EK Galti Sudharne Ki Khatir

Deep punjabi 2017-07-03 Comments

हेल्लो दोस्तों आपका अपना दीप पंजाबी आपकी सेवा में एक नई कहानी के साथ एक बार फेर हाजिर है। जो के मेल के द्वारा इस साईट के एक निम्न पाठक द्वारा भेजी गयी है। उसकी प्राइवेसी के लिए हिन्दी सेक्स स्टोरीज हिन्दी चुदाई कहानी में उसका और उस से सम्बंधित पात्रों के नाम बदले है। जबके पूरी कहानी वैसी की वैसी ही है।

सो आपका ज्यादा वक्त खराब न करते हुए सीधा आज की कहानी पे आते है। जिसमें आप पढेंगे के कैसे एक दोस्त ने अपने अन्य दोस्तों के साथ मिलकर अपने ही एक दोस्त की ही माँ को चोद डाला। सो आगे की कहानी इस घटना के चश्मदीद गवाह संजय सक्सेना की ज़ुबानी….

सबसे पहले तो देसी कहानी डॉट नेट के सभी चाहने वाले, संजय सक्सेना का प्यार भरा नमस्कार कबूल करे। दोस्तों मैं जयपुर का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 25 साल है और मैं बी. ऐ की पढ़ाई करता हूँ। मेरे परिवार में पापा, मम्मी और मैं कुल मिलाकर हम 3 मेंबर है। मेरे पापा की उम्र 50 साल है और उनका खुद का बिज़नेस है। वो ज्यादा समय अपने काम को ही देते है। मेरी ये कहानी मेरे दोस्त के दोस्तो और मेरी माँ के बारे में है। मैं पिछले 6 महीने से इस साईट की कहानियो को लगातार पढ़ता आ रहा हूँ। जिन्हें पढ़कर मुझे भी लगा के मुझे भी अपना तज़ुर्बा सभी पाठको के आगे शेयर करना चाहिए।

परन्तु हर बार मन मारकर रह जाता था। फेर एक दिन मन बनाकर पक्का निर्णय लिया के जो भी हो एक बार तो सभी पाठको के आगे अपनी कहानी पेश करके ही रहूंगा।

ये मेरी इस साईट पे पहली कहानी है। सो जो भी गलती लगे, नौसिखिया समझ कर माफ़ कर देना।

बात पिछले साल दिसम्बर महीने की है। जब मेरेे खास दोस्त अरुण की शादी थी। उसमे हम सबको बुलाया गया था। परन्तु अपने काम की वजह से पापा नही जा पाये। बस हम दोनों मैं और मम्मी, 2 लोग ही जा पाये। शादी का प्रोग्राम किशनगढ़, (जयपुर के आगे अजमेर जाते वक्त रास्ते में पड़ता है) के एक बड़े होटल में मनाया जा रहा था। वहीँ पर हमारे रुकने का इंतज़ाम किया हुआ था। वहां हम 4 दिन के लिये रुके।

आप देसी कहानी डॉट नेट पे हिंदी कामूक कहानी पढ़ रहे है।

माफ़ करना दोस्तों अपनी कहानी की नायिका यानि के मेरी मम्मी के बारे में तो मैं बताना भूल ही गया। उनका नाम सुनीता सक्सेना है। वो 12 तक पढ़ी हुई है। उनकी उम्र 45 के लगभग होगी। वो एक घरेलू महिला है। उनका शरीर भरा हुआ, न ज्यादा पतली, न ज्यादा मोटी, सामान्य से कद वाली ग्रहणी है। उनकी उम्र चाहे 45 के लगभग थी परन्तु आज भी कुंवारी लड़कियो की तरह अपने शरीर को फिट रखा था। कोई देखकर ये कह नही सकता के हम माँ बेटा होंगे, मुझे लगता है लोगो को देखने में मेरी बड़ी बहन या गर्ल फ्रेंड ही लगती होगी।

अब आगे कहानी में बढ़ते है..

उस शादी में अरुण के अन्य 2 दोस्त विकास, संजीव भी शामिल हुए थे। जो देखने में ही चालू किस्म के लफंगे लोफर लगते थे, उनके कानो में बालिया, गले में मोटी चांदी की चेन, बाजुओ में ब्रेसलेट, कन्धो तक लम्बे बाल, मॉडर्न कपड़े, जूते पहने हुए थे और मुंह से दारू और सिगरेट की बास आ रही थी। वो जब से माँ को मिले थे, बस उसके बदन को ही घूरे जा रहे थे। शायद माँ ने भी ये बात नोट करली थी। फेर भी पता नही क्यों वो कुछ बोल नही पा रही थी। शायद ये सोचकर के मेरी वजह से इनकी शादी का प्रोग्राम खराब न हो जाये।

संजीव — हलो आंटी कैसे हो आप ?

माँ — बहुत बढ़िया बेटा, माफ़ करना मैंने आपको पहचाना नही ?

संजीव — अरे! आप पहचानेगी भी कैसे, हम कोनसा पहले कभी मिले है। आज ही अरुण की शादी में शामिल हुए है।

माँ — ओह !! अच्छा मुझे लगा शायद मुझे जानते होंगे, या संजय के दोस्त या क्लासमेट होंगे।

संजीव — नही नही आंटी, और ये संजय कोन है ?

माँ — (मेरी तरफ इशारा करते हुए) — ये है मेरा बेटा संजय सकसेना।

संजीव — (मेरी तरफ हाथ बढ़ाकर) — हलो सेक्सेना साब, कैसे हो आप ?

मैं — बहुत बढ़िया भाई, आप सुनाओ, कहाँ से हो ?

संजीव — मैं जयपुर से हूँ और आप ?

मैं — वाओ, इटस अमेज़िंग, मैं भी जयपुर से हूँ।

मैं — आपका कोनसा एरिया है जयपुर में ?

उसने एक अजीब सी जगह का नाम बताया।

मैं — माफ़ करना भाई, मैंने ये नाम पहले कभी नही सुना।

वो — चलो कोई बात नही यार। एक ही जगह से आये और हम इतनी दूर आकर मिले है। यही बहुत बड़ी बात है।

वो हर बार बात करते करते मम्मी के बदन को भूखी निगाहों से घूरे ही जा रहा था।

मुझे ये देखकर अच्छा तो नही लग रहा था। परन्तु इतने लोगो की भीड़ में अपनी इज़्ज़त का ख्याल सोचकर चुप चाप उसकी चोरी पकड़ रहा था।

इधर माँ को भी पता नही क्या सूझ था। उस से दूर होने की बजाए उस से बाते किये ही जा रही थी। शायद उसको अच्छा लग रहा होगा।

इतने में सबका डांस करने का मूड बन गया।

संजीव ने विकास को आँख के इशारे से दो गिलासो में पेग बनाकर लाने को कहा।

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