Sumit Aur Uska Parivar – Part 4

Dilwala Rahul 2016-06-26 Comments

This story is part of a series:

भावना- तेरी छाती में कितने बाल है बाप रे, इतने तो सर में होते हैं, कहाँ तक फैलें हैं ये?

सुमित- पेट से भी नीचे तक माँ, रुको मैं बनियान उतरता हूँ, अब देखो.

भावना- बाप रे इतने बाल हैं पेट तक.

सुमित- माँ पेट से भी नीचे तक घने बाल हैं टांगों में खत्म होते हैं सीधे.

(भावना चौंकते हुए अपने बेटे की चौड़ी छाती के बाल देखती है, पेट से छाती तक बालों में हाथ फेरती है, भावना की नजर सुमित के पैजामे में खड़े झटके मारते हुए लण्ड पर भी जाती है, और भावना हंसने लगती है)

भावना- अब बड़ा हो गया तू, गबरू जवान. कोई गर्लफ्रेंड है क्या कॉलेज में?

सुमित- नहीं माँ अभी नहीं, मुझे कोई पसंद ही नहीं आती.

भावना- क्यों, कैसी लड़की पसंद है तुझे?

सुमित- माँ आपके जैसी, मोटी सी, जिसकी चूचियाँ मोटी हों, जिनका दूध में रात भर पी सकूँ.

भावना- तेरे साथ जिसकी शादी होगी उसकी चुच्ची को चूस चूस कर पका देगा तू तो, बड़ा ही दीवाना है तू चुच्ची का.

सुमित- हाँ माँ तभी तो आपकी चुच्ची चूसना चाहता हूँ. प्लीज चूसने दो.

भावना(सुमित के सर पर हाथ फ़ेरते हुए)- माँ की चुच्ची चुसेगा? लेकिन ज्यादा मत चूसना बचपन की तरह ठीक है?

सुमित- हाँ माँ, कम चुसुंगा. जल्दी दिखाओ चुच्ची प्लीज प्लीज प्लीज..

भावना- ज्यादा जोश में मत आ, जोश में होश मत खो देना तू.

(फिर भावना नाईटी के ऊपर से ही अपने दोनों बूब्स बाहर निकाल देती है जो अब सुमित के सामने नंगे थे, सुर्ख काले रंग के खड़े निप्पल बड़े बड़े गोरे बूब्स में ठीक वैसे लग रहे थे जैसे अंग्रेजों के बीच में कोई नीग्रो)

भावना- आजा, चूस ले इन्हें.

(भावना के इतना कहते ही सुमित बूब्स में भूखे शेर की तरह झपट जाता है और रगड़ रगड़ के निप्पल को चूसता है, भावना सिहर उठती है और अपने बूब्स को दबाते हुए जैसे उनसे दूध निकाल रही हो सुमित को चुसवाती है)

भावना- अह्ह्ह… ठीक ऐसे ही चूसता था सुमित तू इन्हें बचपन में, तूने पुरानी यादें ताज़ा करदी कसम से बेटे. अह्ह्ह्ह…

(सुमित लगातार बूब्स को चूसता है, उसे काफी समय बाद इतने विशालकाय और गोरे बूब्स चूसने को मिले थे, एक पल भी वो इन्हें बिना चूसे व्यर्थ नही करना चाहता था इसलिए वो पागलों की तरह चूसे जा रहा था और भावना भी इसका फायदा उठा कर मजे ले रही थी, पैजामे में लगातार सुमित का लण्ड झटके मार रहा था, और उसने ऊपर से भी कुछ नहीं पहना था, भावना सुमित की छाती में हाथ फ़ेरने लगती है)

भावना- कितना भूखा है मेरा लाडला बेटा, पी ले बेटा दूध आज जितना भी पी सकता है, अह्ह्ह्ह… उम्म्म्म्म…

(आधा घंटा हो गया अब भवना को नींद आ रही थी लेकिन सुमित चुच्चियां चूसे जा रहा था, रुकने का नाम नही ले रहा था, और भावना को नींद आ जाती है…

सुबह जब भावना उठती है तो देखती है सुमित अभी भी उसके बूब्स चूस रहा है, और वो गुस्से से सुमित को अलग करती है और देखती है उसके बूब्स के काले निप्पल में सूजन आ गयी थी और वो फूल कर बहुत मोटे दाने जैसे हो गए थे)

भावना- पागल लड़के, तू सोया नहीं क्या?

सुमित- नहीं माँ, मैं निप्पल चूस रहा था, बहुत मजा आया, रात भर आपके निप्पल चूसे, इसमें से हल्का सा दूध भी आया.

भावना- उफ्फ्फ ये लड़का तो पागल है, इतना चूसेगा तो दूध तो निकलेगा ही, अब देख कितने मोटेे हो गए ये, डॉक्टर को दिखाना पड़ेगा अब.
इससे बढ़िया रोज़ थोडा थोडा चूसता, अब ऐसे ही बैठा रह तू.

सुमित- सॉरी माँ, डॉक्टर को मत दिखाओ ऐसे ही सही हो जायेगा ये.

भावना- तू डॉक्टर है क्या?

सुमित- मेने इंटरनेट में पढ़ा था इसके बारे में.

भावना- चल ठीक है, अब उठ जा तू, ऋचा तो स्कूल जायेगी अभी. उसके लिए लंच पैक कर देती हूँ, तब तक तू भी नाहा धो ले, बदबू फैला रखी है तूने कमरे में.

(ऋचा स्कूल चली जाती है, अब भावना और सुमित घर में अकेले थे, आज भावना ने अलग टाइप की नाईटी पहनी जो सुमित ने पहले कभी अपनी माँ को पहने हुए नहीं देखा था, भावना ने चिपले फिसलनदार कपडे की लाल रंग की बिना बाहों की नाईटी पहनी थी, जिसका गला बहुत ज्यादा खुला हुआ था, बैकलेस थी, और नीचे से भी स्कर्ट के जैसी झांघों से ऊपर तक थी, सुमित की आँखें हवस से लाल हो गयी और वो आँखें फाड़ फाड़ कर अपनी माँ को देखे जा रहा था और कामुक ख्यालों में डूब गया)

भावना- अरे लाडले कहाँ खो गया?

सुमित- तेरे ख्यालों में माँ, माँ आज तू बहुत ही खूबसूरत लग रही है, बिलकुल परी जैसे.

भावना- ओहो, आज तो माँ की तारीफ़ हाँ, इतनी मोटी हूँ, अगर पतली हो जाउंगी तो तेरे साथ कॉलेज जाउंगी, बच्चे मुझे तेरी माँ नहीं गर्लफ्रेंड समझने लगेंगे.

सुमित- तो पतले हो जाओ आप, जिम जाया करो.

भावना- अच्छा मतलब मुझे गर्लफ्रेंड बनाएगा अपनी. ह्म्म्म्म.. शैतान है बहुत.

सुमित- आप हो ही इतनी खूबसूरत, कोई भी आपको अपनी गर्लफ्रेंड बनाना चाहे. चुच्ची कैसी है अब आपकी, दर्द है क्या?

भावना- अब थोडा ठीक है, रात में चूस चूस कर तूने कचुम्मर निकाल दिया सही में. मेरी तो जान ही निकल गयी थी मानों.

(तब भावना किचन में काम करती है, और सुमित उसे काम करते हुए देखता है, भावना को स्लीप से एक डब्बा निकालना था, भावना अपने पैर के पंजों के बल खड़ी होकर डब्बा निकालने की कोशिश करती है लेकिन लंबाई कम होने के कारण नहीं पहुच पाती..

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