Ek Raat Ki Dulhan

Deep punjabi 2016-07-25 Comments

मैं — नही भाभी ऐसा नही बोलते भाई साब की कोई मजबूरी रही होगी के आ न सके, वरना किसका दिल करता है अपनी औलाद को तड़पता देखे ।

अमृता — नही दीप, वो बात अलग है के पता न चले कोई बात, पर पता चलते तो उनको आना चाहिए था न। आने का छोडो दुबारा फोन करके जानना जरूरी भी नही समझा के हम किस हाल में है, पैसा धेला पास है भी या नही। एक ही तो बेटा है हमारा, अगर आज उसपे संकट है खुद पिता साथ नही होगा तो कौन देगा । हर बार आप जैसे लोग मौके पे थोड़ी न मिलते है। आप न वह होते शयद पता नही क्या होता और आपने दोनों काम किये है पिता वाले इसे खून देकर नया जन्म भी दिया और इसकी देखभाल भी की है। इस हिसाब से मैं इसकी माँ और आप पापा हुए न। आज आपकी दीवानी हो गयी हूँ मैं ।

(उसकी बात मैं सुनके असमन्जस में पड गया)

सो अजय के पापा आई लव यू सो मच, और उसने मेरे होंठों पे ही लेटे लेटे एक किस कर दी। जिस से मेरी थोड़ी बहुत रहती शर्म भी निकल गयी और मैंने भी किस का रप्लाई किस में दिया।
वो बोली,” देखो दीप मैं आपके इस एहसान का बदला पैसे से तो नही उतार सकती, हाँ आज की रात के लिए आपकी पत्नी बनके आपको शरीरक सुख जरूर दे सकती हूँ।

वो मेरे बालो में ऊँगली घुमा रही थी जिस से एक असीम मज़ा आ रहा था। उसके कोमल बदन का स्पर्श पाते ही मेरा काम देव जाग गया। उसका गर्म गर्म बदन एक अलग ही मजा दे रहा था । जब उसपे काम ज्यादा ही हावी हो गया फेर बोली,” यह समय सोचने का नही है अजय के पापा कर लो अपनी हसरते पूरी, बनालो मुझे अपनी सदा के लिए !

मैं मर रही हूँ तुम्हारा साथ पाने के लिये। आज बहुत समय है हमारे पास कल को क्या पता क्या होना है जो समय पास है खूब मज़े लेलो इसके, और बैसे भी किसी शायर ने भी कहा है
आने वाला पल, जाने वाला है हो सके तो इसमें ज़िन्दगी बितालो कल को ये जाने वाला है,,,, हो हो इतना कुछ रुलाई वाली एक ही लडखडाती हुई साँस में बोल गई । ऐसा पहली बार महसूस किया मेने के कोई स्त्री मुझपे इतना मेहरबान हो रही है। पता नही इतना वैराग मेरे लिए उसे कहाँ से आ रहा था?

वो मेरी छाती से कम्बल उतार कर कमीज़ के बटन खोलने लगी, मैं चुप चाप उसकी बाते सुनता जा रहा था और उसे सहला भी रहा था। सभी बटन खोलकर उसने मुझे बैठ जाने को बोला, मै एक आज्ञाकारी बच्चे की तरह उसकी हर बात मानता चला गया।

उसने मेरी कमीज़ उतार कर बेड पे ही फेंक दी और छाती के बालो में हाथ फेरते हुए होंठो पे किस करती हुई निचे पेंट की तरफ हाथ सरकाने लगी। मैंने उसकी दिक्कत को आसान करते हुए खुद ही पेंट को निकाल कर फेंक दिया और उसके होंठों का रसपान करने लगा। उसने खुद ही अपनी सलवार कमीज़ निकाल दी। अब हम दोनों नंगे बदन एक दूसरे को ऐसे लिपटे थे जैसे चन्दन को काला नाग लिपटता है।

मैं उसके उपर लेट कर उसके होंठ, और सफेद दूधुुओ को दबा दबा कर पी रहा था। वह नीचे लेटी आँखे बन्द करके मौन कर रही थी। सर्द रात में उसके शरीर की गर्मी आनन्द दे रही थी। करीब 10 मिनट के फोरप्ले के बाद बोली,” अब रहा नही जा रहा दीप प्लीज़ डाल दो, मेरी चूत की सूखी धरती को अपने लण्ड के पानी से सींच दो। बस तुझमे समा जाना चाहती हूँ आज की रात में।

समय बर्बाद न करो प्लीज़ ।

उसकी व्याकुलता को समझते हुए मेने उसकी एक टांग को अपने कंधे पे रखकर अपने लण्ड को उसकी चूत के मुँह पे सेट करके हल्के से धक्का दिया तो चूत गीली होने की वजह से थोडा सा लण्ड उसकी चूत में धँस गया। काफी दिनो से चूदी न होने के कारण चूत थोड़ी टाइट हो गयी थी।

उसने थोडा दर्द महसूस करते हुए रुकने का इशारा किया और अपनी पोजीशन सेट करके काम दुबारा स्टार्ट करने को बोला।

इस बार थोडा पीछे हटकर धकका लगाया तो आधे से ज्यादा हिस्सा घुस गया। मैंने अपना काम जारी रखा और थोड़ी देर बाद महसुस किया के मेरा लण्ड उसकी बच्चेदानी को हिट हो रहा है। करीब 10 मिनट की चुदाई के बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और मुझे लिपटते हुए पीठ पे नाख़ून गड़नें लगी और एक लम्बी आह से झड़ गयी।

लेकिन मेरा अभी काम थोडा बाकी था। सो तेज़ तेज़ शॉट्स लगता अगले 5 मिनट में मैं भी उसकी चूत में झड़ गया और उसके ऊपर थक कर लेट गया। हम दोनों के चेहरे पे सन्तुष्टि के भाव साफ दिख रहे थे।

रात काफी होने के कारण फेर हमने बाथरूम में जाकर अपने आपको धोया और हम कपड़े पहनकर एक दूजे को जफ्फी डालकर एक ही कम्बल में सो गए। सुबह उठकर अमृता ने चाय बनाई और मेरे गाल पे किस करके प्यार से उठाकर बोली, ऐ जी उठइये न, कब तक सोते रहोगे, आज हमने घर भी जाना है । मैंने उसको पुछा के डार्लिंग आपने चाय पी क्या। तो उसने बोला,”आपके बिना कैसे पी सकती हूँ, जानेमन।

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