Anokha Daan
हेल्लो दोस्तों आपका अपना दीप पंजाबी एक बार फिर नये साल पर अपनी नई कहानी लेकर आपकी सेवा में हाज़िर है।
ये कहानी देसी कहानी डॉट नेट को पसन्द करने वाले एक दोस्त राजीव अरोड़ा ने भेजी है। जो के *** पंजाब से ही है।
सो ज्यादा बोर न करता हुआ सीधा कहानी पे आते है।
ये करीब पिछले 5 साल की बात होगी। जब मैं हमारे शहर के मण्डी में एक फ़ोटो स्टैट की बड़ी सी दुकान पे नया नया काम करने लगा था। हमारी दुकान के अगल बगल बहुत सी ऐसी दुकाने थी जिनमे स्टेशनरी हमारे यहां से पहुंचती थी। हमारा काम काज बहुत ही बढ़िया था। मेरे काम काज और तज़ुर्बे को देखते हुए दुकान के मालिक ने मुझे अच्छी तनखाह पे रख लिया।
हमारे मालिक संजय का घर दुकान से काफी दूर पड़ता था। उनके घर में उनकी बीवी और बूढी माता जी के इलावा कोई नही था।
दोपहर को 2 बजे के करीब मालिक खाना खाने अपने घर चले जाते थे और डेढ़ दो घण्टे बाद वापिस आते थे।
ज्यादातर मैं ही उनका खाना घर से लेकर आता था। एक दिन ऐसे ही उन्होंने मुझसे बोला,” राजीव तुम हमारे घर जाओ और मेरे लिये खाना पैक करवाकर ले आओ।उन्होने अपने घर अपनी बीवी को भी फोन कर दिया के राजीव आ रहा है, तुम खाना टिफन में पैक करके रखदो।
मैं बाइक से, उनकी आज्ञा मानकर उनके घर तक पहुच गया।
दरवाजा अंदर से बन्द था। मैंने डोर बैल बजाई। अंदर से एक बहूत ही खूबसूरत औरत यानि मेरी मालकिन आई और उसने दरवाजा खोला।
माफ़ करना दोस्तों अपनी मालकिन के बारे में तो मैं बताना ही भूल गया । उनका नाम मीना है, उम्र 30 साल, कद साढ़े 5 फ़ीट, सुडोल और गदराया बदन जो उन्हे एक बार देखले बार बार देखना चाहेगा। ये तो थी हमारी मालकिन की जान पहचान अब कहानी आगे बढ़ाते है।
मैंने उन्हें नमस्ते बुलाई और खाने का टिफन लेकर जाने का बोला।
वो बोली,” राजीव अंदर आ जाओ, अभी खाने में थोड़ी कमी है, सब्जी तो तैयार है बस रोटियां सेंकनी बाकी है।
मैं उनके पीछे पीछे उनके घर में चला आया। उसने मुझे हाल में पड़ी कुर्सी पे बैठने का इशारा किया और किचन से ट्रे में मेरे लिए एक गिलास पानी ले आई। मेने पानी पिया और थैंक्स बोला।
वो बोली,” आप 5 मिनट बैठो, तब तक मैं आटा गूंथकर उनके लिये 4-5 रोटिया बना लू।
उनके जाने के बाद मैं टाइमपास के लिए ऐसे ही मेज़ पे पड़े रसाले, अख़बार देखने लगा, वहां एक डायरी भी पड़ी थी। वो शायद उसकी पर्सनल डायरी थी। जो शायद मेरे आने से पहले ही वहाँ बैठकर कुछ लिख रही होंगी, डायरी पे उस दिन की तारीख टाइम सब कुछ उसपे लिखा हुआ था। मेने जब उसे खोला तो एक पन्ने पे हल्की सी नज़र मारी तो उसपे लिखा था।
23 जून 2012
संजय वेड्स मीना
आज के दिन हमारी 5वीं सालगिरह है। आज से 5 साल पहले हमारी शादी हुई थी। लेकिन 5 साल बीत जाने पे भी मैं माँ नही बन पाई। डॉक्टर्स का कहना है के संजय कभी भी मुझे माँ का सुख नही दे सकते। इसके लिए मीना आप या तो बच्चा गोद लेलो या फेर नई शादी करलो।
अभी इतनी पंक्तिया ही पढ़ी थी के मुझे पता चला के मालकिन का नाम मीना है। इसी दौरान मुझे किसी के कदमो की आवाज़ अपनी और आती सुनाई दी। मैंने जल्दी से वो डायरी वही पे रखदी, जहां से उठाई थी। सिर्फ एक मिनट बाद मीना मेरे सामने टिफन लिये खडी थी।
वो — ये लो राजीव, उनका खाना और उन्हें जाकर बोल देना के घर पे जल्दी आये हमे किसी डॉक्टर के पास जाना है।
मैं — ठीक है जी, बोल दूंगा।
उसके मुंह से डॉक्टर शब्द सुनकर एक बार फेर मेरा मन डायरी के उस नोट पे चला गया जिस पर लिखा था मीना या तो बच्चा गोद लेलो या नई शादी करलो।
पूरे रास्ते में यही सोचता आया के ऐसा क्यों होता है। जो कुछ भी भगवान से मांगते है, उन्हें वो मिलता क्यों नही है।
दुकान पे आकर मैंने हमारे मालिक को उनकी बीवी का सन्देश दिया और वो बोले,” ऐसा करो यार बाइक पे तुम ही उसे क्लीनिक ले जाओ, मेरा थोडा काम बाकी है। ये लो पैसे अपनी मालकिन को दे देना और कहना के आज किसी जरूरी काम की वजह से मालिक आ नही पाएंगे। इस लिए मुझे उनके साथ दवा लेने भेज रहे है।
मैं फेर वही से खाली टिफन वापिस लेकर वापिस घर पे आ गया। घर आकर मीना को उनका सन्देश सुनाया। पहले तो वो मेरे साथ जाने के लिए मना करने लगी और फोन लगाकर संजय को न आने की वजह पूछने लगी। लेकिन फेर पता नही क्या सूझा और बोली, राजीव गाडी निकालो गैराज से, मैंने उनका आदेश मानकर गाड़ी को निकाला और पूछा अब जाना कहाँ है ?
वो – तुम ड्राइव करो जहां बोलू रोक देना।
मैं – ठीक है जी।
मैंने गाड़ी घर से निकालकर उनके बताये हुए एड्रेस पे लेजाकर रोक दी।
ये एक कोठीनुमा इमारत थी। हम दोनों उतरकर उसमे चले गए। वो शायद किसी डॉक्टर का घर पे खोला क्लीनक था। वहां कुर्सी पे तकरीबन 40 वर्षीय एक व्यक्ति बैठा फोन पे बात कर रहा था। हमे आता देख उसने फोन काट दिया और सामने पड़ी कुर्सियो की और इशारा करते हुए कहा, आइये मीना जी, बैठिये । मैं और मेरी मालकिन कुर्सियो पे बैठ गए। डॉक्टर शायद उनको काफी अच्छी तरह से जानता था। शायद उनका फैमिली डॉक्टर था। तभी उन्हें नाम लेकर बुला रहा था। ये लड़का कौन है मीना जी, इसे पहले तो इसे आपके घर कभी नही देखा।
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