Anokhi Saja
ज़मीदार — क्यों गौरी पसन्द आया मेरा हथियार।
“हथियार” शब्द सुनकर गौरी के मुंह से हंसी निकल गयी और बोली आप भी न मालिक क्या क्या नाम रखते हो?
मालिक के लण्ड मेे पता नही ऐसी कोनसी शक्ति थी जो उसको अपनी और खींच रही थी। वो चाहकर भी खुद को रोक भी नही पा रही थी।
ज़मीदार — ऐसा करो गौरी अब इस पे भी गुनगुने तेल की मालिश करदो।
मालिक का हुक्म पाते ही वो मालिक के लण्ड पे झपटी, पूरी ज़िन्दगी में आज पहली बार इतना लम्बा, मोटा लण्ड उसने अपने हाथ में लिया था। जो उसके पति के लण्ड से तीन गुना मोटा और लम्बा था। कितना ही चिर उसे टिकटिकी लगाकर देखती रही और बोली,”मालिक एक बात कहे यदि आप बुरा न माने तो ।
ज़मीदार — हाँ गौरी बोलो, क्या कहना चाहती हो। खुलकर बोलो मैं बुरा नही मानूँगा।
गौरी — हमारी मालिकन बहुत भाग्यशाली है।
ज़मीदार — वो कैसे ??
गौरी — उसके नसीब में इतना तगड़ा मोटा लण्ड जो है। जो हर रात उसकी सेवा में हाज़िर होता है।
गौरी की बात सुनकर मलिक की हंसी निकल गयी और कहने लगा ,” हाँ गौरी ये तो है लेकिन अब पहले वाली बात तेरी मालकिन में रही नही। जब नई नई ब्याह कर आई थी । तो खूब उछल उछल कर इसपे बैठकर चुदती थी। लेकिन धीरे धीरे उसका इसके प्रति प्यार घटता गया और रहती कसर मेरे बेटे ने पूरी करदी।
गौरी — (लण्ड के सुपाड़े पे तेल लगाते हुए ) वो कैसे मालिक ?
ज़मीदार — जब से वो पैदा हुआ है। उसकी माँ का मोह उसमे चला गया है। पहले जहां एक हफ्ते में हम 5 दिन चुदाई करते थे। अब वही महीने में एक बार, वो भी काफी तरले मिन्नतों के बाद करती है। इस लिए जब से तुम हमारे घर पे काम के लिए आई हो। तुम्हे देखकर अपनी कल्पना में रोजाना चोदता हूँ।
गौरी उसकी कहानी सुनकर आज पहली बार मालिक सही और खुद को गलत महसूस कर रही थी।
मालिक के मुह से ऐसी बात सुनकर गौरी शर्मा गयी और बोली क्या मैं आपको इतनी सुंदर लगती हूँ। जो आप मुझे अपनी कलपना में रोज़ाना चोदते हो।
गौरी का हाथ पकड़ कर अपने ऊपर खींचते हुए मालिक बोले और नही तो क्या। तुम क्या जानो तुम्हे लेकर मैंने कितने सपने संजोये है। बस एक बार मेरा ये काम करदो, जो मांगोगी लेकर दूंगा।
मालिक की इस हरकत ने उसकी थोड़ी रहती शरम भी निकल दी। वो एक फार्मेल्टी वाली उपरले मन से बोली छोडो मालिक मैं ऐसी वैसी औरत नही हूँ। एक पतीव्रता स्त्री हूँ। कोई देख लेगा छोडो भी न मालिक।
ज़मीदार — हट साली पहले तो लण्ड को एक घण्टे से पकड़ कर हिला रही है। अब नाटक करती है।
मालिक ने उसे अपने साथ लिटाकर उसके ऊपर खुद लेट गया। गौरी ने खूब कोशिश की के वो उसके शिकंजे से निकल जाये। परन्तु एक हटे कट्टे जमीदार की पकड़ से निकलना मुश्किल काम था।
गौरी — मालिक मुझे ये काम नही करना, मुझे घर जाने दो मेरा बेटा भूखा होगा। उसे जाकर दूध पिलाना है। जो भी काम रह गया कल आकर पूरा कर दूगी। आपके आगे हाथ जोड़ती हूँ मुझे जाने दो।
लेकिन मालिक कहाँ मानने वाला था। उसने इतनी मज़बूती से पकड़ा के के गौरी की हिम्मत जवाब दे गयी और उसने आत्म समर्पण कर दिया।
अब मालिक का लण्ड उसके पेट और जाघो पे चुभ रहा था। मालिक ने उसके होंठो से होंठ मिलाकर चूमना शुरू किया। मरती क्या न करती वाली कहावत की तरह उसे मालिक का साथ देना पड़ा। क्योंके यदि वो विरोधता करती तो मालिक न जाने कब तक उसके साथ धक्का करता रहता। सो उसने साथ देने में ही भलाई समझी। करीब 10 मिनट होंठो का रसपान करने से अब काम का नशा गौरी पे चढ़ने लगा। वो आँखे बंद किए इस चढ़ रही खुमारी का आनंद ले रही थी के मालिक ने उसे उठाकर कपड़े उतारने को कहा।
गौरी ने वैसा ही किया। गौरी का गोरा चिट्टा बदन देखकर मालिक की आँखे खुली की खुली रह गयी। वो उसके उरोज़ों पे हाथ फेरता हुआ बोला,” वाह ! खुदा ने क्या बदन तराशा है। ऐसा बदन तो मेरी बीवी का भी नही है। काश गौरी तू मेरी बीवी होती। मैं रोज़ इस संगमरमरी बदन का रसपान करता।
गौरी — असल ज़िन्दगी में न सही मालिक, कुछ पल के लिए ही मानलो के हम दोनों पति पत्नि ही। करलो अपने मन की जो भी रीझ अधूरी है।
गौरी की ये बात सुनकर मालिक उसके उरोज़ों को मुंह में कर चूसने लगा। जिनमे से थोडा थोडा मीठा दूध भी बहने लगा।
ज़मीदार — तुम्हारा दूध बहुत स्वदिष्ट है गौरी, दिल चाहता है पीता ही जाऊ।
गौरी (शरारती अंदाज़ में) नही मालिक सारा दूध आप पी गए तो मेरा बेटा क्या पियेगा।
दोनो हंसने लगे और अपने काम में व्यस्त हो गए।
अब मालिक गौरी के ऊपर से उठा और खुद बेड पे लेट गया और गौरी से बोला,” गौरी तुम ऊपर आओ और अपने पसन्दीदा खिलोने को खुश करो। फेर ये तुम्हे खुश करेगा। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
गौरी हुक्म की पालना करती हुई नीचे से उठ कर उसकी टाँगो के बीच में आकर बैठ गयी और तेल से सने लण्ड को मुठी में भींच कर उसकी चमड़ी ऊपर नीचे करने लगी।
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