Sumit Aur Uska Parivar – Part 3
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अब तक अपने इस कहानी में पढ़ा –
(भोली भाली ** साल की पतली दुबली, गोरी चिट्टी, कच्ची कली सुमित की बहन ऋचा को सुमित के इरादों के बारे में पता नहीं था, उसे लगा उसका भाई उसे बहन की तरह प्यार करेगा, लेकिन सुमित ने अपनी लंबी जीभ जब ऋचा के गले में फेरी तो ऋचा सिहर गयी)
अब आगे..
ऋचा- अह्ह्ह्ह्ह ये क्या कर रहे हो भैया, आपने तो किस के लिए कहा, और आप मेरा गला चाट रहे हो.
सुमित- बहना किस करने से पहले ऐसा ही करते हैं, तुझे अच्छा नहीं लगा क्या?
ऋचा- मजा आया बहुत लेकिन अजीब सा अहसास हुआ भैया पता नहीं क्यों.
सुमित- तेरी उम्र में हर लड़की को ऐसा ही अहसास होता है बहना, तू गेम खेलते रह.
ऋचा- ठीक है भैया, ऐसे ही चाटना बहुत मजा आया.
(और सुमित अपनी जीभ ऋचा के कान से लेकर गले से और फिर कंधे में फेरता हैं, अब ऋचा की चूत में भी पानी आने लगता है, और ऋचा को बहुत मजा आने लगता है, और ऋचा सिसकारी भरने लगती है)
ऋचा- अह्ह्ह्ह अहो हो भैया, मजा आ रहा है, अह्ह्ह्ह… ऐसा क्यों हो रहा है भैया, मुझे कुछ कुछ हो रहा है भैया. ऐसे ही करो प्लीज भैया.
सुमित- तू ज्यादा आवाज़ मत निकाल मेरी सेक्सी बहना, वरना माँ आ जायेगी, तू चुपचाप गेम खेल, मैं तुझे और मजे देता हूँ.
(फिर सुमित ऋचा के गले में जोरदार किस करता है और काटता भी है जिससे ऋचा चिल्लाती है और उसकी आवाज भावना के कमरे तक चली जाती है)
ऋचा- आउच… अह्ह्ह्ह… आराम से भैया.
सुमित- शहह्ह्ह्ह्ह… ज्यादा आवाज़ नहीं, माँ आ जायेगी.
(तभी भावना उनके कमरे में आती है और ऋचा को सुमित की गोद में देखकर चौंक जाती है)
भावना- क्या कर रहे हो तुम दोनों, इतनी आवाजें क्यों निकाल रही है ऋचा तू, क्या कर रहा था सुमित?
सुमित- कुछ नहीं माँ, ऋचा गेम खेल रही थी तो आउट हो गयी…
ऋचा- हां और मेरे आउट होने पर भैया ने मेरे गले में काट दिया, हा हा हा
भावना- ऋचा ये अच्छी बात नहीं है, भैया की गोद में ऐसे नहीं बैठते, जाओ अपने बेड पर.
ऋचा- क्यों, आप भी तो बैठे थे, मैं क्यों नही बैठ सकती.
भावना- तू मानेगी नहीं मतलब, शैतान लड़की…
सुमित- माँ, बैठे रहने दो उसे, उसका मन है, गेम खेलकर उठ जायेगी, आप अपने कमरे में जाओ.
भावना- माँ की बात नहीं मान रहे हो तुम दोनों, तुम्हारे जो मन में वो करो, और सुन सुमित आज मेरे कमरे में ही सोना, तेरे कमरे का पंखा ख़राब है, और जल्दी सोने आ जाना.
सुमित- ठीक है माँ, मैं आता हूँ.
(भावना चली जाती है और सुमित की जान में जान आती है और ऋचा और सुमित दोनों हंसने लगते हैं)
ऋचा- कैसे चिल्ला रही थी चुड़ैल की तरह हा हा हा.
सुमित- ऋचा ऐसे नहीं बोलते माँ को.
ऋचा- मैं तो बोलूंगी, चुड़ैल, चुड़ैल चुड़ैल…
सुमित- रुक तू, ऐसे नहीं मानेगी.
(और सुमित ऋचा को कस कर पकड़कर बेड में पटक देता है, और दोनों की कुश्ती शुरू हो जाती है, ऋचा भी सुमित को मारने में कोई कसर नहीं छोड़ती, जब सुमित ऋचा पर भारी पड़ जाता है तो ऋचा सुमित का लण्ड पकड़ लेती है)
सुमित- ऋचा इसे छोड़, प्लीज इसे मत पकड़, बहुत दर्द होता है अह्ह्ह्ह….
ऋचा- नहीं छोड़ूंगा, बहुत हीरो बन रहे थे, अब बोलो, अब बोलो, दबा दूँ? चटनी बना दूँ इसकी? बताओ?
सुमित- ऋचा देख छोड़, मैं माँ को बुला दूंगा वरना.
ऋचा- पहले सॉरी बोलो.
सुमित- सॉरी, सॉरी, सॉरी, प्लीज अब छोड़ जल्दी.
(ऋचा सुमित का लण्ड छोड़ देती है, सुमित को गुस्सा आता है उसे बहुत दर्द हो रहा था, वो गुस्से में ऋचा को पकड़ता है और कस कर उसके हाथ उसके पीछे बांध देता है और उससे चिपक कर बेड में लेट जाता है, अब ऋचा की चूत के ठीक ऊपर सुमित का खड़ा लण्ड झटके मार रहा था, ऋचा की डर से तेज साँसे सुमित की साँसों से टकरा रही थीं, सुमित की छाती से ऋचा की छाती दबी थी और सुमित की छाती में ऋचा के निप्प्ल्स चुभ रहे थे)
ऋचा- भैया, छोडो प्लीज, अब नहीं करूंगी.
सुमित- अब कैसे करेगी, अब तो तू मेरी जकड में जो है, ऐसे दबाते हैं नुन्नी को बता? क्यों दबाया इतनी तेज.
ऋचा- आपकी नुन्नी खड़ी थी, मुझे गुस्सा आ गया, आपने बोला था की वो बैठ जायेगी, तो मेने सोचा मैं पिचोड़ दूंगी तो क्या पता आपकी नुन्नी बैठ जाये.
सुमित- तो पहले बताती, मैं तुझे पिचोड़ने को दे देता, अब पिछोड़ेगी क्या?
ऋचा- हाँ, पिछोडूँ क्या?
सुमित- लेकिन जैसे मैं बताऊंगा वैसे पिछोड़ना, हलके हलके, ठीक है?
ऋचा- हाँ लेकिन अब मेरी कलाई छोडो, और मेरे ऊपर से हटो, कितने भारी हो आप.
(सुमित अपनी बहन की नाजुक कलाई छोड़ देता है और अपना पैजामा उसके सामने खोल देता है, सुमित का 6 इंच का खड़ा लण्ड देखकर ऋचा घबरा जाती है और शर्म से अपने मुह में हाथ रख लेती है और चौंक जाती है)
ऋचा- भैया ये तो नुन्ना है, कितना बड़ा नुन्ना है ये.
सुमित- बहन आज तुझे एक बात बता रहा हूँ लेकिन तू प्रोमिस कर कि किसी को ये बात नहीं बताएगी.
ऋचा- प्रॉमिस भैया.
सुमित- इसे नुन्नी या नुन्ना नहीं बोलते.
ऋचा- तो फिर क्या बोलते हैं भैया?
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