Chacha Ji Ne Ki Meri Pehli Chudai

sidhiravish 2018-02-28 Comments

मैंने अपनी कुर्ती उतर दी और ब्रा के ऊपर से अपने चूचे को सहलाने लगी, इस से मेरे बदन की आग और भी तेज हो गयी, मैं पागल होती जा रही थी, मैंने अपने चुचों को अपने नाखूनों से कुरेदना शुरू कर दिया.

फिर चुत को ऊपर से सहलाने लगी सलवार के अंदर हाथ डाल कर जैसे चुत को छुआ तो मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया. मैं कुछ नहीं सोच पा रही थी और अपनी चुत को सहलाती जा रही थी.

अगले ही पल मेरी चुत से पानी की बौछार निकल गयी, थोड़े समय क लिए तो मैं हिल भी नहीं पा रही थी, जैसे तैसे खुद को संभाला और अपनी सलवार को बदलने चली गयी, सारी सलवार मेरे चुत के रस में भरी हुई थी.

मैंने सलवार को बिना धोये ऐसे ही बाथरूम में रख दिया और बेड पर आ कर लेट गयी, मेरी आंख लग हो गयी, थोड़ी देर बाद उठी तो देखा तो छेह बजे हुए थे.

चाचा जी के आने का समय हो गया था, तभी मुझे अपनी सलवार याद आयी मैं झट से आपनी सलवार धोने के लिए बाथरूम में गयी, मुझे बाथरूम के अंदर से कुछ आवाज आ रही थी, जैस चाचा जी किसी को गालियां दे रहे हो.

मैंने थोड़ा सा दरवाजा खोला तो देख के मेरे होश से उड़ गए, मेरे चाचा जी मेरी पंतय को जोर जोर से चूस रहे थे और मेरी सलवार को नीचे रख कर उस पर अपना लोडा रगड़ रहे हैं और “बहनचोद की सिद्धि ले मेरा लोढ़ा कह रहे हैं” मैं थोड़ा डर गयी और वहां से चली गयी.

चाचा जी थोड़ी देर में बाहर आये और मुझसे पूछा तुम आज जल्दी सो गयी थी काम कर के थक गयी थी?

मैंने कहा की बस आज थोड़ी ताब्यात ठीक नहीं थी इस लिए आराम कर लिया!

मैंने चाचा जी को खाना दिया और थोड़ी देर बाद हम सोने चले गए, मैं चाचा का वो रूप देख कर डरी जा रही थी.

इस सोच सोच में मेरी आंख लग हो गयी, फिर कुछ टाइम बाद मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे चूचे किसी चीज क नीचे दबे हुए हो, कमरे की लाइट बंद थी मेंने आंखे खोल क देखा तो पता चला मेरे चूचे को कोई कुर्ती के ऊपर से दबा रहा है.

मैं समझ गयी की चाचा जी मेरे चूचे दबा रहे हैं, मैं सोच रही थी की मैं इसका विरोध करूं या नहीं, पर मेरे बदन में आग दौड़ने लगी, मैं चुप चाप लेती रही मैंने कोई हरकत नहीं की.

पर उनका चुचों को दबाने का बल बढ़ता जा रहा था, मुझे अपनी चींख रोकने में दिक्कत हो रही थी, मैं फिर थोड़ा हिली तो उन्होंने आपने हाथ पीछे कर लिए जिससे मुझे राहत महसूस हुई, पर मुझे नहीं पता था की चाचा के मन में क्या है.

मैं चाचा की तरफ कमर करके लेट गयी, फिर उन्होंने मेरी गांड पर अपना हाथ रखा और सहलाने लगे, मैंने पेंटी नहीं पहनी थी तो मेरी गांड और उनके हाथ के बीच में बस सलवार का पतला कपड़ा था.

मैं बहकने लगी पर मेरे चाचा नहीं रुके, वो अपना लोडा हिलाये जा रहे थे और साथ मेरी गांड को सहलाये जा रहे थे, ऐसा करते करते उन्होंने अपना लोडा गांड पर लगा दिया और मसलने लगे.

उनको शायद पता लग गया था की मैं उठी हुई हूँ, उन्होंने मेरा हाथ अपने लोडे पर रख लिया और मेरे हाथ में अपना लोडा ऊपर नीचे करने लगे, मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा.

मैं अपना हाथ हटाने लगती तो वो जोर से पकड़ लेते, तब उनकी हिम्मत बढ़ गयी और मेरे कान में आ कर बोले “बहनचोद रंडी सोने का नाटक कब तक करेगी”.

मेरा तो जैस दिल हिल गया और मैं कामपनी लगी, उनकी तरफ मुँह किया तो उन्होंने मेरे होठों को जोर से चूमना और काटना शुरू कर दिया, मैं चीला भी नहीं पा रही थी बस आआआह्ह्ह्ह मममममम की आवाज निकल पायी.

मैं उनको पीछे हटाना चाह रही थी पर मेरी कोशिश नाकाम रही, पर फिर मैं जैसे तैसे दूर हो गयी, मैंने चाचा से कहा “ये सब गलत है” पर वो बोले “जब इतनी ही शरीफ बन ना था तो मेरे लोडे को एक टक क्यों देख रही थी, मेरे नाम की मुठ मार रही थी, ले आज मैं तुझे असली चुदाई का मजा देता हूँ”.

मैं डर रही थी और रोना शुरू कर दिया, पर मेरे चाचा नहीं माने और मुझे पकड़ कर मेरे चुचों को दबाने लगे, उनका हाथ बहुत भरी है मुझे ऐसा लग रहा था मनो मेरे चूचे किसी पत्थर के बीच कुचले जा रहे हो.

मैं चीला रही थी “नहीं आआह्ह चाचा जी प्लीज मुझे छोड़ दो प्लीज आआअह्ह्ह्हह एआईईईई मम्मा बचओउ आआह्ह” पर मेरे चाचा नहीं माने और गलियां देने लगे “साली कुतिया रंडी की यहां कोई बचाने नहीं आएगा”.

उन्होंने मेरी कुर्ती खिंच कर फाड़ दी, जिससे मेरे चूचे उछल कर बाहर आये, मैं रात को पेंटी और ब्रा नहीं डालती तो चूचे मनो आजाद हो गए थे. यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है!

चाचा जी ने लाइट भी जला दी, अब मेरी नजर पहले उनके लोडे पर पड़ी, वो ऐसे खड़ा था जैसे जंगल का अकेला मोटा पेड़, उनका काला लोडा फुंकार रहा था जैस चुत के लिए तड़प रहा हो, मैंने अपने चुचो को देखा वो लाल हो गए थे.

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