Biwi Ho To Aisi

vivek2885 2015-03-29 Comments

कमाल करती हो डार्लिंग ! ॠषभ बोले. ऐसे कामों के लिये भी पूछने की जरूरत होती है क्या ? अरे यार , शीनू जैसी मांसल और गठीली औरत को चोदने के लिये तो मैं आधी रात को घने जंगल तक में जा सकता हूँ ।

तो फिर ठीक है , मैं आज ही शीनू को हरा सिगनल दे देती हूँ ! मैंने कहा.
लेकिन डीयर , मेरी भी एक शर्त है.

अगर तुम शीनू के साथ धक्कम धक्का करोगे तो मैं भी उसके हसबेंड नवीन के साथ चुदाई का मजा लूँगी , तुम्हें इसमें कोई आपत्ति तो नहीं ?

कमाल करती हो संगीता, यह भी कोई आपत्ति करने लायक बात है ?
अरे यार , हम पढ़े लिखे और मॉडर्न लोग हैं. हमें अपना जीवन पूरी आज़ादी के साथ गुजारने का हक़ है. मेरी तरफ से तुम्हें पूरी आज़ादी है कि तुम नवीन के साथ जम कर चुदाई का मजा लूटो , चार दिन की यह जवानी है , हमें इसका भरपूर मजा लेना चाहिये। ॠषभ बोले ।

फ़िर तो मैं नवीन को फंसाने को पूरी तरह तैयार हो गई.नवीन दो तीन दिन बाद ही दौरे पर चले गये , संयोग से इसी बीच शीनू की माँ की बिमारी का फोन आ गया , उसे फौरन अपने मायके जाना पड़ा , जाते जाते वह अपने पति के खाने पीने की जिम्मेदारी मेरे ऊपर डाल गई जिसे मैंने ख़ुशी ख़ुशी मान ली ।

अगले दिन मैंने अपनी कामवाली को पूरे दिन कि छुट्टी दे दी. वह रविवार का दिन था , नहा धोकर मैंने जींस और स्लीवलेस शर्ट पहनी और होंठों पर कॉफी कलर की लिपिस्टिक लगा ली ।

दोपहर में नवीन को मैंने अपने घर पर बुला कर खाना खिलाया. खाना खाते समय वह बार बार कनखियों से मुझे देख रहा था , मैं समझ गई मेरी खूबसूरती उसे घायल कर दे रही है ।

जब वह खाना खाकर जाने लगा तो मैं उससे लिपट गई और बोली : मेरा जी बहुत घबरा रहा है नवीन , प्लीज , इस वक्त मुझे छोड़ कर मत जाओ ।

उससे लिपटते वक्त मैंने इस बात का खास ध्यान रखा था कि ब्रा में तनी हुई मेरी गोल गोल चूचियाँ नवीन के सीने से अच्छी तरह सट जायें ।

मेरी बात मान कर नवीन वहीं बैठ गया. उसने इस समय केवल बनियान और लुंगी पहन रखी थी । मेरा मन हो रहा था कि उसके ये दोनों कपड़े हटा कर उसके लौड़े को बाहर निकाल लूँ और उसे जी भर कर प्यार करूँ । नवीन मुझे एकटक देख रहा था , मैंने उसकी ओर मादक निगाहों से देख कर अपनी आँख मार दी ।

अब तो नवीन को जोश आ गया , शायद उसे मेरे मनोभावों का अंदाज हो गया थ.

उसने अपनी बनियान उतार दी और मेरे पास आकर बैठ गया. मैं अपनी हथेली उसके सीने पर फिराने लगी , फ़िर अचानक मैंने उसे चूम लिया।
फिर तो नवीन पूरा मर्द बन गया , उसने मेरी शर्ट जींस ब्रा और पेंटी तक उतार डाली और अपनी लुंगी भी खोल फेंकी ।

मैंने जैसे ही उसकी दोनों जाँघों के बीच लटकते उसके लण्ड को देखा तो अपने नंगेपन का ख्याल छोड़ कर मैं उस पर झपट पड़ी और अपने हाथों से उसे दबोच लिया , फिर उसे अपने होंठों से चूमती चाटती हुई मैं चटखारे लेने लगी ।

फ़िर हम दोनों जोरदार धक्का मुक्की में लग गए. कुछ ही देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया लेकिन नवीन अभी भी पूरी तरह मजबूती से मैदान में डटा हुआ था.
वह मेरा पानी छुट जाने के बाद भी मेरी चूचियों को प्यार से सहलाता रहा और मेरी जाँघों और मेरी चूत को हौले हौले मसलता रहा ।

कुछ देर में मेरे बदन में दोबारा आग लग गई. मैं भी नवीन के लण्ड से खेलने लगी।
फिर तो नवीन ने मुझे दोबारा चित कर दिया और मेरी चूत में अपना लौड़ा डाल दिया ।

मैं उछल उछल कर उसका उत्साह बढ़ाने लगी और वह कमर हिला हिला कर मेरी चूत पर जोरदार धक्के मारने लगा. मैंने अपने आप को रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन नवीन के लौड़ा ने मेरी कसी हुई चूत में ऐसी खलबली मचा दी थी की थोडी ही देर में मैं दोबारा झड़ गई.

इस बार नवीन ने मेरा पानी छूटने के बाद भी मुझे छोड़ा नहीं और मेरी चूत पर जोर जोर से धक्के मारता चला गया । शायद वह भी झड़ने के करीब आ चुका था.
कई जोरदार धक्के मारने के बाद वह अपने आठ इंच के लौड़ा को जड़ तक मेरी चूत में घुसा कर मेरे ऊपर औंधा पड़ गया.
उसके बदन में काफी जोर की सिहरन हुई और उसके साथ ही उसके लौड़े ने मेरी चूत में गर्मागर्म लावा उगल दिया ।

मैंने खुशी में उसको अपनी मांसल बाँहों में बाँध लिया और उसके चेहरे पर चुम्बनों की बौछार कर दी ।अब मेरा मकसद तो पुरा हुआ , लेकिन मुझे अब अपने पति से किया वायदा पूरा करना था ।

इसलिए कुछ दिन के बाद जब नवीन घर में नहीं था , मैंने उसकी बीबी शीनू को अपने घर बुला कर ॠषभ के हवाले कर दिया , हालांकि काफी दिनों से शीनू का मन ॠषभ के साथ चुदाई का आनन्द लेने का था क्योंकि मैंने उसे बता रक्खा था कि ॠषभ को औरत की चूत चूसने और चाटने का महारत हासिल है ।

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