Tadpati Bhabhi Ko Choda
भाभी परमजीत से बोलीं “ नीलू आंटी हैं चुड़िया लायीं हैं। मैं इन्हें बैडरूम में ले जाती हूं तुम धीरे से निकल जाना छुप के। ऐसा ही हुवा। नीलू आंटी के रूम में जाते ही परमजीत निकल गया। मैं भी चुपके से छत पर चला गया। भाभी को अभी भी मालूम नही था कि मैं घर पर ही हूँ।
लगभग दस मिनट बाद नीलू आंटी चली गयी।
फिर पता नहीं कहा से परमजीत आ गया। मुझे जैसे ही आहट मिली मैं छत के आँगन में आ गया लेकिन मेरा बैड लक की भाभी के बेड रूम का कोई सीन नहीं दिख रहा था। मैंने सोचा की भाभी को तड़पाना सही रहेगा ताकि मेरे लण्ड को छुपाने के लिए एक घर मिल जाये।
मैं टॉप फ्लोर पर गया घर से सटे एक नीम का पेड़ था मैं उसके सहारे नीचे उतरा और खिड़की के अंदर झाँका। परमजीत का लण्ड भाभीजी के बुर में अंदर बाहर हो रहा था। मैंने तुरंत भाभी को फ़ोन लगाया लेकिन परमजीत ने उठाने नहीं दिया। दुबारा फ़ोन किया तो भाभी फोन रिसीव कीं।
मैंने पूछा “खाना क्या बना है?”
भाभीजी बोलीं “आलू मटर”” उनकी साँसे तेज़ चल रहीं थीं। मैंने पूछा “ठीक है मैं दो मिनट में आता हूं। वैसे आपकी सांस तेज़ क्यों चल रही है।”
भाभी बोली “छत से आ रहीं हूँ।”
मैंने ओके कह के फ़ोन कट कर दिया और अंदर झाँकने लगा।
भाभी “कितना टाइम और लगेगा?”
परमजीत “अभी तो शुरू हुवे हैं, 15-20 मिनट तो चोदूंगा ही।”
भाभी बोली “फिर कभी और कर लीजियेगा, बाबु आते ही होंगे अब आप जाइये।”
परमजीत थोड़ा खिन्न हो गया और एक मिनट तक खुब तेज़ी से चोदता रहा। फिर भाभीजी के पेट पर अपना वीर्य गिरा दिया और कपडे पहनने लगा। भाभी भी टॉवल लपेट कर गेस्ट रूम तक आयीं और गेट से बाहर देखीं, मैं छुप गया था। फिर गेट खोलीं और परमजीत इशारा पाते ही निकल गया।
उसके जाने के 10 मिनेट बाद मैंने दरवाज़ा खटखटाया। भाभी दरवाज़ा खोलीं। उतनी देर में भाभी नाहा भी ली। बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी और ऊपर से भाभी टॉवल में थी। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
मैंने भाभी से कहा“ बहुत अच्छी लग रहीं है आप”
भाभी मुस्कुराते हुए बोलीं “अच्छा जी, पहले नही लगती थी क्या” और मेरे अंदर आने के बाद दरवाज़ा बन्द कर दिया।
मैंने कहा “ पहले कभी इस रूप में नही देखा न।”
भाभी आँख मारी और सेक्सी स्माइल देते हुवे बोलीं “खाना खा लीजिये।”
मैंने कहा “स्नान करके आता हूं फिर आपको भी खाता हूं”
भाभी एक कातिलाना स्माइल दी और बोलीं जल्दी आइयेगया, हमें आपका इंतज़ार करेंगे।
मैं भी बाथरूम में घुस गया और तुरंत नाहा कर वापस आया। बिना अंडरवियर के टॉवल लपेट के भाभी के रूम में गया। क्योंकि ये बात तो कन्फर्म थी की या तो भाभी अपनी बुर प्यार से दे देंगी या फिर न देंगी तो भी किसी से कहेंगी नहीं।
भाभी अभी भी टॉवल में थी और शीशे में देखकर अपने बाल सवार रहीं थीं।
मैं भाभीजी को शीशे में ताड़ते हुवे बोला “लगता है आज आप जान निकाल ही देंगी।”
भाभी शीशे में देखते हुवे किश कीं।
मेरा लण्ड खड़ा हो गया था लेकिन टॉवल से दबा था। भाभी देख रही थीं। उनके फिगर की तरफ इशारा करते हुवे अपने लण्ड को दबाया। वो भी शीशे में देखते हुवे अपने हाथों में काल्पनिक लण्ड लेकर चूसी जैसे मेरे लण्ड को चूसना चाहती हो।
मैने उन्हें अपने बगल में बैठने का इशारा किया। वो एक कदम पीछे आयीं। मैंने उन्हें खिंचा और वो मेरी गोद में बैठ गयी। मैंने उन्हें आगोश में ले लिया और कानों में धीरे से बोला “आज आपपे बहुत प्यार आ रहा है।” फिर उनकी गर्दन पर किश करने लगा। भाभी अपना सर मेरे तरफ घुमाईं और मेरे होठो पर किश करते हुवे बोलीं “कितना प्यार आ रहा है देवर जी?”
मैंने एक शायरी पेल दी
“दिल ये मेरा तुमसे प्यार करना चाहता हैं
अपनी मोहब्बत का अभी इज़हार करना चाहता है
देखा हैं जब से तुम्हे इस अंदाज ऐ जानेमन
आज ये आशिक़ तेरा हुस्न-ए-दीदार करना चाहता है”
भाभी तो पहले से ही गर्म थी उन्होंने मुझे मेरे हाथों को अपनी चूचियों पर रख दिया और मेरे लबो को अपने लबो से मिलाकर रसपान करने लगी।
हमदोनो एक दूसरे में खो गये और एकदूसरे को बाँहों में भरकर चूमने और चाटने लगे। हम दोनों की तौलिया अलग हो गईं थी। हम निर्वस्त्र एक दूसरे के छुवन के मज़े ले रहे थे। मेरा लण्ड उनकी नंगी बुर की दरार का जायजा लेने लगा और मेरे होठ उनके होठो को तो कभी चुहियों को चूमने लगे।
फिर कुछ देर बाद हमे बेड पर लिटा कर मेरा लण्ड पर अपना जीभ फेरने लगी। और फिर धीरे धीरे चूसने लगी। कुछ ही देर में लण्ड में रक्त-प्रवाह इतनी तेज़ हो गया कि मेरा लण्ड उम्मीद से ज्यादा मोटा हो गया। लगभग 5 मिनट बाद मैंने भी अपनी भाभीजान के बुर का स्वाद चखने के लिए उनके बुर पे अपने होठ रखे।
भाभी के पैर कांप रहे थे। मैंने उनकी बुर को चाटने और काटने के अलावा जिह्वा-चोदन का आनंद दिया। लगभग १० मिनट के बाद उन्हें बेड पर खिंच कर उनके होठों पर अपने होठ रख चूसने लगा नीचे उनकी बुर पर अपना लण्ड रगड़ने लगा। भाभी इस क्षड़ का पूरी तरह लुफ़्त उठा रहीं थी। लगभग 7-8 मिनट बाद भाभी मिन्नतें करने लगी “बाबू प्लीज अपनी भाभी जान की बुर में अपना लण्ड पेल दो।”
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