Ger Mard Sang Pehli Baar

sujata yadav 2015-03-08 Comments

“ओह सुजाता, कब से इस दिन का इंतज़ार था, कितनी देर से तुम्हारे दरवाजे के बाहर खड़ा हूँ, अब सब्र नहीं होता, जान” कह कर उन्होने ने मेरे होंठों को चूम लिया। मैं तो सकपका गई, । “रमेश भाई साहब ये आप क्या कर रहे हो, पिताजी जाग जाएंगे”। मगर वो तो सब कुछ भुला कर सिर्फ मुझे यहाँ वहाँ चूमने मे लगे थे। मैं नहीं चाहती थी के हमारी आवाज़ पिताजी तक पहुंचे, मैं उन्हे अपने साथ स्टोररूम के पीछे वाले कमरे मे ले गई। वहाँ पे मैंने दरवाजा बंद करके मोमबती जला ली क्योंकि लोड शेडडिंग की वजह से लाइट की प्रोब्लेम थी। मोमबत्ती की रोशनी मे जब उन्होने ने मुझे अपनी बाहों मे भरा तो मैं भी उनसे लिपट गई। हम दोनों ने एक दूसरे के होंठ चूसे। कभी मैं तो कभी वो, कभी नीचे वाला तो कभी ऊपर वाला, एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे। होंठ चूसते चूसते हमने एक दूसरे के मूंह मे अपनी अपनी जीभ भी घूमा दी, दोनों ने एक दूसरे की जीभ को चूसा। मैंने अपने हाथ उनके चौड़े विशाल कंधो पे रखे थे तो वो अपने हाथों से मेरी पीठ और मेरे चूत्ड़ सहला रहे थे और इसी दौरान उन्होने ने मेरी साड़ी खोल दी, अब मैं सिर्फ चोली और पेटीकोट मे थी। उन्होने अपने दोनों हाथों मे मेरे दोनों स्तन पकड़ लिए और खूब ज़ोर ज़ोर से मसले। मुझे अपनी चूत मे गीलापन और अपने स्तनो मे कड़ापन महसूस हो रहा था।

फिर रमेश जी ने मुझे अपने से अलग किया और अपने कपड़े उतारने लगे। मैं जाकर गद्दे पे लेट गई। मोमबत्ती की रोशनी मे मैंने देखा, रमेश का काला मस्त ल्ंड जो अभी तक पूरी तरह से तना नहीं था और उसके पीछे झूलते उनके चीकू जैसे दो आँड। जब वो पूरे नग्न हो कर मेरी तरफ आए तो मैंने खुद ही अपना पेटीकोट ऊपर उठाया और अपनी टाँगे फैले कर उन्हे अपने अंदर आने का न्योता दिया। उन्होने मेरी चूत को देखा फिर झुक कर मेरी चूत का एक चुंबन लिया, चूत के बाद मेरी जांघो, कमर, बगलों पर चुंबनो की बौछार कर दी। मैं तो तड़प उठी, मैं तो चाहती थी के रमेश जी झट से अपना ल्ंड मेरी चूत मे डाले और मुझे चोद दे। सो जब वो मेरे स्तनो को दबा रहे थे और मेरे क्लीवेज मे अपनी जीभ घूमा के चाट रहे थे तो मैंने उनका ल्ंड जो अब पूरा तन चुका था, अपने हाथ मे पकड़ा और अपनी चूत पे रखा और अपने दोनों हाथ उनके चूतड़ों पे रख कर उन्हे आगे को दबाया। रमेश जी मेरे मन की बात समझ गए और उन्होने ने अपना ल्ंड मेरी चूत मे ठेल दिया। बड़े आराम से उनका ल्ंड मेरी चूत मे समा गया। वो बड़े आराम से मुझे चोद रहे थे। मैंने खुद अपना ब्लाउज़ और ब्रा ऊपर उठा कर अपने दोनों स्तन उनको पेश किए, जिसे उन्होने अपने मूंह मे लेकर चूसा। “आह,” क्या आनद था।

मुझे लगा रहा था के मैं ज़्यादा देर नहीं टिक पाऊँगी। मैंने कहा,” रमेशजी, मैं ज़्यादा देर सहन नहीं कर सकती, मुझे जल्दी से सखलित करवा दो, ज़ोर ज़ोर से करो”। रमेश जी ने वैसे ही किया, करीब 1 मिनट के भीतर ही मैं सखलित हो गई। मैंने अपनी पूरी ताक़त से रमेश जी को अपने मे भींच लिया। मेरी आँखों से आँसू निकाल गए। इस आनंद के लिए मैं इतने दिनो से तरस रही थी, आखिर वो आनंद मुझे मिल ही गया। उसके बाद करीब 40 मिनट मे रमेश जी भी मेरे अंदर ही सखलित हो गए। उनके वीर्य की पिचकारियाँ मैं अपनी चूत मे महसूस कर रही थी। मुझे चोद कर वो मेरे पास ही लेट गए। उसके बाद हम आपस मे धीरे धीरे बातें करते रहे। करीब आधे घंटे बाद रमेश जी बोले,” सुजाता, एक बार और करें”। मैंने कहा,” मैं तो खुद आपसे ये कहने वाली थी”। वो बोले,” देखो तुमने तो मुझे कई बार नंगा देखा है, पर मैंने तुम्हें कभी नंगी नहीं देखा, मैं तुम्हें बिलकुल नंगी देखना चाहता हूँ”। मैंने भी जवाब दिया,” अब तो मैं आपकी हूँ, मुझे नंगी देखना चाहते हो तो खुद नंगी करो और देख लो””। मैंने कहा तो उन्होने ने मेरा पेटीकोट खोला, मेरा ब्लाउज़ और ब्रा उतारा और फिर मुझे खड़ा करके देखा, मेरे सारे बदन पे अपने हाथ फिराये, मेरे सारे बदन को चूमा।

वो रात मैं कभी नहीं भूल सकती, प्यार कैसे करते हैं ये उन्होने मुझे बतलाया था और मेरे जिस्म के हर एक अंग को अपने चुंबनो से सहलाया था। दोस्तों मेरी ईमेल आई डी है “[email protected]”। कहानी पढने के बाद अपने विचार नीचे कमेंट्स में जरुर लिखे। ताकी हम आपके लिए रोज और बेहतर कामुक कहानियाँ पेश कर सकें। डी.के

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