Bete Ke Pehle Sex Ka Maza Liya

Deep punjabi 2018-01-21 Comments

अपनी माँ का नग्न शरीर देखकर अजय की आँखे खुली की खुली रह गई। उसका 5 इंची लौड़ा तन चूका था। वो आने बहाने मुझको छूने की कोशिश कर रहा था। मेने भी सोचा चलो बच्चे को खुश कर देती हूँ। इसमें हम दोनों की ही तो ख़ुशी है। मेने बहाने से साबुन अजय को पकडाते हुए कहा के अजय मेरी पीठ पे जरा साबुन लगा दो। वहां मेरा हाथ नही पहुँच रहा।

अजय ने जल्दी से साबुन पकड़ा और पीठ पे लगाने लगा। एक ऊपर से चलता छावर, दूजा अजय के हाथ का स्पर्श, तन मन में काम ज्वाला जग रही थी। मेने उसकी तरफ घुमकर मुंह कर लिया और कहा, अब आगे भी लगा दो। वो मेरी तरफ ऐसे देख रहा था मानो मैं कोई मज़ाक कर रही थी। मेने उस से साबुन पकड़ी और उसके पेट से होते उसके लण्ड पे लगाने लगी। आज पहली बार उसका लण्ड मेरी मुठी में था। तो उसे धोने के बहाने मैं हिला रही थी।

जिस से मज़े के कारण उसकी सांसे उखड़ रही थी और वो भी मुझे बाँहो में भरके कभी मेरे मम्मे तो कभी होंठो को चूम रहा था और आई लव यु श्वेता डार्लिंग बोल रहा था। उसका आज ऐसा बोलना मुझे जरा सा भी अजीब नही लग रहा था। शायद आप समझ ही चुके होंगे के क्यों मुझे अच्छा लग रहा था। मैं भी सेम टू यू अजय बोलकर उसकी बात का जवाब दे रही थी। जब उसके लण्ड से साबुन धुल गई तो मैं निचे बैठकर उसके लण्ड को निहारने लगी और उसके लण्ड की चमड़ी ऊपर निचे करने लगी।

मुझे पता था के उसने पहले कभी सेक्स नही किया लेकिन मुठ मारकर उसने अपने लण्ड की चमडी ढीली जरूर करली थी। जिस से ये तो पता लग गया था के इस से इसको कोई तक़लीफ़ नही होगी और सोचते सोचते मुझे पता ही नही चला कब मैंने उसको अपने मुंह में ले लिया और अपना सर आगे पिछे करके उसको चूसने लगी।

मेरी इस प्रतिकिर्या से मानो अजय को गड़ा हुआ खज़ाना मिल गया हो। उसके चेहरे पे जैसे बहार आ गयी थी। वो भी मज़े लेकर मेरा मुख पकड़कर अपना लण्ड पेल रहा था। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।

वो बड़ा बेरहम व्यवहार कर रहा था। मानो मुझ से कोई बदला ले रहा हो के इतने दिन से मुझे प्यास क्यों रखा। पहले क्यों नही आई। वो ज़ोर ज़ोर से झटके लगा रहा था। जिस से मुझे साँस लेने में काफी तकलीफ हो रही थी, बीच बीच में खांसी भी आ रही थी। मुंह में लण्ड होने के कारण मुझसे बोला तो नही जा रहा था लेकिन मैं इशारे से उसे रुकने को बोल रही थी।

लेकिन वो काम में अँधा हुआ पेलने में इतना मगन हो गया था के उसे मेरे किसी इशारे का पता नही चला और वो अपनी स्पीड से अपना काम करता रहा। आखिर उसने अपना पूरा वीर्य मेरे गले में उतार दिया और जोर से मुंह बन्द कर दिया। एक पल के लिए मानो मैं बेहोश होने लगी थी। मैंने धक्का देकर उसको पीछे गिराया और जोर जोर से खाँसने लग गयी। उसने मुझे उस हालत देखा तो उसके तोते उड़ गए।

अजय – मुझे माफ़ करदो माँ, मैंने जानबूझकर ऐसा नही किया बस पता नही ऐसे कैसे हो गया।

काफी समय बाद मेरी सांसे कण्ट्रोल में आई। मुझे उस पर बहुत गुस्सा आ रहा था। लेकिन अभी सेक्स करना बाकी था । इसलिए उसे डाँट भी नही सकती थी। इस लिए उसे झूठी सी स्माईल देकर कहा, आज तो अपनी माँ को मार ही डालते तुम। इतना वहशिपन भी ठीक नही है। अजय ने एक बार फेर माफ़ी मांगी। मुझे लगा अब शायद ही अजय सेक्स के लिए ।मानेगा। तो मैंने भी उदास सा चेहरा बनाते हुए कहा, एक शर्त पे माफ़ी मिल सकती है ?

अजय — वो क्या माँ ?
मैं — यदि बिस्तर पे मेरे साथ आज सेक्स करेगा तो मैं माफ़ कर सकती हूँ।

मेरी बात सुनकर अजय का मुंह खुले का खुला ही रह गया। उसे यकीन ही नही आ रहा था के इतना कुछ हो जाने के बाद भी माँ ऐसा कुछ बोलेगी।

उसने बिन समय गंवाए हाँ बोलदी।

हम दोनों नंगे ही शावर बन्द करके बैडरूम की तरफ चल दिए। उसने मुझे बाँहो में उठाया हुआ था और जैसे फिल्मो में हीरो, हेरोइन की आँखों में आँखे डाले उसको ही देखते चलता रहता है। ऐसे ही चल रहे थे। बैडरूम में जाकर उसने मुझे बैड पे पटक दिया और खुद भी मुझ पे चढ़ गया।

अब फेर शुरू होने लगा कामवासना का खेल। उसने माथे से लेकर निचे पैर की ऊँगली तक एक एक अंग को चाट दिया। मेरी चूत अब भी आग उगल रही थी, थोडा चूत को चाटकर बोला,” आह्ह्ह… ऐसा स्वाद ज़िन्दगी में कभी नही चखा। पापा की तो रोज़ाना चाँदी होती होगी।

उसके जीभ का स्पर्श मात्र से ही मैं बहकने लगी और उसको चूत में लण्ड डालने का आग्रह करने लगी। उसने मेरी व्याकुलता को समझते हुए अपना गर्म रॉड जैसा दहकता लण्ड मेरी चूत के मुंह पे रखकर हल्का सा झटका दिया। जिस से मेरी आह्ह्ह्ह निकल गयी। उसके अगले झटके से पूरा लण्ड मेरी चूत में समा चूका था। अब वो पागलपन पे उत्तर आया था। क्योंके एक तो उसका पहला सेक्स था, दूजा उसको इतनी जानकारी भी नही थी। सो उसका मन जैसे बोलता वो वैसे ही करता रहा।

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