Chachi Ke Saath Suhagdin Manaya

Deep punjabi 2017-06-23 Comments

वीडियो देखते देखते दिमाग में काम चढ़ गया। अब बस एक ही बात सूझ रही थी के कब कोई लड़की मिले और उसको चोदकर अपनी काम ज्वाला ठण्डी कर सकु। इसी उधेड बुन में मैं घर को ताला लगाकर आंटी के घर की तरफ निकल गया।

उस वक्त आंटी दरवाजे पे दूध वाले से दूध लेकर वापिस जा रही थी।

मुझे देखकर उसने आवाज़ लगाई,” हलो प्रदीप कैसे हो ?

मैं — बढ़िया आंटी आप बताओ, अब तबियत कैसी है आपकी ??

वो — एक दम बढ़िया, आओ घर पे अकेली हूँ, । कुछ पल बैठकर बाते करेंगे। वैसे भी सुबह से मूड ठीक नही है।

अंदर जाकर मैं उनके बैड पे बैठ गया।

वो गली वाला दरवाजा बन्द करके मेरे पास कमरे में आ गई।

मैं — क्यों क्या हुआ आंटी, मूड बिगड़ा क्यों है, कि आज चाचा से फेर लडाई झगड़ा हो गया क्या ??.

(मुझे पानी का गिलास देते हुऐे)

वो — नही, झगड़ा तो नही बस आज थोड़ा देरी से जागी तो उनके जाने
का वक्त हो गया था। बस इसपे वो मुझपे चिललाने लगे।

जो दवाई हम लाये थे। उसमे नशा ज्यादा है। जिसकी वजह से नींद गहरी आती है। अब तुम ही बताओ इसमें मेरा क्या कसूर है ?

बात बताते बताते उसकी आँख से आंसू गिरने लगे।

मैं — (उसका चेहरा अपने दोनों हाथो में लेकर, दोनों अंगूठो से उसके आंसू पोंछते हुए ) — अरे। बस, इतनी सी बात पे रो रहे हो। चुप हो जाओ। वैसे एक टाइम देखा जाये तो वो अपनी जगह थोडा सही भी हैं.. जरा सोचो यदि आज भी उनका टिफन तैयार न होता तो वो तो सारा दिन भूखे रह न जाते।

घर का मालिक रोटी कमाने जाये और उसी को ही रोटी नसीब न हो। क्या उसे अच्छा लगेगा ??

वो —- नही ।

मैं — नही न, बस फेर आप दिल पे न लो उन बातो को, पति पत्नी का झगड़ा हर घर की आम कहानी है। यदि ऐसे ही छोटी छोटी बात को लेकर लड़ने लगे तो कैसे पूरी जिंदगी निकलेगी।

फिर भी हम उनको डाँटेंगे के इतनी अच्छी बीवी है, कोई भला इस तरह से डांटता है। आने दो आज चाचा को, उनकी कलास मैं लगाउँगा। अब आप चुप हो जाओ पहले।

मैंने ऐसे बच्चो को बहलाने जैसी दो चार बाते करी।

मेरी बातों को अपनी तरफदारी मानकर वो मेरे गले लगकर रोने लगी और काफी देर तक रोती रही।

वो (रोते हुए ही) — प्रदीप मेरी ही ऐसी किस्मत क्यों है, जब दिल करता है मुझे डाँट देते है। मेरी भी कुछ भावनाए है। जब दिल करे कुचल कर रख देते है। एक दिन भी ऐसा नही आया इन 15 सालो में जब मुझसे एक बार भी प्यार से बात की हो। हर पल काटने को दौड़ते है। कभी तो मेरा दिल करता है सब कुछ छोड़कर कहीं दूर चली जाऊ। इसका दुबारा कभी मुंह भी न देखू।

बस बच्चो की ममता मुझे हर बार ऐसा करने से रोक देती है।

तुम ही बताओ, मैं करु भी तो क्या ?

मैं — देखो आंटी, भावनाओं में बहकर कोई ऐसा उल्टा सीधा काम न कर लेना। जिस से बाद में पछताना पड़े। गुस्सा कुछ पल का होगा, पछताना सारी उम्र पड़ेगा। अगर हाँ यदि आपको मेरी कोई मदद चाहिये तो बताना।

पता नही मेरी इस बात को उसने कैसे समझा, और बोली,” क्या तुम मुझे प्यार करोगे ??

उसका सीधा प्रपोज़ सुनकर मेरा मुंह हैरानी से खुले का खुला रह गया।

चाहे उसने वो ही कहा, जो मैं चाहता था। लेकिन फेर भी न जाने क्यों मुझे थोडा अजीब सा लगा।

उसने दुबारा पूछा बोलो, मेरे लिए इतना कर सकते हो ?

उसकी करुणामई आवाज़ में निवेदन, तरस आदि बहुत ही भावनाये दिखती थी।

मैंने भी हां बोल दिया और बेड पे लेटकर हम एक दूसरे को बेपनाह चूमने लगे।

वो — तुम्हारा बहुत बहुत धन्यवाद । मैं तुम्हे सच में पसन्द करने लगी हूँ। पता नही मेरी बात तुम्हे अच्छी भी लगेगी या नही। पर जो मेरे दिल में है बता दिया। मैं तुम्हे दिल से ओन मानकर बैठी हूँ।

एक तो थोड़ी देर पहले सेक्सी फ़िल्म देखने की वजह से दिमाग खराब हो गया था, ऊपर से आंटी की ऐसी बाते आग पे घी का काम किया। मैंने लगातार 10 मिनटो में पता नही उसको कहाँ, कहाँ से चूम लिया। वो भी आँखे बन्द किये मेरे हर चुम्बन का मज़ा ले रही थी। मैंने उसे उठने का इशारा किया वो झट से खड़ी हो गयी। मैंने उसके एक एक करके सारे कपड़े उतार दिए।

भगवान ने आंटी का क्या गज़ब का शरीर बनाया था। मैंने जल्दी से अपनी निक्कर को बनियान उतार दी। मेरा लण्ड लोहे की रॉड की तरह बोलकुल सीधा तनकर हटकोरे खा रहा था। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।

मैंने आंटी के हाथ में अपना तना हुआ लण्ड पकड़ा दिया। जिसे देखकर आंटी की आँखे फ़टी की फ़टी रह गयी।

वो — इतना बडा और मोटा, इतना तो तुम्हारे चाचा का भी नही है।

मैंने इशारे से उसे लण्ड चूसने को कहा।

वो — छी.. छी.. ये भी कोई चूसने की चीज़ है। मैं नही चूसूंगी, मुझे उलटी लग जायेगी।

मेरा मन उस से लण्ड चूसने का था। परन्तु वो मान ही नही रही थी।।

मेरे दिमाग में एक तरकीब आई।

मैंने अपना मोबाइल उठाया और एक सेक्सी वीडियो चला दिया।

Comments

Scroll To Top