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Deep punjabi 2017-05-24 Comments

वो बोली,” कमाल करते हो आप भी अभी आपको आये हुए आधा दिन भी नही हुआ और भागने की तयारी भी कर ली आपने।

मैं — नही ऐसी बात नही है, लेकिन शाम हो गयी है। मेरे घर वाले मेरी राह देख रहे होंगे। मैं उन्हें शाम तक वापिस आ जाने का बोलकर आया था।

वो — मुझे नही पता आज तुम्हे नही जाने दूंगी। कल चाहे चले जाना। अभी तक तो मेरे दिल के अरमान भी पूरे नही हुए है। उसकी ज़िद के आगे मुझे झुकना पडा। मैंने अपने मोबाइल से अपने घर पे फोन करके बोल दिया के रात होने की वजह से लेट हो जाऊंगा। सो मेरे दोस्त मुझे एक रात रुकने का बोल रहे है। कल दोपहर तक घर वापिस आ जाउगा।

मेरे फोन काटते ही उसने मुझे ख़ुशी से हग किया और मेरी गालो पे ढेर सारो पप्पियाँ ले ली। थोड़ी देर बाद रात हो गयी। हमने सबने इकठे खाया थोड़ी देर रोहित के साथ खेले।

जब 9 बज गए तो रोहित सो गया। उसकी माँ ने उसे बेड पे सुला दिया और मेरे पास सोफे पे आकर बैठ गयी। थोड़ी देर हम ऐसे ही बाते करते रहे। फेर हम दोनों अलग पास वाले कमरे में चले गए और अपना दोपहर वाला कामुक खेल शुरू कर दिया। उस रात मैंने अमृता को 3 बार चोदा। जिसकी संतुस्टी के भाव उसके चेहरे पे साफ साफ झलक रहे थे। बाद में वो उठकर अपने बेटे के पास चली गयी।

अगले दिन सुबह साढ़े 6 बजे अमृता ने मुझे जगाया और चाय पीने को दी। मैंने उठकर उसे अपनी बाँहो में लिया वो बोली सब्र करो जी, पहले चाय तो पीलो, चाय पीकर मैं फ्रेश होने चला गया। मेरे वापिस आने से पहले उसने अपने बेटे को उठाकर स्कूल के लिए तैयार कर दिया। हमने इकठे ही नाश्ता किया थोड़ी देर बच्चे के साथ मौज़ मस्ती की । इतने में उसकी स्कूल वैन उसे लेने दरवाजे पे आ गयी। अमृता ने उसे वैन में बिठाया और अंदर आकर दरवाजा बन्द कर लिया।

मैंने पूछा अब सुबह हो गयी है नाश्ता भी हो गया है अब तो इज़ाज़त है क्या ?
वो मेरे तरफ गुस्से की नज़र से देखने लगी और बोली, आपसे आराम से बैठा भी नही जाता क्या कल के लगे हो जाऊ क्या जाऊ क्या ?

अभी 9 बजे से पहले कोई ट्रेन नही आएगी आपके एरिया की तरफ जाने वाली,

सो आराम से बैठो और जवानी का मज़ा लो। इतना कहकर वो मेरी झोली में आकर बैठ गयी और कामुक हरकते करने लगी जिस से सोये हुए लण्ड महाराज ने अंगड़ाई ली और वो निचे बैठकर ज़िप खोलकर लण्ड को मुह में लेकर आगे पीछे करने लगी। इस बार मैं मज़े में इतना खो गया के मुझे पता ही नही चला के कब मेरा रस्खलित हो गया और पुरा वीर्य उसके मुह में चला गया। जिसे वो गटागट पी गयी और हसकर बोली, क्यों मज़ा आया सावन बाबू ।

मैं — हांजी बहुत ज्यादा मज़ा आया।

वो — अभी 2-3 दिन और रहो ऐसा मज़ा बार बार आएगा।

मैं — कोई बात नही, जब कभी फेर टाइम मिला फेर आ जायेंगे।

वो — चलो ठीक है, आ जाओ जाते जाते एक बार और एक पारी खेल जाओ, क्या पता फेर कब मुलाकात हो आपसे।

मुझे अपना फीडबैक देने के लिए कृपया कहानी को ‘लाइक’ जरुर करें। ताकि कहानियों का ये दोर देसी कहानी पर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।

हमने फेर एक मैच उनके बेडरूम में खेला। फेर उठकर हम इकटठे नहाये। सही पूछो तो मेरा तो आने का बिलकुल भी मन नही कर रहा था। परन्तु कालज और घर की मज़बूरी से उसे छोड़कर आना पड़ा। वो स्टेशन तक मुझे खुद टैक्सी में छोड़ने आई और आते वक़्त कुछ पैसे मुझे ये कहते देने चाहे, के तुम्हारे काम से बहुत खुश हुई हूँ। आज तक इतनी ख़ुशी मुझे पति के काम से भी नही हुई। ये लो इसे अपना इनाम समझकर रख लो। लेकिन मैंने वो पैसे उसे वापिस मोड़ दिए के तुम बहुत अच्छी हो । मैंने ये काम तुम्हारे साथ एक दोस्त होने के नाते और तरस के आधार पे तुम्हारी मज़बूरी देखते हुए किया है। पैसे लेने होतेे तो गांव में कोई कमी थोड़ी न थी ऐसे ग्राहकों की।

उसने गले लगाकर भीगी आँखों से मुझे विदा किया और घर पहुंचकर फोन करने का भी कहा।

सारे रास्ते उसके बारे ही सोचता आया। घर पे आकर भी मेरा दिल नही लगा।मैंने उसे काल करके अपने पहुँचने की खबर सुनाई।

इस तरह वो जब भी समय मिलता मुझे अपने घर बुला लेती और पूरी रात उसके साथ जवानी का खेल खेलता।

सो दोस्तों ये थी मेरी एक और आप बीती, आपको कैसी लगी अपने विचार “[email protected]” पे भेजने की कृपालता करनी। आपके ई मेल्स का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार रहेगा। जल्द ही एक नई फ्री हिंदी सेक्स स्टोरीज हिंदी चुदाई कहानी लेकर आऊंगा तब तक के लिए अपने दोस्त दीप पंजाबी को दो इज़ाज़त, नमस्कार।

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