Anokhi Saja
हलो दोस्तों आपका अपना दीप पंजाबी आपकी सेवा में एक नई कहानी लेकर हाज़िर है। मेरे पुराने सभी दोस्त तो मुझे बाखूबी जानते है। लेकिन जो नए दोस्त इस साईट पे जुड़े है। उनके लिए बतादूं के मैं श्री मुक्तसर साहिब (पंजाब) से हूँ। मेरी इस साईट पे एक दर्जन के करीब कहानियां छप चुकी है। बेस्ट हिंदी पोर्न स्टोरी हिंदी चुदाई कहानी
सो उन्हें भी पढ़कर अपने मज़े को 10 गुना कीजिये। मुझे उम्मीद है आपको बेहद पसन्द आएँगी और कहानी के अंत में दिए गए मेल पते पर अपने सुझाव जरूर भेजेंगे। सो ज्यादा समय न खराब करते हुए सीधा आज की कहानी पर आते है।
आज की कहानी शुरू होती है राजस्थान के ज़मीदार राजेन्द्र सिंह की हवेली से, यहाँ उसका परिवार, जिसमे खुद राजेन्द्र सिंह, उसकी पत्नी कौशल्या रानी और 5 साल का बेटा वीरेंद्र सिंह रहते है।
भगवान का दिया सब कुछ है उनके घर में, लेकिन वो कहते है न के ज्यादा पैसा भी मती मार देता है और उल्टे सीधे शौक डाल देता है। ऐसा ही ज़मीदार राजेन्द्र सिंह के साथ हुआ है। चाहे जमीदार साब शादीशुदा है लेकिन आज भी कच्ची कलियाँ मसलने में ज्यादा विश्वास रखते है।
उन्होंने हवेली में घर का काम करने के लिए एक गरीब घर की औरत गौरी रखी हुई है। जो बेहद खूबसूरत सुडोल ज़िस्म की मालकिन है। उसे देखकर कोई भी अंदाज़ा नही लगा सकता के वो बेहद गरीब घर की बहू है। उसकी उम्र यही कोई 28 साल के लगभग होगी। उसके परिवार में उसकी सास, उसका पति, वो खुद और 3 साल के बच्चे को मिलाकर 4 मैम्बर है।
रोज़गार के नाम पे उसका पति किशन छोटी सी सब्ज़ी की रेहड़ी लगता है, और गली गली जाकर सब्ज़ी बेचता है। घर का गुज़ारा और अच्छी तरह से हो, इस लिए गौरी अपने 3 साल के बेटे को अपनी सास को सौंपकर, खुद ज़मीदार के घर पे काम करती है। ज़मीदार पहले दिन से ही उसे भूखी नज़रो से देखता है। जिसका गौरी को भी पता है।
लेकिन गरीब होने के कारण मज़बूरी है, के उनकी दासी बनकर उनके घर का काम करना पड़ता है। वो तो ज़मीदार का बस नही चलता, नही तो उसे कब का कच्ची कली की भांति मसल कर फेंक चुका होता। वो रोज़ाना उसके सुडोल बदन को हवस भरी नज़रो से देखकर स्कीम बनाता के कैसे इसको इसी की बातो में घेर कर इसकी जवानी को भोगा जाये। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
एक दिन गौरी ने ज़मीदार से घर के किसी जरूरी काम के लिए 10 हज़ार रुपये की मांग की।
ज़मीदार — देखो गौरी, इतनी बड़ी रकम दे तो दूंगा लेकिन जिस तरह से तुम्हारी तनख्वाह है। उसके हिसाब से तो एक साल से ऊपर लग जायेगा तुझे क़र्ज़ चुकाने में, ऊपर से ब्याज मिलाकर तुम्हारे 2 साल यहाँ पे खराब हो जाएंगे। अब बताओ इतना समय पेट को गांठ कैसे लगाओगे। घर पे क्या नही चाहिए बोलो खाना, कपड़े और अन्य छोटे छोटे खर्चे।
गौरी — आप इसकी फ़िक्र न करे मालिक, वो मेरी सरदर्दी है, कही से भी लाऊँ, आपकी पाई पाई चुकता कर दूंगी।
ज़मीदार — देखलो गौरी 6 महीने का वक्त दे रहा हूँ। यदि एक दिन भी ऊपर हो गया तो उसके ज़िम्मेदार तुम खुद होंगी। यहा अंगूठा लगाओ। और एक बात इस पैसों वाली बात का किसी से भी ज़िक्र न करना, ये बात हम दोनों में ही रहनी चाहिए।
गौरी — ठीक है हज़ूर।
ज़मीदार की बही पे गौरी ने अंगूठा लगाकर 10 हज़ार रूपये ले लिए पैसे देते वक्त उसने गौरी का हाथ भी पकड़ना चाहा । लेकिन ऐन वक्त पे उसकी बीवी आ जाने से उसने उस वक़्त उसे छोड़ दिया।
धीरे धीरे वक्त बीतता गया। कब साढ़े 5 महीने बीत गए पता ही न चला। इकरार से एक हफ्ता पहले गौरी को मालिक ने अपने कमरे में बुलाया।
ज़मीदार — गौरी, क्या तुम्हे याद भी है के तुम्हारे किये इकरार के हिसाब से 5 दिन बाद तूने मुझे सारे पैसे ब्याज समेत वापिस करने है। मैंने सोचा क्यों न याद करवा दू। ताजो कोई कमी भी रही हो तो रहते वक्त तक पूरी हो जाये। परन्तु याद रखना जुबान से बदल न जाना। वरना मैं बहुत बुरे स्वभाव का व्यक्ति हूँ।
गौरी — आप फ़िक्र न करो मालिक, आपको आपका पैसा समेत ब्याज सुनिश्चित तारीख पे मिल जायेगा।
ज़मीदार (बीच में बात काटते हुए) — यदि न वापिस आये तो ??
गौरी — तो फेर जो दिल करे दण्ड लगा लेना, मैं हंसकर आपकी हर सज़ा कबूल कर लूँगी।
ज़मीदार — चलो देखते है, क्या बनता है ?
इस तरह से वो इकरार वाला दिन भी आ गया।
सुबह से ही ज़मीदार बार बार दरवाजे की तरफ देख रहा था।
कौशल्या — क्यों जी, इतने व्याकुल क्यों हो। किसकी प्रतीक्षा कर रहे हो ?
ज़मीदार — नही कुछ नही तुम अपना काम करो।
ज़मीदार सोचने लगा के आज से पहले तो गौरी सुबह 8 बजे ही काम पर आ जाती थी। लेकिन आज 10 बजने पर भी नही आई। कही पैसो के चक्र की वजह से तो नही गैर हाज़िर हुई है।
यही सोचते सोचते जमीदार गौरी के घर की तरफ चला गया।
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