Anokha Daan
मैं — (मुझे उसपे दया आ गई)– चलो ठीक है , जैसा आपको अच्छा लगे। लेकिन आपको भी वादा करना होगा। इसका ज़िक्र किसी से भी न करोगे।
मीना – मैं पागल हूँ क्या, अपने हाथो अपने पैरो पे कुल्हाड़ी मारूँगी।
अब तुम खाना लेकर जाओ, अपना मोबाईल नम्बर दे जाओ। जब समय निकला आगे का प्लान बताउंगी।
मैं टिफन लेकर बाइक से दुकान पे आ गया।
अगले दिन मैं अभी घर पे ही था। तो मुझे अनजान नम्बर से कॉल आया।
हलो, राजीव मैं मीना बोल रही हूँ। तुम बाइक लेकर जल्दी घर आओ। हमे कही जाना है।
मैं — लेकिन अभी तो मालिक घर पे होंगे। मीना – उन्होंने ही ने कहा है के राजीव को साथ ले जाओ।
मैं — चलो ठीक है। अभी आता हूँ।
करीब आधे घण्टे बाद मैं उनके घर पे था।
मैं — लेकिन हमे जाना कहा है?
मीना – मेरे मायके में जो यहाँ से 300 किलोमीटर की दूरी पे है।
हम बाते कर ही रहे थे के इतने में मालिक आ गए और मैंने उन्हें नमस्ते की। उन्होंने मेरी नमस्ते का जवाब दिया और बोले” राजीव तुम अपने घर पे फोन करके बोल्दो के तुम मालिक के साथ दिल्ली जा रहे हो। एक हफ्ता लग सकता है। अब मेरी बात कुछ कुछ समझ में आ रही थी के इन दोनों की सहमति से सब हो रहा है। मैंने अपने घर पे फोन करके बता दिया के एक हफ्ता घर नही आऊंगा।
इसके बाद हम तीनो ने इकठे खाना खाया और मैं और मीना उनकी कार से सफर के लिए निकल गए। घर से काफी दूर निकल कर यही कोई 3 घण्टे कार चली होगी के एक होटल पे हम चाय पीने के लिए रुके।
मीना — राजीव, माफ़ करना मैंने आपसे झूठ कहा |
मैं — क्या मतलब आपका ?
मीना — दरअसल, हमे कोई भी रिश्तेदारी में नही जाना है। हम इसी होटल में हफ्ता रहने वाले है।
मैं — हम्म… चलो ठीक है, जब साथ आ ही गया हूँ तो कही भी ले जाओ आप। हाँ बस इतना ध्यान रखना मेरी और अपनी इज़्ज़त पे कोई आंच न आने देना।
मीना – वो तुम बेफिक्र हो जाओ, कोई शिकायत का मौका नही मिलेगा आपको, यदि आपको लगे भी कोई बात हो रही है ऐसी तो बिन बताये जा सकते हो।
मैं – ठीक है मालकिन।
मीना — मालकिन नही, इस वक्त आपकी पत्नी हूँ, मेरा नाम मीना ले सकते हो आप। दुनिया के सामने मालकिन होउंगी, लेकिन अकेले में आपकी मीना।
मैं – मेरे हिसाब से संजय को पता होगा न इस बात का।
मीना — हाँ उन्होंने तो भेजा है। ये सारा प्लान उनका ही तो है।
मैं — फेर किसी बात का डर नही है।
हम दोनों गाडी पार्क करके अंदर चले गए और अपने कमरे की चाभी लेकर रूम में चले गए। गर्मी का दिन था तो थकावट के साथ पसीना भी बहुत आ रहा था। हमने इकठे नहाने का प्लान बनाया। हम दोनों अपने अपने कपड़े उतारकर शावर के निचे आ गए। मीना मेरा 6 इंची लण्ड देख कर खुश हो गयी और निचे बैठकर उसको हाथो में लेकर सहला कर चूसने लगी। सर पे ठंडा पानी और निचे लण्ड को मुंह की गर्मी आह्ह्ह्ह… क्या मज़ा आ रहा था।
थोड़ी देर तक ऐसे ही हम कामुक खेल खेलते रहे। फेर फ्रेश होकर दोनों नंगे ही बेडरूम में चले गए। मुझसे ज्यादा खुश तो मीना दिखाई दे रही थी। जो के स्वभाविक भी था के उसकी एक ख्वाहिश पूरी होने जा रही थी। मैं नंगा ही बैड पे लेट गया और मीना मेरे ऊपर आकर मेरे होंठो पे होठ रखकर मुझे गर्म करने की कोशिश कर रही थी। मैंने उसे इशारे से लण्ड की चुसाई करने को कहा। वो पक्की रण्डी की तरह इशारा समझकर अपने काम पे लग गयी।
अब अकड़न से लण्ड दुखने लगा था और मुझे डर भी था के उसके मुंह में ही न झड़ जाऊ तो मैंने उसे निचे लेटने का इशारा किया। अब मैं उसके होंठ चूस रहा था। उसके भीगे बालो से पानी की बूंदे उसके कन्धों, उरोज़ों पे आ रही थी। मुझे लगा के मीना को कोई दिक्कत है और वो रो रही है। मैंने लिप्किस्स छोड़कर पूछा क्या बात है मीना डार्लिंग। वो बोली, कुछ नही बस ये ख़ुशी के आंसू है। मैं कल्पना की दुनिया में खो गई थी के हमारा एक बहुत ही सुंदर सा बेटा है। बस यही सोचकर रोना आ गया।
मैं – हट पगली, बेटे की नीव रखी नही, ऐसे ही सपने लेने लग गयी।
इसपे हम दोनों हंस दिए।
मैंने मीना के उरोज़ों को बारी बारी से चूसा। अब उसपे भी कामदेव सवार होने लगे थे। उसकी आँखे भारी हो रही थी और उरोजों के निप्पल कड़े होने शुरू हो गए थे। जो के एक संकेत था के उसपे खुमारी चढनी शुरू हो गयी है।
मीना — बस करो, राजीव और नही सहा जाता अब मुझसे,,,,,, सीईईईई,,,,,, अब डाल दो अपना लण्ड मेरी योनि में बना दो अपने बच्चे की माँ मुझे…. मैं भी मातृत्व सुख का आनन्द लेना चाहती हूँ। कृपा मेरी ये ख्वाहिश पूरी करदो। आपका ये एहसान मैं ज़िदगी भर नही भूलूंगी।
मैं — बस जान अब चुप हो जाओ, समझलो तुम्हारी ये इच्छा पूरी हो गई है। अब आँखे बन्द करके इसका आनंद लो।
मैंने मीना की टाँगे अपने कन्धों पे रखकर उसकी योनि पे अपने तने हुए लण्ड को रखकर ज़ोरदार शॉट मारा के उसकी आह्ह्ह निकल गयी और आधे दे ज्यादा लण्ड उसकी क्लींशेवड़ चूत में घुस चूका था। मैंने पीछे हटकर एक और ज़ोरदार शॉट मारा इस बार पूरा लण्ड जड़ तक मीना की चूत में घुसकर उसके गर्भाशय को छू रहा था। मेरे ऐसा करने से मीना को थोड़ी तकलीफ तो हुयी लेकिन उसकी ख्वाहिश के आगे ये कुछ भी नही था। वो निचे से गांड हिला हिला कर लण्ड को ले रही थी।
Comments