पे मैं और दूजे पे अजय को लिटाया गया है, थोडा घबरा गयी और डॉकटर से बोली, “अब इनको क्या हुआ डॉक्टर साब इनको क्यों लिटाया गया है।

डॉक्टर बोला,” घबराइये नही आपके पति का खून मैच हो गया बच्चे के खून से। अब बच्चा खतरे से बाहर है। दोपहर के बाद इसे आप घर लेकर जा सकते है। डॉक्टर की बात सुनकर भाभी ख़ुशी के आंसू बहाने लगी और हाथ जोड़कर मेरा मन में ही धन्यवाद करने लगी। मैंने इशारे से ही उसका धन्यवाद कबूल किया और बेटे से मिलकर वह बाहर जाकर बैठ गयी। तकरीबन 2 घण्टे बाद जब मुझे डॉक्टर ने फ्री किया और कहा अब आप घर जाकर आराम करो, तुम्हे आराम की सख्त जरूरत है ।

मैंने बोला,” डॉकटर साब मेरे परिवार को भी छुटी दे दो, हम घर जाना चाहते है।

डॉक्टर ने हमारी मज़बूरी समझते हुए हमे जाने की अनुमति दे दी।

मैंने हस्पताल की फीस दी और हम कार से ही घर की तरफ रवाना हो गए, तब तक गहरा अँधेरा छा गया था।

रास्ते में भाभी बोली,”इतनी रात को हम कहा जायेगे दीप, सभी लोग शादी में व्यस्त होंगे कौन सम्भालेगा हमे, और हमारा अपना घर भी बहुत दूर है यहाँ से अब क्या होगा? इतना पता होता मैं आती ही न शादी में, इसके पापा भी तो घर पे नही है काम के सिलसिले से बाहर गए है। अब क्या करुँगी मैं अकेली और रो रही थी।

मैंने कहा,”भाभी जी सब्र रखो, आपको रहने के लिए घर भी मिलेगा और पूरी देखभाल भी। आपको जहां मैं लेकर जा रहा हूँ, वहां आपको कोई परेशानी नही होगी।

उसने आंसुओ से सनी आंखो से मेरे चेहरे की तरफ देखा के शायद मज़ाक कर रहा हूँ, । मैने उन्हें विशवाश दिलाया के घबराओ न मैं आपके साथ हूँ। इतने में रास्ते में एक ढाबा आया। मैंने उत्तर कर वहां से खाना और दूध पैक करवाया और घर आ गया। कार को अपने घर में ही पार्क करे, उनको लेकर अपने रूम में आ गया। कमरे अंदर आकर उसने पूछा,” ये कहा आ गए हम दीप और ये
किसका घर है यहाँ ?

तो मैंने कहा,” घबराइये नही भाभी अपना ही घर समझो इसे।

यहाँ मैं किराये पे रहता हूँ और पढ़ाई करता हूँ। आओ हाथ मुँह धोकर खाना खालो और बच्चेे को दवाई और दूध दे दो।

मेरी बात सुनकर मेरे गले लगकर रोने लगी और बोली, तुम्हारा यह ऐहसान कैसे चुकॉउगी दीप ?

तुमने अजनबी होकर मेरे लिए इतना किया शायद कोई अपना भी न करता और जिनके घर महमान बनकर आई थी उन्होंने बात तक नही पूछी।

आपने मेरे बेटे को एडमिट करवाया, अपना खून दिया, दवाई और खाने का खर्चा उठाया, और अब रहने को छत भी दी है।

मैंने उनको गले से अलग करके बोला

ये सब सिर्फ इंसानियत के नाते किया है और पूरी शादी में सिर्फ आपको ही जानता था सो मुझसे रहा नही गया मदद किये बिना।

अब चुप हो जाओ।

आज रात हम लेट कर खूब बाते करेंगे फिलहाल खाना खालो, उसने खाना परोसा और खुद भी खाया और मुझे और अपने बेटे को भी खिलाया और दवाई देकर अजय को लिटा दिया। दवाई के असर से अजय गहरी नींद में चला गया।

सर्दी की रात थी और कमरे में एक ही बड़ा बेड था, मैंने उन्हें ऊपर उसके बेटे के साथ सोने का आग्रह किया और खुद निचे फर्श पे बिस्तर डाल कर सोने की तयारी करने लगा। क्योंके उस वक़्त मेरे दिल में उनके लिये कोई भी गलत विचार नही था।

उसे जब पता चला खुद निचे सो रहा हूँ तो बोली,” अब और कितने एहसानो के निचे दबाओगे आप मुझे, पहले क्या कम किये है। हम अड्जस्ट कर लेंगे आप ऊपर आ जाओ नही तो सर्दी लग जायेगी आपको। जो हमसे बर्दाश्त नही होगा। बेटे को एक साइड पे सुलाकर बीच में खुद और दुसरी साइड मैं लेट गया। वो अपने कम्बल में अपने बेटे के साथ लेटी थी और मैं अकेला, उसकी अपने बेटे की तरफ पीठ थी और मेरी तरफ मुँह तो बाते करते करते मैंने पूछा, “एक बात समझ नही आई भाभी के आपने चुप क्यों करवाया मुझे जब डॉक्टर ने पूछा था इसके पेरेंट्स आप हो ?

वो बोली, “पहले तो अब मैं आपकी भाभी नहीं हूँ, नाम लेकर बुला सकते हो अमृता और दूसरी बात एक पिता ही अपनी औलाद की खातिर इतना कर सकता है, जितना आज आपने सुबह से शाम तक किया, सिर्फ बच्चा पैदा करने से बाप नही बन जाता कोई, बच्चे की हर एक जरूरत का ख्याल, बीमारी में दवाई आदि का ख्याल करना भी पिता के हिस्से आती है,

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