Chudai Ki Baat, Bhuli Na Wo Raat – Part 1
मैंने उससे कहा की इतनी देर किउं लगा रहे हो. तो वह हस कर बोला की सबर करो सबर का फल मीठा होता है. मैंने उसकी बात को काटते हुए कहा कि मुझे मीठा नहीं नमकीन फल चाहिए. वह हस पड़ा, वह जानता था कि मैं तो उसके लॉलीपॉप जैसे लण्ड कि बात कर रही हूँ, जो कि नमकीन रस टपकाता है.
इसके बाद उसने खेल शुरू कर दिया और वह मेरे पैरों में लेट गया, उसने मेरे पैरों को चाटना शुरूकर दिया. जिसे ही उसने मेरे अंगूठे को मुंह में लिया एक बिजली सी मेरे पैर से शुरू हो कर मेरी जांघों से होती हुई, मेरी चूत में समां गयी.
में सिसक उठी, मुझे लगा कि जैसे मेरी चूत में हजारो चीटियां रेंगनी शुरू हो गयी हैं और मेरी चूत कि दीवारों पर ज़ोर ज़ोर से काट रही है. वह हँसा और बोला क्या हुआ चूत में झटका लगा क्या. मैंने मन में सोचा कि तुझे क्या बताऊँ कि मेरी क्या हालत है, कितनी आग लगी है मेरी चूत में. इतने में वह फिर चालू हो गया.
मेरे हाथ बंधे होने के कारण मैं तो अपनी चूत के दाने को रगड़ भी नहीं सकती थी. बस अपनी जांघों को सिकोड़ कर अपनी चूत को थोड़े बहुत झटके दे रही थी. मेरी चूत से पानी निकल कर मेरी जांघों को चिपचिपा कर रहा था.
मैं सब्र से इंतज़ार कर रही थी कब यह खेल खत्म हो और मुझे इनाम के तोर पर लोहे जैसा लण्ड जमकर पेले. वह जैसे जैसे ऊपर कि और बढ़ रहा था वैसे वैसे मेरी चूत के अंदर कि चीटियां मुझे और ज़ोर ज़ोर से काट रही थी और मैं सिसकियाँ ले रही थी कभी कभी मुझे लग रहा था कि जैसे आज मेरी चूत में किसी ने पेट्रोल डाल कर आग लगा दी है. आज तक मेरी चूत ने कभी भी इतनी आग नहीं ऊगली थी.
अभी मैं अपनी चूत की आग के बारे मैं सोच ही रही थी कि उसने फिर से मेरी टांगो को चाटना शुरू कर दिया. मैं तड़प उठी और वह मेरी जांघों को अपनी गर्म गीली जीभ से चाटता रहा. मैंने उससे मिन्नत की के वह मेरे हाथ खोलदे ता की मैं उसके लण्ड से खेल सकूं मैं उसकी लण्ड की सख्ती महसूस करना चाहती थी.
मैं देखना चाह रही थी की उसका लण्ड कितना मोटा और लम्बा है. आज तक उसने जितनी भी चूते मारी होंगी सबको क्या उनको भोसड़ा बन कर छोड़ा होगा या उसका लण्ड छोटा सा है. मैं चाहती थी कि वह मेरी गुलाबी और रसीली चूत को ऐसे चोदे कि मैं कई दिन तक ठीक से चल न सकूं.
मैं अपनी चूत को सबक सीखना चाहती थी जिसकी आग ने मुझे इतना तड़पाया था. कुछ देर मेरी जांघों को चाटने के बाद वह मेरी पीठ की तरफ घूम गया. उसने मेरी जांघों को पीछे से चाटना शुरू कर दिया मेरी हालत बद से बदतर होती जा रही थी मैं सोच रही थी की पता नहीं उसके दिमाग मैं कौन सा खेल चल रहा है.
तभी उसने एक झटके से मेरी दोनों चूतड़ों की दरार को चौड़ा किया और झट से अपनी जीभ मेरी गांड के छेद से भिड़ा दी. मैं इस झटके के लिए तैयार नहीं थी और मेरी सिसकारी सारी बेसमेंट में गूँज गयी. वह मेरी गांड को ज़ोर ज़ोर से चाटने लगा और मेरी जो चीटियां अब तक मेरी चूत को अंदर से काट रही थी वह अब मेरी गांड में भी कुलबुलाने लगी. मैं तड़प उठी और सोचा मुझे पता नहीं था कि गांड में भी इतनी खुजली होती है.
कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार निचे कोममेंट सेक्शन में जरुर लिखे.. ताकि देसी कहानी पर कहानियों का ये दोर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।
मैं ज़ोर ज़ोर से अपनी जांघों को भींचने लगी ता कि किसी तरह मेरी चूत और गांड को सकून मिल सके. पर उसने मेरी सीत्कार को अनसुना कर दिया और ज़ोर ज़ोर से मेरी गांड का छेद खोल कर चाटने लगा. मुझे नहीं पता था कि उसने मेरी हाथ ऊपर पंखे कि हुक के साथ इस लिए बांधे थे कि मैं अपनी चूत और गांड मैं ऊँगली न कर सकु.
पढ़ते रहिये.. क्योकि ये कहानी अभी जारी रहेगी और मेरी मेल आई डी है “[email protected]”.
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