Dosti Ka Karz Ada Kiya – Part 1
Desi Sex story
हलो दोस्तों आपका दोस्त दीप पंजाबी अपनी नई कहानी लेकर आपकी सेवा में हाज़िर है । सबसे पहले अपने बारे में बता दूं। दोस्तों मैं पंजाब से 29 वर्षीय लड़का, कद 5 फीट 3 इंच, रंग गेंहुआ ऐ। इस साइट पे मेरी पहली कहानी है। सो ज्यादा बोर न करते हुए सीधा कहानी पे आते है।
कहानी शुरू होती है साल 2009 की गर्मियों के दिनों से , जब मैं पढ़ाई से फ्री होकर काम काज की तलाश में इधर उधर भटक रहा था। तो हमारे गांव से बाहर छोटी सी नहर निकलती है। उसकी दूसरी साइड एक नर्सरी का काम चल रहा था।
पौधे लगाने वाले भी मेरी जान पहचान के थे। उनसे बात करके मैं भी उनके साथ काम पे जाने लगा। अभी थोड़े दिन ही हुए थे काम पे जाते हुए के काम का बोझ देखते हुए हमारे मालिक ने लेबर बढ़ाने का कह दिया।
काफी दिनों बाद एक यूपी साइड का लड़का जिसका नाम देवी सिंह था, काम पे आने लगा। पहले तो अकेला आता था फेर अपनी पत्नी सुनीता को भी साथ लेके आने लगा। थोड़े दिनों में ही इस नए जोड़े से अच्छी जान पहचान हो गयी।
दोनों मिया बीवी घुल मिल से गए। एक अपनापन सा जताने लगे। उन दोनो के औलाद नही थी। सारा दिन यही हसी ख़ुशी काम करके शाम को घर को चले जाते। इस तरह से कई महीने बीत गए।
अब मुझे भी परिवार का सदस्य मानने लगे। हर घर की निजी या आम बातचीत शेयर करते। मेने भी उन्हें कभी पराया नही समझा, दोपहर का खाना हम साथ ही खाते। एक दिन देवी सिंह कम पे नही आया सिर्फ उसकी बीवी ही आई थी। मेने पूछा तो पता चला के उसके कुछ टेस्ट करवाने है इस लिए आज छूटी पे है।
मेने कहा,” कैसे टेस्ट भाभी ?
वो बोली,” कुछ पर्सनल टेस्ट है और इतना बोल के एक शरारत भरी स्माइल दी।
मेने फेर दुहराया क बताओ न क्या हुआ देवी को ?
वो बोली के खाना खाते वक़्त बताउंगी ?
फेर हम काम पे लग गए ।
करीब 3 घण्टे बाद खाने का टाइम हो गया। हम दोनों ने नल से हाथ धोये और बड़े से पेड़ की छाँव क निचे साथ लेके गए कपड़ा बिछा लिया और चौकड़ी मार के उसी पे बैठ गए और मैंने कहा अब तो बत्तादो न प्लीज़।
वो बोली,” जरा सा भी सब्र नही है आपमें तो, खाना तो खालो फेर आराम से बताएगी।
इस बार थोड़ा गुस्सा था उसकी बात में ।
मेने सॉरी बोला और चुप चाप अपना खाना खाने लगा।
करीब 15 मिनट हम दोनों चुप चाप रहे। अपना खाना खत्म करके मेने अपने हाथ धोये और पोंछ के वही आके बैठ गया पर बोला कुछ भी नही।
अब उसका भी खाना खतम हो चूका था। उसने भी उठ कर नल से हाथ धोये और खाने वाले बर्तन भी और बोली,” अब आओ बाते करते है।
मेने भी नराजगी जताई क मुझे नही कुछ भी सुन ना और अपना मुह दूसरी साइड फेर लिया।
मेरा जवाब सुनके थोड़ा सहम सी गयी और बोली,”अब तुम्हे क्या हो गया?
खाने से पहले तो बार बार पूछ रहे थे । अब जब बताने का मूड है अब इनको सुनना नही कुछ भी।
जाओ यार आप भी, आप भी नही समझोगे मुझे। सारे मर्द एक जेसे होते है।
कल से मैं भी काम पे नही आउंगी। बैठे रहना अकेले यहाँ धुप पे।
इस बार उसकी बात में थोड़ी नराजगी, आंसू और अपनापन सब कुछ था।
मेने उसकी तरफ देख और कहा,” क्यों क्या दिक्कत है आपको क्यों नही आओगे आप कल को
किसी ने कुछ बोला क्या आपको
बताओ न
वो बोली, क्या करुगी आके कोण है यहा जिस से बात करू मैं एकतुम अपने लगते थे तूमने भी दिल तोड़ दिया।
मेने कहा,” क्या मेने दिल तोड़ दिया आपका
और मुझे पता ही नही है
बोली,” हाँ तोडा है तूने ही देखो कितना रुलाया है आज जरा सी बात के लिए।
मेने पास होकर बैठे बिठाये ही उसकी चुनरी से उसके आंसू पोंछे और चुप कराया और पूछा अब बोलो क्या बात है ?
वो बोली हमारी शादी को 3 साल हो गए है। लेकिन अब तक 2 बार बच्चा गिर चूका है। हमने डॉकटर को भी चेक करवाया है और रिपोर्ट बताती है के देवी में ही कोई प्रॉब्लम है। हमने 3-4 जगह दिखा लिया हर जगह यही बात सामने आती है ऊपर से मेरी सासु माँ मुझे ही कोसती रहती है और अपने बेटे की कमज़ोरी को नही मानती। अब तुम बोलो इसमें मैं क्या कर सकती हूँ।
किस कुए में जाकर गिरु। मेरी कोई गलती भी नही है फेर भी गुनहगार हूँ मैं।
मुझे उसकी बाते सुनके बड़ा आस्चर्य हुआ।
फेर बोली क बाकी बाते फेर कभी अभी काम का वक़्त हो गया है। क्या तुम मेरी एक मदद करोगे?
मेने कहा हाँ क्यों नही उस वक़्त नही पता था क्या मदद मांगेगी। बस मेने बिन कुछ सोचे समझे हाँ बोल दिया। वह बोली कल को घर आना वही बताउंगी।
उस दिन हमने सारा दिन काम किया और अगले दिन किसी वजह से हमे काम से छूटी भी थी। मैं उसके घर 10 बजे गया। उसकी सासु माँ ने दरवाजा खोला और मुझे अंदर आने को बोला। अंदर आके देखा के सुनीता रसोई में खाना बना रही थी और देवी कही भी नज़र नही आ रहा था। मेने कुर्सी पे बैठते हुए पूछा, आंटी देवी किधर गया है?
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