Chachi Ke Saath Suhagdin Manaya
वो — हाँ ये भी ठीक है।
करीब 20 मिनट बाद जब मैं टिफन देकर वापिस आया तो आंटी खाना खा चुकी थी और सारे काम खत्म करके तैयार होकर बैठी थी।
वो — सुनो, प्रदीप थोड़ा जल्दी आने की कोशिश करना, बच्चो का स्कूल से आने का वक्त होने वाला है।
मैं — ठीक है आंटी जी।
वो मेरे पीछे बाइक पे बैठ गयी और मैंने गांव से बाहर बाइक निकाल कर तेज़ करदी। वो तेज़ स्पीड़ से डरने लगी और मुझे ज़ोर से पकड़कर साथ चिपक कर बैंठने लगी। उसके मोटे मोटे नरम मम्मे मेरी पीठ पे लगते ही मुझे करन्ट सा लगता। जिसका शायद उसे भी पता चल गया। मैंने बाइक के शीशे से देखा के वो हल्के से स्माइल कर रही थी।
मैं जब भी ब्रेक लगाता उसके नरम नरम मम्मे मेरी पीठ पे लगकर मुझे अजीब सा मज़ा देते।
इस तरह हम हँसी मज़ाक करते अस्पताल पहुँच गए।
डॉक्टर के पास पहुंच कर जैसे ही डॉक्टर ने उसका बुखार चेक किया। उसका मुंह खुले का खुला रह गया।
मैं — क्या हुआ डॉक्टर साब, ??
उसने उम्र के हिसाब से मुझे उसका पति समझकर कहा,” आपकी बीवी को तो 100 डिग्री से ऊपर बुखार है। अच्छा हुआ जल्दी ले आये। वरना इनके दिमाग पे भी बुखार का असर हो सकता था ओर ये बेहोश भी हो सकती थी।
डॉक्टर के मुह से बीवी शब्द सुनकर आंटी ने मेरी तरफ देखकर हल्की सी स्माइल दी, पर बोली कुछ नही।
डाक्टर — आप इन्हें बैड पे लिटाये और ठन्डे पानी से इनके माथे पे पट्टी करो। जब तक बुखार कम नही होता। हम कोई गोली, टीका नही लगा सकते।
डॉक्टर की ये बात मुझे जच गयी और मैंने आंटी को इशारे से बेड पे लेटने को कहा।
मैंने उनके वाटर कूलर में से एक खुले बर्तन में पानी डाला और अपने रुमाल को भिगोकर उसके माथे पे पट्टी करने लगा। आंटी बार बार मेरी तरफ देख रही थी। मैंने उन्हें इशारे से चुप ही रहने का कहा।
करीब आधे घंटे बाद आंटी का बुखार डॉक्टर ने जब चेक किया तो स्माइल देकर कहा,” बधाई हो आपकी की गई सेवा सफल हुई, मतलब बुखार बहुत ही कम हो गया है। अब मैं इसे गोली और इंजेक्शन दे देता हूँ।
आंटी को इंजेक्शन देकर बाकी दवाई मुझे सौंपते हुए कहा,” ध्यान से ये दवाई दे देना, आपकी बीवी कल सुबह तक एक दम ठीक हो जायेगी।
उसकी फीस अदा करके हम वापिस आ गए। सारे रास्ते आंटी चुप चाप रही।
घर आकर मैंने पूछा,” क्या हुआ आंटी इतने चुप चाप क्यों हो?
क्या हुआ, मुझसे कोई गलती हुई क्या ?
वो — नही रे, तूने तो मेरी सेवा करके मुझपे अहसान किया है। तुझसे नराज़ क्यों होउंगी।
मैं — फेर चुप क्यों हो और ये कोई एहसान नही बस मुझे अच्छा लगा मेने अपना फ़र्ज़ समझकर कर दिया।
वो — वो डॉक्टर की बात से सोच में पड़ गयी हूँ। उसने न जाने कितनी बार मुझे तुम्हारी पत्नी बना दिया।
मैं — (मज़ाक से) — तो अच्छा ही किया न, इसी बहाने मैंने अपनी पत्नी की सेवा कर ली।
वो — (मुझे मारते हुए) — हट बदमाश, अभी बताती हूँ ।
और वो आँगन में मेरे पीछे डंडा लेकर भागने लगी।
जब हम थक गए तो हांफते हुए उनके बैड पे लेट गए।
वो अब भी डॉक्टर की एक्टिंग करके हंस रही थी।
फेर पता नही क्या हुआ एक दम रोने लगी।
मैंने उसकी तरफ मुंह करके उसे चुप कराया और रोने की वजह पूछी।
वो पहले तो बस ऐसे ही कहकर बात टालने लगी। लेकिन जब मैंने अपनी कसम दी। तो बोली,” प्रदीप जितना प्यार आज तूने मुझे किया है, या कहलो मेरी परवाह की है। उतना तेरे चाचा ने 15 सालो में 1 बार भी नही किया होगा। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
रोना इस लिए भी आ गया के जिसकी मैं बीवी थी, वो बुखार में तड़पती छोड़कर काम पे चला गया और जिसकी एक पड़ोसन मात्र ही थी, उसने अपने काम की भी परवाह नही की और अपने खर्चे पे दवाई भी दिलाई। तुम्हारा ये एहसास मुझपे सदा रहेगा। तुम्हारी इज़्ज़त आज मेरी नज़रों में 100 गुना और बढ़ गई है। कोई भी काम मेरे लाइक होगा तो बताना।
मैं — (मज़ाकिया मूड में) — ठीक है, लेकिन मौके पे मुकर न जाना।
वो — नही मुकरूँगी, अब चाहे जान भी मांग लो, सी तक नही करुंगी।
मैं — चलो, देखते है, क्या होता है ??
इतने में घर से माँ का फोन आ गया के घर पे आ जाओ, कुछ काम है। तो उस दिन तो मैं वापिस चला आया।
कुछ दिन बीतने पे एक दिन ऐसे ही मन में आया के क्यों न आज आंटी को आजमाया जाये। वो उस दिन ऐसे ही फेंक रही थी या सच में ही पसन्द करने लगी है।
इधर मेरी किस्मत भी शायद यही चाह रही थी। जो मैं चाहता था। मेरी मौसी की लड़की को बच्चा होने वाला था। तो माँ को मौसी ने अस्पताल में अपने पास बुला लिया। मेरे पापा अपने दैनिक काम पे चले गए। अब घर पे मैं अकेला रह गया था। मैने नहा धोकर अपने कमरे में मन बहलाने की खातिर टीवी लगा लिया। वहां भी कोई ढंग का प्रोग्राम नही चल रहा था। तो टीवी बन्द करके मोबाइल की गैलरी में जाकर फोटो, वीडियो देखने लगा। वहां वट्सअप में लोड हुई 2-3 पोर्न वीडियो देखकर उन्हें खोलकर देखने लगा।
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