Anokhi Saja

Deep punjabi 2017-05-30 Comments

ज़मीदार — तुमने वादा खिलाफी तो की है तो इसकी सज़ा ये है के तुम मेरे पूरे बदन की तेल लगाकर मालिश करोगे और जब तक मैं न चाहू घर नही जाओगी।

गौरी — हैँ…ये कैसी सज़ा है। मैंने तो सोचा था के पूरा दिन काम काज पे लगाए रखोगे या पूरा दिन धूप पे खड़ा करके रखोगे। लेकिन फेर भी वादे के मुताबक मुझे आपकी ये सज़ा भी मंज़ूर है।

ज़मीदार — तू बहुत नाज़ुक सी चीज़ है गौरी, तेरा मालिक इतना भी बेरहम नही है के फूल सी नाज़ुक चीज़ को धुप में खड़ा करके मुरझाने के लिए छोड़ देगा।

अपनी झूठी तारीफ सुनकर भी गौरी को अच्छा लगा।

ज़मीदार — चलो गौरी, अब बाते बहुत हो गयी। बाहर वाला दरवाजा बंद करके, मेरे पीछे मेरे बेडरूम में आओ, वहां चलकर तुझे सज़ा दूंगा। गौरी ड़रती ड़रती मालिक के पीछे चली गयी। वहा पहुंचकर मालिक ने पंखा चालू कर दिया। परन्तु डर के मारे गौरी पसीने से भीग रही थी।
बाते करते करते मालिक ने अकेला अंडरवियर छोड़कर सारे कपड़े उतारकर दीवार पे लगी कुण्डी पे टांग दिए और खुद उल्टा होकर बेड पे लेट गया।

ज़मीदार — गौरी बेड की दराज़ में से तेल की शीशी निकाल लाओ और मेरे पूरे बदन पे लगा दो, पूरा बदन दर्द से टूट रहा है।

गौरी बेचारी हुक्म में बन्धी, जैसा वो बोलता गया वैसे करती गयी।

गौरी तेल की शीशी लेकर मालिक के पैरों की तरफ बैठ गयी और हथेली पे ढेर सारा तेल उड़ेलकर उसकी पीठ पर मलने लगी। मालिक की तो जैसै लाटरी लग गयी। वो आँख बन्द करके लेटा गौरी के नरम नरम हाथो की मालिश का मज़ा लेने लगा और उसके कोमल स्पर्श मात्र से ही काम चढ़ने की वजह से उसका लण्ड अंडरवीयर में ही फड़फड़ाने लगा।

थोड़ी देर बाद बोला,” गौरी तुम बहुत बढ़िया मालिश करती हो। ऐसा करो थोडा तेल मेरी टांगो पर भी लगा दो। गौरी हुक्म की पालना करती मालिक की टाँगो की मालिश करने लगी। करीब 10 मिनट बाद वो सीधा होता हुआ बोला,’  अब लगते हाथ आगे की भी मालिश करदो गौरी।

जैसे ही मालिक उल्टा लेटा सीधा हुआ उसका मोटा लण्ड अंडरवियर में फ़ड़फ़ड़ाता हुआ गौरी को दिख गया। एक पल के लिये वो देखती ही रह गयी, जैसे ही मालिक की नज़र उस पर पड़ी वो शर्मा गयी और मुह दूसरी और करके मालिक की टाँगो की तेल से मालिश करने लगी। जैसे ही वो आँख बचाकर मालिक के मोटे लण्ड की तरफ देखती तो मालिक चलाकी से उसे झटके से हिला देता।

वो फेर शरमाकर मुह फेर लेती। ऐसे ही जब दूसरी तरफ मुह किये जब गौरी मालिक की मालिश कर रही थी तो गलती से उसका हाथ मालिक के लण्ड से लग गया। उसने झटके से हाथ पीछे खींच लिया। ये सब मालिक भी देख रहा था। लण्ड के हाथ से छूते ही, गौरी की काम अग्नि भड़क उठी। उसने अपनी चूत में गीलापन महसूस किया।

ज़मीदार — (कामुक मुस्कान दिए) क्या हुआ गौरी ?
गौरी — कुछ नही मालिक।

और वो अपना मुह दूसरी ओर करके मन में सोचने लगी के कैसी अजीब हालात में फंस गयी हूँ। मुझे क्या हो रहा है। अंडरवियर के अंदर से ही उसके साइज़ का अंदाज़ा लगाया जा सकता था। जो के लगभग 8 इंच लम्बा और 3 इच मोटा होगा। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।

आख़र आग से पास घी कब तक ठोस रहता। काफी समय से खुद पे नियंत्रण बनाये बैठी गौरी का सब्र अब जवाब देने लगा। जिस लण्ड को देखकर वो बार बार नज़र चुरा रही थी। अब टिकटिकी लगाकर उसे ही देख रही थी। अब काम वेग उसकी आँखों से झलक रहा था। काम के अधीन होकर वो बहक गई और

मन में सोचने लगी के क्यों न इसका स्वाद चख लिया जाये। वैसे भी मालिक भी तो यही चाहता है। हो सकता है मेरे ऐसा करने से मुझे क़र्ज़ से कोई थोड़ी निजात मिल जाये। इसी उलझन तानी में सोचते हुऐ बोली,” मालिक आपका अंडरवियर तेल लगने से खराब हो जायेगा। कृपया इसे भी उतार दे। वैसे भी हम दोनों के इलावा यहाँ तीसरा कौन है। जो आपको इस हालत में देख लेगा। मैं बाहर जाकर किसी को भी बताउंगी नही के मैंने आपको पूरा नंगा देखा है।

उसने अपने मन की बात एक लहजे में आम बात की तरह कह दी। उसकी बात सुनकर मालिक को तो जैसे हीरो का खज़ाना मिल गया हो। वो मन में सोचने लगा साली मुझे मुर्ख बना रही है। खुद मेरे फेंके जाल में फंस गयी है। खुद का दिल चुदवाने का हो रहा है। मेरे मन की बाते खुद कह रही है। चलो जो भी है कल को कोई बात बिगड़ी भी तो ये तो न कहेगी के आपने जोर ज़बरदस्ती से अपना लण्ड मेरे हाथ में दिया था।

ज़मीदार — जब इतना कर दिया गौरी, तो ये छोटा सा काम भी अपने कोमल हाथो से करदो।

गौरी (मन में खुश होते) — जो हुक्म मालिक ।

और गौरी ने मालिक के अंडरवियर को दोनों हाथो से पकड़ कर टाँगो से बाहर निकल दिया। मालिक का मोटा लण्ड नए स्प्रिंग की तरह झटके खा रहा था, जिसे देखकर गौरी की आंखे हैरानी से खुली की खुली रह गयी और मुह पे हाथ रखकर बोली, रे दइया इतना बड़ा, जैसे किसी घोड़े का काला लण्ड हो ।

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