EK Galti Sudharne Ki Khatir

Deep punjabi 2017-07-03 Comments

माँ पूरा वीडियो देखने के बाद बोली,” अब क्या चाहते हो आप लोग ?

परवीन — आप आंटी इतनी भोली दिखती तो नही हो। जितना बन कर दिखा रही है। आप भी अच्छी तरह से जानते हो हम क्या चाहते है ?

माँ — नही आपकी ये मांग नही पूरी कर सकती। मैं एक पतिव्रता स्त्री हूँ।

रवि – (थोडा गुस्से में )– हट साली, नखरे दिखा रही है। कल रात जब संजीव के लण्ड ऊपर बैठकर उठक बैठक कर रही थी। तब तुम्हारा पत्नी धर्म कहाँ गया था।

माँ — वो बस नशे की हालात में हो गया। नशे की वजह से मैं बहक गयी थी। जबके अब मैं नार्मल हूँ। मुझे ये नही पता था क संजीव ने ड्रिंक मे कुछ मिलाया है।

परवीन — वो हम नही जानते हमे तो बस एक बात ही आती है के आपकी चूत मारनी है बस। आपको मरवानी है तो बतादो, नही मरवानी तो भी बतादो।

संजीव — (माँ को थोडा दूर लिजाकर)

मान जाओ न आंटी हम दोनों की इज़्ज़त का सवाल है। बस आज की ही तो बात है। इसके बाद ये हमे कभी तंग नही करेंगे।

जरा सोचो यही बात आपके बेटे या पति को पता चल गई तो तुम्हारा क्या हश्र होगा। सोचा भी है कभी। अपने सोसाईटी में भी रहना है या नही। पूरा परिवार बिखर जायेगा आपका ऊपर से बदनामी अलग होगी। आपका बेटा और पति कही मुंह दिखाने लाइक नही रहेंगे।

मेरा क्या है दो दिन बाते करंगे फेर चुप हो जायेंगे । अपना सोचो बदनामी के डर से कही आपके घर वाले सुसाइड न कर ले। फेर न आप मायके और न सुसराल में रह पाओगे। नर्क से भी बदतर हो जायेगी आपकी ज़िन्दगी।

माँ — कोई और मांग, मांग लो, पूरी कर दूंगी, धन दौलत, सोना जो भो कहो। लेकिन ये नही कर सकती।

परवीन — नही हमे कुछ नही चाहिए बस आपको चोदना चाहते है। मान जाओ आंटी, आखरी बार बोल रहे है। इसके बाद कोई मौका नही मिलेगा आपको अपनी गलती सुधारने का।

अब माँ रो रही थी और गिड़गिड़ा के उनसे क्षमा की भीख मांग रही थी।

माँ — नॉर्मल स्थिति में तो मुझसे ये नही हो पाएग। हाँ यदि आपकी यही मर्ज़ी है तो एक बीयर की बोतल ले आओ बढ़िया वाली।

माँ की बात सुनकर तीनो खुश हो गए और एक दूसरे के हाथ पे हाथ पे हाथ मारकर अपनी जीत का जश्न मनाने लगे।

संजीव — जा परवीन हाल में जाकर एक बढ़िया सी बोतल और तीन गिलास ले आ।।

परवीन भाग कर गया और कुछ ही मिनट में बढ़िया कवालटी की सीलबन्द बियर और 3 गिलास ले आया।

संजीव — अभय, ओ घोचु पाटनर् हम 4 है और तू गिलास 3 लेकर आया।

माँ — आप तीनो एक एक गिलास ले लो, मुझे बोतल दे दो।

उन्होंने ऐसे ही किया। आधी से ज्यादा बोतल माँ के लिए छोड़ दी।

जिसे माँ आँखे बन्द करके दो चार सांसो में ही गटक गयी।

बोतल नीचे गिरते ही माँ बैड पे चली गयी और बोली,” आजाओ आप सब बैड पे, देखती हूँ तुम्हारे लण्डों में कितना दम है।

परवीन ने भाग कर दरवाजा अंदर से लॉक किया और सब अपने अपने कपड़े उतारकर माँ के इर्द गिर्द बैठ गए।

संजीव — असली मज़ा तो अब आएगा ।

माँ न चाहते हुए भी उनकी तरह बेशर्म हुए जा रही थी शयद इस लिए के नॉर्मल स्थिति में उनसे ये काम नही हो पायेगा।

अब सबपे पे धीरे धीरे बियर का नशा चढ़ रहा था। वो तीनो माँ के कपड़े एक एक करके उतार रहे थे।

कुछ ही मिन्टो में उन्होंने मेरी माँ के सारे कपड़े उतार दिए। माँ का बदन सफेद दूध जैसा था। बड़े बड़े मम्मे, बड़ी गांड, कलीनशेव चूत आह क्या नज़र था।

संजीव ने माँ को गोद में लिटाकर उनसे लिप किस किया, जबकि परवीन माँ के मम्मे चूसने लगा, इधर रवि माँ की शेव की हुई चूत में ऊँगली करके उनके भगनासे को जीभ से चाटे जा रहा था। मैंने कभी सपने में भी सोचा नही था के मेरी माँ ऐसा भी कर सकती है। वो एक पेशेवर वेश्या की तरह उस पल का मज़ा ले रही थी। थोड़ी देर बाद परवीन ने माँ को उठाकर उसके मुंह में अपना काला मोटा 8 इंची लण्ड घुसेड़ दिया। जिसे माँ पहले तो न न करती रही लेकिन जैसे ही चूत चटवाने में मज़ा आने लगा तो वो भी मुंह आगे पीछे करके लण्ड को चूसने लगी। इस बीच में कई बार परवीन माँ की नाक को बन्द करके उनकी साँस रोक कर उन्हें तड़पाने लगता था। जिससे माँ को उसपे गुस्सा तो बहुत आता लेकिन मज़बुरी को समझकर चुप हो जाती।

थोड़ी देर बाद परवीन बैड पे लेट गया और माँ को उसने अपने उपर आने को बोला, माँ ने उसका मोटा लण्ड देखा और कहा, इतना बड़ा नही ले पाऊँगी। परन्तू उसने माँ की एक न सुनी और बाजु पकड़ कर अपने लण्ड ऊपर बिठाने की ज़बरदस्ती करने लगा। अब माँ के पास कोई दूसरा चारा भी नही था। उसे मन मारकर परवीन के मोटे लण्ड पे पीछे की और मुंह करके बैठ गई। परवीन ने अपने लण्ड को ढेर सारा थूक लगाया और माँ की चूत को उसपे सेट करके, माँ को कमर से पकड़कर निचे की और दबाव डालने लगा। जिस से उसका मोटा सुपाड़ा माँ की चूत के मुंह में घुस गया। माँ के मुंह से उसके दर्द का अंदाज़ा लगाया जा सकता था, अब वो निचे लेटा ही अपनी कमर ऊपर निचे हिलाने लगा।

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