Badi Mushkil Se Biwi Ko Teyar Kiya – Part 9

iloveall 2016-08-31 Comments

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मैंने नीना के रसीले होठों पर अपने होंठ रख दिए और उसके होठों को चूसने लगा। नीना ने अपनी आँखें बंद कर ली। अनिल ने हमें चुम्बन करते देख हमारे मुंह के बिच अपना मुँह घुसेड़ दिया। जब मैंने देखा की अनिल भी नीना के रसीले होंठो को चूसना और उसे किस करने के लिए उतावला हो रहा था तो मैं बीचमें से हट गया।

तब अनिल और नीना के रसभरे होंठ मिल गये और अनिल ने नीना का सर अपने हाथ में पकड़ कर नीना के होठों को चूसना शुरू किया। नीना की आँखे बंद थीं। पर जैसे ही अनिल की मूछें उसने महसूस की, तो उसने आँख खोली और अनिल को उस से चुम्बन करते पाया। वह थोड़ी छटपटाई और मुंह हटाने लगी। पर अनिल ने उसका सर कस के पकड़ा था।

वह हिल न पायी और शायद उसे याद आया की उस रात उसने मुझे अनिल को अपना थोडा सा स्त्री जातीय प्यार देनेका वादा किया था। शायद यह सोच कर वह शांत हो गई और अनिल के चुम्बन में उसकी सह भागिनी हो गयी। मेरे लिए यह एक अकल्पनीय द्रष्य था। मेरी रूढ़िवादी पत्नी मेरे प्रिय मित्र को लिपट कर किस कर रही थी। नीना ने जब देखा की वह उसकी जीभ को भी चूसना चाहता था तब नीना ने अनिल के मुंह में अपनी जीभ को जाने दिया।

अनिल मेरी प्रिय पत्नी को ऐसे चुम्बन कर रहा था जैसे वह अब उसे नहीं छोड़ेगा। नीना साँस नहीं ले पा रही थी। उसने अपना मुंह अनिल के मुंह से हटाया और जोरों से सांस लेने लगी। अनिल नीना को कष्ट में देख थोड़ा खिसिया गया। उसकी खिसियानी हालत देख नीना ने उसे अपनी एक बांह में लिया और मुझे दूसरी बाँह में। हम दोनों को अपनी बाँहों में ले कर वह पलंग पर लेट गयी।

उसका मुंह अनिल की और था। मैं उस के पीछे लेटा था। उसने एकबार फिर अनिल के होंठ से अपने होंठ मिलाये और अब वह और जोश से अनिल को चुम्बन करने लगी। तब अनिल और मेरी पत्नी ऐसे चुम्बन कर रहे थे जैसे दो प्रेमी सालों के बाद मिले हों। नीना के दोनों हाथ अनिल के सर को अपनी बाँहों में लिए हुए थे। अनिल ने भी मेरी पत्नी को कमर से कस के अपनी बाँहों में जकड़ा हुआ था।

यह द्रष्य मेरे लिए एकदम उत्तेजित करने वाला था। मेरा लण्ड एकदम कड़क हो गया था। मैंने भी नीना को पीछे से मेरी बाहोँ में जकड़ा और मेरी पत्नी के दोनों स्तनों को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर मसलना शुरू किया। हम तीनों पलंग पर लेटे हुए थे। मैंने फिर मेंरे कड़े लण्ड को मेरी पत्नी के गाउन ऊपर से उसकी गांड में डालना चाहा। मैं उसे पीछे से धक्का दे रहा था। इस कारण वह अनिल में घुसी जा रही थी। अनिल पलंग के उस छौर पर पहुँच गया जहाँ दीवार थी और उसके लिए और पीछे खिसकना संभव नहीं था।

अचानक नीना जोर से हँस पड़ी। उसे हँसते देख अनिल ने पूछा, “भाभीजी, क्या बात है? आप क्यों हंस रही हो?”

तब नीना सहज रूप से बोल पड़ी, “तुम्हारे भैया मुझे पिछेसे धक्का दे रहे हैं। उनका कड़क घंटा वह मेरे पिछवाड़े में घुसेड़ ने की कोशिश कर रहे है। इनकी हालत देख मुझे हंसी आ गयी।”

मैंने पहली बार मेरी रूढ़ि वादी पत्नी के मुंह से किसी पर पुरुष के सामने लण्ड के लिए कोई भी शब्द का इस्तमाल करते हुए सुना। मुझे लगा की जीन और व्हिस्की की मिलावट के दो पुरे पेग पीनेसे अब मेरी बीबी थोड़ी बेफिक्र हो गयी थी। साथ में वह अब अनिल से पहले से काफी अधिक घनिष्ठता महसूस कर रही थी।

इसे सुनकर अनिल ने रिसियायी आवाज में कहा, “भाभीजी, आपने अपने पति की हालत तो देखी पर मेरे हाल नहीं देखे। यह देखिये मेरा क्या हाल है?”

ऐसा कहते ही नीना को कोई मौका ना देते हुए अनिल ने नीना का हाथ पकड़ कर अपने दोनों पांव के बीच अपने लण्ड पर रख दिया और ऊपर से नीना के हाथ को जोरों से अपने लण्ड ऊपर दबाने लगा। मेरे पीछे से धक्का देने के कारण नीना के बहुत कोशिश करने पर भी वह वहां से हाथ जब हटा नहीं पायी तब नीना ने अनिल के लण्ड को अपने हाथों में पकड़ा। अनिल का पाजामा उस जगह पर चिकनाहट से भरा हुआ गिला हो चुका था। यह देख कर मैं ख़ुशी से पागल हो रहा था। अब मुझे मेरा सपना पूरा होनेका पर भरोसा हो गया।

मैंने तब नीना को पीछे से धक्का मारना बंद किया और मैं पीछे हट गया। अब नीना चाहती तो अपना हाथ वहां से हटा सकती थी। परंतु मुझे यह दीख रहा था की नीना ने अपना हाथ वहां ही रखा। वह शायद अनिल के लण्ड की लंबाई और मोटाई भाँप ने की कोशीश कर रही थी। अनिल के पाजामे के ऊपर से भी उसे अनिल के लंबे और मोटे लण्ड की पैमायश का अंदाज तो हो ही गया था।

मेरी प्यारी बीवी जब अनिल के लण्ड की पैमाइश कर रही थी तब अचानक ही उसके गाउन की ज़िप का लीवर मेरे हाथों लगा। मैंने कुछ न सोचते हुए उसे नीचे सरकाया और उसको नीना की कमर तक ले गया।

उसके गाउन के दोनों पट खुल गए। नीना ने अंदर कुछ भी नहीं पहन रखा था। जैसे ही गाउन के पट खुले और ज़िप कमर तक पहुँच गयी तो उसके दो बड़े बड़े अनार मेरे हाथों में आ गये। जैसे ही अनिल ने नीना के नंगे स्तनों को देखा तो वह पागल सा हो गया। इन स्तनों को ब्लाउज के निचे दबे हुए वह कई बार चोरी चोरी देखता था। उस समय उसने सपने में भी यह सोचा नहीं होगा की एक समय वह उन मम्मों को कोई भी आवरण के बिना देख पायेगा।

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