Majburi Me Chud Gayi Sunita Bhabhi

Deep punjabi 2016-11-29 Comments

एक दिन मुझे किसी रमेश नाम से फोन आया और बोला,” क्यों दीप भाई हमारे पीछे हाथ धोकर पड़े हो।

डिलीट करदो न जो भी आपके पास मेरी और सुनीता की बातचीत से सम्बंधित सबूत हैं।

मैं – पर इसमें मुझे क्या फायदा होगा ??

वो – तुम्हारी शरत् क्या है ??

मैं – मैंने सुनीता को बता दी है।

वो – ठीक है सुनीता से बात करके बाद में बात करता हूँ।

एक दिन मैं बाज़ार गया हुआ था। वहां सुनीता मिल गयी। क्योंके उनका और हमारा समान एक ही दुकान से आता है। सो हम दोनों ने अपनी अपनी पर्ची दुकान वाले को दी और खुद थोडा दूर उनकी दुकान में ही पड़ी कुर्सियो पे बैठ गए।

मैं -कैसे हो भाभी ??

वो – हाल तो तुमने बेहाल कर रखा है।

इसपे मैं थोडा हँस दिया।

वो – तुम जिस लड़की की तरफ हाथ करोगे उससे तेरी बात करवा दूंगी।

पर मुझसे ऐसा काम नही होगा।

मैं – नही पर मुझे तो आप पसन्द हो।

मैं ये नही चाहता के आप उनको छोड़ दो, मुझसे एक बार सेक्स करलो। फेर कभी आपके रास्ते में नही आउगा।

वो – ठीक है पर थोडा सोचने का वक़्त दो।

मैं – आपको एक हफ्ते का वक़्त दिया। उसके बाद मेरा वक़्त शुरू हो जायेगा।

वो – ठीक है।

और हम अपना अपना सामान लेकर घर आ गए।

एक दिन मेरे माता पिता हमारी रिश्तेदारी में रखे अखण्ड पाठ के भोग पे गए हुए थे। मैं घर पे अकेला था और दरवाजा बन्द करके पढ़ाई कर रहा था।

इतने में डोर बेल सुनाई दी।

जब मैंने दरवाजा खोला तो सामने भाभी खड़ी थी।

मैंने उन्हें अंदर आने का न्योता दिया। वो मेरे कमरे में आकर बैठ गयी। मैं ट्रे में उनके लिए पानी ले आया। पानी पिलाकर पूछा,” कैसे न हुआ भाभी ?

वो – मुझे तम्हारी वो शरत् मंजूर है। यही बताने आई थी।

मैं – सच में क्या ?

वो – हाँ पगले सच में

मैं ख़ुशी में झूमने लगा और भाभी को गले लगाने लगा।

वो – अच्छा ऐसा करो आज रात को मैं दरवाजा खुला रखूँगी, तुम अँधेरे का फायदा उठाकर 10 बजे आ जाना।

मैं – ठीक है भाभी ।

वो अपने घर चली गयी। मेरा एक एक मिनट एक साल की तरह गुज़र रहा था। बार बार मेरी नज़र टाइम देखने के लिए मोबाईल पे जा रही थी। मैंने उस दिन के बिना इतनी बार कभी मोबाईल को देखा नही होगा। जैसे तैसे वक़्त को गुज़ार रहा था कभी टीवी तो कभी मोबाईल पर मेरा ध्यान सिर्फ 10 बज़ने पे था।

मैंने 8 बजे के करीब नहाना शुरू किया, बीस मिनट बाद खाना खाया और अपने कमरे में आकर लेट गया और मोबाईल पे गेम खेलने लगा। यहाँ भी मन नही लग रहा था।

मेरे सारे परिवार ने खाना 9 बजे के करीब खा लिया और अभी भी एक घण्टा बाकी था। उसके बाद मैं चुपके से घर से निकल आया और पक्का करके के कोई मुझे देख तो नही रहा, भाभी के गेट के भीतर दाखिल हो गया। उस वक़्त भाभी नलके के पास बैठी बर्तन साफ कर रही थी। मुझे अंदर आता देख कर खुश हुई और बोली, चुपके से मेरे कमरे में चले जाओ, बर्तन मांज कर अभी आती हूँ। मैं छिपता छिपता भाभी के कमरे में जाकर बैड के निचे छिप गया।

करीब 10 मिनट बाद भाभी आई उसने कमरे को अंदर से लोक किया और मुझे आवाज़ लगाई बाहर आ जाओ अब कोई खतरा नही है।
मैं बैड के निचे से निकलकर भाभी के पास बैड पे आकर बैठ गया। थोडा टाइम हमने नॉर्मल बात की और भाभी बोली,'” चलो जल्दी से ये काम भी खत्म कर लेते है।

मैंने भी उसकी हाँ में हाँ मिलायी।

वो – पर इससे पहले मेरी एक शर्त है।

मैं – भला वो क्या ??

वो – यही के आज के काम के बाद वो रिकॉर्डिंग डिलिट करदोगे ।

मैं – हाँ मंजूर है।

वो – चलो ठीक है आजाओ फेर ।

इतना बोलकर वो बेड पर ही लेट गयी।

मैं उसके ऊपर झुकता हुआ उसके मोटे सुर्ख होंठो का रसपान करने लगा। वो भी मेरा साथ दे रही थी। करीब 10 मिनट चले इस चुम्मा चाटी के बाद मैं एक एक करके उसके कपड़े निकालने लगा।

भाभी – मुझे एक दम नंगा करके खुद कपड़ो में रहो। ये कहाँ का कानून है।

इतना बोलकर वो उठकर मुझपे भूखे शेर की तरह झपटी और मुझे लेटाकर ऊपर बैठकर एक एक करके मेरे  कपड़े निकालने लगी। जब मैं भी बिलकुल नंगा हो गया तो बोली,” ये हुई न बात अब सामना बराबरी का है।

मैं लेटा हुआ तो था ही, मेरे ऊपर आकर मेरे होंठ चूमने लगी। मैंने भी उसको बाँहो में लिया और आँखे बन्द करके खुद को उसके सपुर्द कर दिया। अब थोडा निचे होकर वो मेरी छाती और मम्मो को जीभ से चाटने और होंठो से चूमने लगी।उसकी इस हरकत से मेरा रोम रोम खड़ा हो गया और एक असीम एहसास होने लगा।

वो जैसे जैसे मेरे बदन को स्पर्श करती मेरी प्रतिकिर्या मेरे मुह से झलकती थी। जिसे देखकर वो मुस्कराती। अब धीरे धीरे भाभी मेरे लण्ड तक पहुँच गयी। जो के सावधान पोज़िशन में खड़ा उसको  ही सलामी दे रहा था। उसने लण्ड को मुठी में लिया और उसका टोपा निकाल कर हल्का सा मुह लगाया और बोली,” तैयार हो क्या तुम ?

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