Meri Dukhi Chachi Lajwanti

Dilwala Rahul 2016-09-04 Comments

उसके हाथों की चूड़ियों की खनखनाहट और पैरों की पायल की धुन से मेरा जोश और भी ज्यादा बढ़ गया और मैने तेज़ तेज़ तीव्र गति में चूत में धक्के लगाने शुरू किये जिसके फलस्वरूप पूरा बेड हिलने लगा और चाचा तो जमीन पर गिर गया जिसकी हम दोनों कामाग्नि में डूबे चाची-भतीजे को कोई फ़िक्र नही थी यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।

हम चरमोत्कर्ष पर थे और अब बस झड़ना चाहते थे. चाहे कोई भी विघ्न या बड़े संकट से क्यों न गुजरना पड़े, हमारी साँसे एक दूसरे से टकरा रही थी और हम आपस में बड़बड़ाये जा रहे थे)

मैं- अह्ह्हह्ह्ह्ह.. चाची, मेरी जान, लाजवंती, आज तेरी कोख भर दूंगा.

चाची- आह्ह्ह्ह.. भतीजे, मेरे लाल, मेरे राजा, ऊयीईईई.. गायिईईईई.. उम्ममम्मम्म.. झाड़ दे अपना माल मेरी बच्चादानी में, बना दे मुझे माँ, दे दे मुझे एक और औलाद मेरे स्वामी अह्ह्ह्हह्ह.. तेरा लण्ड अह्ह्ह्हह्ह.. मेरी बच्चा दानी से टकरा रहा है जान, हाय अह्ह्ह्ह.. मममम.. कितना बड़ा है तेरा, उफ्फ्फ्फ्फ.. उर्रर्रर्र..

मैं- अह्ह्ह्हह्ह….. लाजवंती, मैं आया रांड, मैं आया मेरी जान, अह्ह्ह्ह्ह्ह.. मैं झड़ने वाला हूँ चाची, उयीईईई.. अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह..

चाची- मैं भी आई मेरे राजा, एक साथ झड़ेंगे मेरे लाल, अह्ह्हह्ह्ह्ह.. गायिईईईई.. मैं उम्म्ममम्म.. अंदर ही कोख भर दे मेरी मेरे स्वामी, अह्ह्ह्ह्ह्ह.. गयी मैं अह्ह्ह्ह्ह्ह..

(चाची और मैं एक साथ दो जिस्म एक जान बनकर फारिक हो जाते हैं और चाची कामाग्नि में डूबकर बुरी तरह कांपने लगती है, मेरा वीर्य चाची की चूत के अंदर घनी घाटी में समा गया था, हम ऐसे ही नंगें एक दूसरे के ऊपर लेटेे एक दूसरे को किस किये जा रहे थे, और नंगे ही सो गए.

जब सुबह उठे तो देखा कि चाचा जमीन पर गिरे हुए थे, और हम दोनो पागल चाचा को देखकर हंसने लगे.

करीब एक महीना गाँव में रहकर मेने चाची की खूब चुदाई करी, और एक रात मेने चुपके से चाचा को उसी जंगल में छोड़ दिया जहाँ डायन रहती थी उसके बाद चाचा का कहीं पता नहीं चला कि कहाँ गए, पुलिस में भी गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई लेकिन पुलिस भी चाचा को ढूंढने में नाकाम रही.

करीब 1 साल बाद मैं चाची को अपने साथ शहर ले गया जहाँ चाची और मैने गुप्त विवाह कर लिया, चाची को मैने हीरोइन जैसे मॉडर्न बना दिया है, अब शहर के सभी आदमी चाची को देखकर मुठ मारते हैं.

कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार निचे कोममेंट सेक्शन में जरुर लिखे.. ताकि देसी कहानी पर कहानियों का ये दोर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।

आजकल हमारे घर एक नन्ही परी ने जन्म लिया है, जो आदर्श की सौतेली बहन है, उसका नाम हमने गुनगुन रखा है. लेकिन आदर्श अभी कंफ्यूज है कि उसकी बहन का बाप कौन है?

लेकिन जो भी हो, अब आदर्श हमारे साथ ही रहता है और वक्त आने पर वो सब कुछ समझ जायेगा.

कृपया कमेन्ट करें और अपनी प्रतिक्रिया दें…

सुचना – **इस कहानी के सभी पात्र और घटनाऐं काल्पनिक है, इसका किसी भी व्यक्ति या घटना से कोई संबंध नहीं है। यदि किसी व्यक्ति या घटना से इसकी समानता होती है, तो उसे मात्र एक संयोग कहा जाएगा**

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