Badi Mushkil Se Biwi Ko Teyar Kiya – Part 7
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अनिल ने कहानी को आगे बढ़ाते हुए कहा, “महेश की पत्नी अपने पति के प्रति बड़ी आभारी थी क्यूंकि उसने अपनी पत्नीको उसके मित्रके साथ सेक्स करनेको कहा। तब से उन पति पत्नी में खूब जमती है और वह कई बार महेश के साथ थ्रीसम का आनंद ले चुके हैं। वैसे भी अब उन पति पत्नी को एक दूसरे के साथ सेक्स करने में भी बड़ा आनंद मिलता है, क्यूंकि उस समय वह अपने थ्रीसम के आनंद के बारेमें खुल कर बात करते हैं।“ अनिल ने अपनी कहानी का समापन करते हुए एक जगह गाडी रोकी।
अनिल की कहानी सुनते हुए मेरे रोंगटे खड़े हो गए। मैं खासा उत्तेजित हो रहा था। मैंने नीना के हाथ में हाथ डाला तो उसने भी मेरा हाथ जोरों से दबाया। मुझे लगा की वह भी काफी उत्तेजित होगयी है। कार में भी अँधेरा था। मैंने उसका हाथ मेरी टांगों के बिच रख दिया। नीना धीरे धीरे मेरे टांगों के बिच से मेरी पतलून की ज़िप पर हाथ फ़ैलाने लगी। मैंने भी नीना की टांगो के बिच अपना हाथ दाल दिया। नीना ने अपनी टाँगे कसके दबायी और मेरे हाथ को टांगो के बिच दबा दिया।
मैंने देखा की मेरी रूढ़िवादी पत्नी भी अनिल की सेक्स से भरी कहानी सुनकर उत्तेजित हो गयी थी। तब अनिल ने पूछा, “राज, बताओ, क्या महेश और उसके मित्र पति पत्नी ने जो किया वह सही था?” यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।
मैंने कहा, “मैं क्या बताऊँ? नीना से पूछो।”
तब नीना ने जो कहा वह तो मैंने सोचा भी नहीं था। नीना ने कहा, “उन्होंने सही किया या गलत, ये कहने वाले हम कौन होते हैं? अरे वह पति पत्नी ने अपने बारें में सब तरह सोच कर यदि ये फैसला लिया तो सही किया। और बात तो गलत नहीं है। शादी के कुछ सालों बाद हम सब पति पत्नी एक दूसरे से सेक्स करने से थोड़े से ऊब जाते हैं..
इसका कारण यह है की सेक्स में जो नवीनता पहले थी वह नहीं रहती। उत्सुकता चली जाती है। शादी के पहले मन सोचता है सेक्स कैसा होगा? और शादी के बाद मन कहता है. सेक्स कैसा होगा मुझे पता है। इन हालात में उन्होंने जो किया वह सही किया। और फिर उसका फायदा भी तो मिला उनको। उनका विवाहक जीवन सुधर जो गया। क्यों राज, मैंने गलत तो नहीं कहा?”
मैं क्या बोलता। मैंने अपनी मुंडी हिला कर नीना का समर्थन किया। मैं मेरी पत्नी का एक नया रूप देख रहा था। अबतक जो पत्नी मुझ से आगे सोचती नहीं थी वह आज थ्रीसम का समर्थन कर रही थी। तब मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी मंशा सफल हो सकती है।
अनिल ने दोनों हाथों से तालियां बजायी और बोला, “माय गॉड नीना, तुमने कितना सटीक और सही जवाब दिया। मैं तुम्हें इस जवाब के लिए सलूट मारता हूँ। ”
तब हम कार्यक्रम वाले स्थान के करीब पहुँच चुके थे। अनिल ने एक ऐसी जगह कार रोकी जहां प्रकाश था। उसने पीछे मुड़कर कार की सीट पर चढ़कर पीछे की सीट पर रखा एक बक्शा खोला। मैंने देखा की उसमें उसने दो बोतलें और कुछ गिलास रखे हुए थे। उसने तीन गिलास निकाले और उसमें एक बोतल में से व्हिस्की डालनी शुरू की। नीना ने एकदम विरोध करते हुए कहा की वह नहीं पीयेगी।
मैं भी जानता था की नीना शराब नहीं पीती थी। सबके साथ वह कभी कभी जीन का एकाध घूंट जरूर ले लेती थी। शायद अनिल को भी यह पता था। उसने नीना से कहा, “नीना भाभी, आप निश्चिन्त रहो। मैं आपको व्हिस्की नहीं दूंगा। प्लीज आज हमें साथ देने के लिए थोडीसी जीन तो जरूर पीजिए। मैं बहुत थोड़ी ही डालूंगा। देखिये होली है। नीना ने घबड़ाते हुए मेरी और देखा।
मैंने उसे हिम्मत देते हुए कहा, “अरे इसमें इतना घबड़ाने की क्या बात है? भई जीन तो वैसे ही हल्की है और तुम जीन तो कभी कभी पी लेती हो। अनिल इतने प्यार से जो कह रहा है।” मैंने फिर अनिल कीऔर देखते हुए कहा, “देखो अनिल, बस एकदम थोड़ी ही डालना। ”
कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार निचे कोममेंट सेक्शन में जरुर लिखे.. ताकि देसी कहानी पर कहानियों का ये दोर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।
अनिल ने मुस्काते हुए सीट पर पीछे मुड़कर सीट पर चढ़कर लंबा होकर नीना के लिए जीन से गिलास को खासा भरा और फिर दिखावे के लिए उसमें थोड़ा पानी डाल कर नीना के हाथ में पकड़ा दिया। जीन वैसे ही पानी की तरह पारदर्शक होती है। देखने से यह पता नहीं लग पाता की गिलास में जीन ज्यादा है या पानी।
मेरी भोली बीबी ने समझा की उसमें बस पानी ही है, जीन तो नाम मात्र ही है। नीना उसे पीने लग गयी। जीन का टेस्ट मीठा होता है। नीना को अच्छा लगा। वह उसे देखते ही देखते पी गयी। जब हम सबने अपने ड्रिंक्स ख़तम किये तब अनिल कार को कार्यक्रम के स्थान पर ले आया। मैं जानता था की जीन भी तगड़ी किक मारती है।
पढ़ते रहिये.. क्योकि ये कहानी अभी जारी रहेगी.. और मेरी मेल आई डी है “[email protected]”.
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