Chudai Ki Baat, Bhuli Na Wo Raat – Part 1

findfuckforget 2016-06-27 Comments

मुझे जन्नत का नजारा आ रहा था वह बहुत बड़ा खिलाडी लग रहा था किउं की मैंने पहले भी चूत चटवाई थी पर आज जो मजा आ रहा था वह किसी ने नहीं दिया वह बिलकुल ब्लू फिल्मों की तरह मेरी चूत को चाट रहा था और अपनी जीभ को मेरी चूत के अंदर बाहर भी कर रहा था.

जब उसने देखा की मैं उसका साथ दे रही हूँ तो बोला जानेमन मन तुम्हारी मुंह की टेप उतरने जा रहा हूँ. पर अगर तुमने शोर मचाया तो मैं दुबारा तुम्हारा मुंह बांध दूंगा. मैं हाँ मैं सर हिलाया तो उसने चूत चाटते चाटते मेरी पट्टी खोल दी. पट्टी खोलते ही मेरे मुंह से ज़ोर की सीत्कार हुई जो मैंने कब से अपने अंदर दबा के रक्खी थी.

वह हस पड़ा और बोला किउं जाने मन अब पता चला तड़पना क्या होता है. उसकी बात सुन कर मैं बोली मेरे राजा तुम हो कौन. तो उसने जवाब दिया मैं वह हूँ जो आज तुम्हें चुदाई का असली मतलब समझाएगा. और तुम्हें दिखाएगा की असली पंजाबी चुदाई के खेल कैसे खेले जाते हैं और इतना कहते ही ज़ोर ज़ोर से चूत चाटने लगा.

मैं मजे मैं पागल हो गयी सिर्फ दो मिनट मैं ही मैं झरने वाली थी. मैंने मजे मैं चिल्लाना शुरू किया की प्लीज रुकना मत और ज़ोर से चाटो मेरी चूत को मैं अपना रास तुम्हारे मुंह पर छोड़ने वाली हु मेरे राजा आह आहहहह ह ह ह रुकना मत राजा आ आ जब उसने देखा की मेरा पानी छूटने वाला हैं.

वह झट से पीछे हट गया. मैं उसकी इस हरकत से तड़प उठी और उसकी मिन्नते करने लगी और उसकी मिन्नते करने लगी की वह मुझे झार दे. पर वह हसने लग गया और उसकी शैतानी हसी ने मेरी चूत की आग और बढ़ा दी.

वह बोला जाने मन मैं अभी आया और इतना कह कर वह चला गया. जाते जाते वह बोला “game is on now”. मैं समझ गयी की यह कोई खेल खेल रहा हैं, मैं वैसे ही उस जगह बंधी हुई अपनी चूत को अपनी जांघों मैं दबा दबा कर मजे लेने की कोशिश करने लगी. तकरीबन २ घंटे के बाद वह आया तब तक मेरे चुदने की चाहत और बढ़ गयी थी.

वैसे तो मैं अंधेरे से डरा करती थी जब तक उसने मुझे यह नहीं सिखाया कि यह कितना अद्भुत हो सकता है। मेरी आँखों पर पट्टी बाँधने से मेरी दूसरी इन्द्रियां नाटकीय रूप से बढ़ गई थी । मेरी आँखों के रुमाल से ढका होने पर मैं अलग अलग इंद्रियों से हालत का जायज़ा लेने की कोशिश कर रही थी, मैं मोमबत्ती को सूंघ सकती थी, उसकी भारी साँस लेने की आवाज़ सुन सकती थी, उसके पसीने की महक सूघ सकती थी.

मैं अपनी रसीली चूत को भी सूघ सकती थी जो उसके चाटने से शहद जैसा रास टपका रही थी, वह नंगा मेरे पास आया और मेरे सामने खड़ा हो गया इतना पास की मैं उसके लण्ड कि खुशबु तक सूघ सकती थी।

मुझे पता था कि वह मुझे देख रहा है। मैं एक दम सीधी और नंगी खड़ी थी। मैं उसका घूरना महसूस कर सकती थी. मेरी चूत से रस टपक रहा था. हालांकि उसने मुझे गुलामो की तरह बांध रखा था पर मैं खुद को एक रानी से कम नहीं समझ रही थी. जिसकी रसीली चूत ने उसे गुलाम बना के रख दिया था और वह आज मजबूर होकर मुझे चोदने जा रहा था इस तरह किसी अजनबी के सामने नंगा खड़ा होना मुझे बहुत उत्तेजित कर रहा था।

वह काफी देर से मेरे सामने नंगा खड़ा था, मैं चाह रही थी कि वह मुझे चोदना शुरू कर दे पर वह मेरे सबर का इम्तिहान ले रहा था और कबसे मेरे सामने चुपचाप खड़ा था. मैं अपनी नग्न चूचियों पर उसकी नज़रों को महसूस कर रही थी, खासकर उस जगह पर जो चॉकलेट की तरह गहरी थी.

वह मेरी नगी चूचियों ऐसे निहार रहा था जैसे कोई भेड़िया अपने शिकार को निहारता है. कभी वह मेरी चूचियों को, कभी वोह मेरे दूधिया पेट को और कभी दो जांघों के बीच मेरी रस टपकाती चूत को निहारता. उसका लण्ड मेरे नंगे बदन को देखकर झटके पर झटका मार रहा था.

मैं घंटों इस पल का इंतज़ार कर रही थी, उसने जब मैं बेहोश थी तब उसने मुझे चूत को चाट कर उठाया था. तब मुझे लगा था की ब वह मेरी जम कर चुदाई करेगा और मेरी चूत की आग अपने लण्ड के पानी से बुझाएगा. पर उसने चूत चाटने के बाद कहा की आज वह एक खेल खेलेगा.

मुझे वह बड़ा हरामी था और लग रहा था की वह अक्सर ऐसे खेल खेलता होगा वह अच्छी तरह जानता था की किसी औरत की चुदने की चाहत को कैसे बढ़ाते हैं. चूत चाटने की उसकी इस हरकत ने मेरी नस नस मैं आग लगा दी थी.

मैं उसके लोहे जैसे लोडे को चूसना चाह रही थी, मैं तब तक उसके लोडे को चूसना चाहती थी, जब तक की मेरे होठ न दुख्ने लग जाये. फिर मैं उसके लोडे को अपनी गांड में डलवाना चाहती थी और तब तक गांड मरवाना चाह रही थी की जब तक मेरी गांड की धजियां न उड़ जाये अंत में जो मेरी चूत में दो घंटे से जबरदस्त खुजली हो रही थी उसे उसके लोहे जैसे मूसल लण्ड से रगड़ रगड़ कर मिटाना चाहती थी.पर वह तो कोई खेल खेलना चाहता था.

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