Bhoot To Chala Gaya – Part 3
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मेरे पति राज ने मुझे शामके लिए आधी (घुटनों तक की) जीन्स और ऊपर जाली वाली ब्रा पहन कर उसके ऊपर कॉटन का पतला टॉप पहन ने को कहा जो ऊपर से एकदम ढीला और खुला था और निचे ब्रा के पास एकदम कस कर बंद होता था। मेरा टॉप, बस ब्रा के के किनारे पास ही ख़तम हो जाता था जिससे मेरे स्तनों के निचले हिस्से से लेकर पूरी कमर, पेट, नाभि और उसके बाद का थोड़ा सा उभार और फिर एकदम ढलाव (जो मेरी दो टांगों के मिलन से थोड़ा ही ऊपर तक था) का हिस्सा पूरा नंगा दिख रहा था।
मेरे दोनों स्तन मंडल उभरे हुए दिख रहे थे। मैंने राज से बड़ी मिन्नतें की की वह मुझे ऐसे ड्रेस पहनने के लिए बाध्य न करे पर वह टस का मस न हुआ। उसका कहना था की अगर मैं चाहती हूँ की समीर ठीक हो तो मुझे जो वह कहता था वह करना ही पड़ेगा। मुझे मेरे पति पर पूरा भरोसा था की वह कभी मुझे गलत काम करने के लिए नहीं कहेंगे। मैंने तब यही ठीक समझा की मैं राज की बात मानूं और उसे सहयोग दूँ।
तैयार होने पर जब मैंने अपने आपको आयने में देखा तो मैं भी खुद पर फ़िदा हो गयी। मेरे थोड़ा झुकने से मेरे दोनों स्तनों का उभार और बिच की गहरी खाई स्पष्ट रूप से दिख रहे थे। मरे दोनों कूल्हे बड़े ही तने हुए उभरे हुए दिख रहे थे। मेरे पति ने मेरे लिए यह वेश ख़ास दिनों के लिए खरीदा था। मैंने कभी इसे पहले पहना नहीं था। मेरी यह वेशभूषा समीर को कैसे लगेगी और उसका क्या हाल होगा यह सोचकर मेरी टांगों के बिच में से पानी चूने लगा और मैं सिहर उठी। मुझे डर लग रहा था की कहीं इस हाल में देख कर वह मुझे अपनी बाहों में दबोच ही न ले और कोई कुकर्म न कर बैठे। पर चूँकि मेरे पति भी होंगे, यह सोच कर मेरी जान में जान आयी।
मैं कपडे पहन कर मेरे पति के पास गयी और बोली, “जानू, बताओ, मैं कैसी लग रही हूँ।?”
राज ने मुझे ऊपर से निचे तक देखा और बोले, “हे भगवान्! जानू, तुम तो बड़ी कातिलाना लग रही हो! मन करता है की मैं तुम्हे खा जाऊँ।” ऐसा कहकर, राज मुझ पर लपक पड़े और मुझे अपनी बाहों में दबोच लिया।
मैंने धक्का मार कर उन्हें बड़ी मुश्किल से दूर किया और कहा, “दूर रहो। समीर के आने का समय हो चुका है। एक बार समीर को वापस चले जाने दो, फिर मुझे तुम पेट भर के खा लेना। वह आ गए और उन्होंने यदि हमें इस हालात में देख लिया तो उनके मनमें लोलुपता का भाव पैदा हो जायेगा। ”
राज ने आँख मारते हुए कहा, “समीर के मनमें ऐसे भाव तो हैं ही। और अगर नहीं है तो मुझसे मिलने के बाद हो ही जाएंगे”
राज के कहने का मतलब मैं समझ नहीं पायी। मैं जैसे ही राज को पूछने जा रही थी की दरवाजे की घंटी बज पड़ी। मैंने दरवाजा खोला। दरवाजे पर समीर खड़े थे। उनके हाथों में एक वाइन की बोतल भेंट के पैकिंग में थी। समीर ने मुझे देखा तो उनके होश ही जैसे उड़ गए। उनके चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी। उनकी आँखें मेरे बदन पर गड़ी की गड़ी रह गयीं। मुझे देखकर उनकी आँखें जैसे चौंधिया सी गयी थीं। मैं समीर के चेहरे के भाव देख परेशान हो गयी। मैंने पीछे हट कर उनको अंदर आनेके लिए आमंत्रित किया। पर समीर तो वहीं के वहीं खड़े ही रह गए। तब राज पीछे से आगे आये और समीर को गले से लगाते हुए उन्हें घर में ले आये।
समीर ने झुक कर राज को वह वाइन की बोतल दी, जिसे राज ने स्वीकार की और समीर को ड्राइंग रूम में आदर पूर्वक सोफे पर बिठाया। मेरे पति ने तीन गिलास में वह वाइन डाली । मैं शराब तो नहीं पीती थी,पर कभी कभी वाइन ले लेती थी। जब मेरे पति राज ने काफी आग्रह किया तो थोड़ा हल्का फुल्का विरोध करने के बाद मैंने वाइन के गिलास को हाथ में लिया और हम तीनों ने ‘चियर्स’ किया और मैंने एक छोटीसी घूंट ली और मैं रसोई में चली गयी।
मेरे पति राज और समीर दोनों मर्द आपस में ख़ास दोस्तों की तरह बातें करने लगे। मैं रसोई में जाकर अपने काम में लग गयी। कभी कभी मुझे रसोई में से उनकी बाते थोड़ी बहोत सुनाई देती थी। कई बार उनको मैंने मेरे बारेमें बात करते हुए सुना। जब मैं रसोई से सारा काम निपटा कर बाहर आयी तो समीर एकदम बदले से लग रहे थे। उन्होंने पहली बार मुझे देखकर खुल कर मुस्काते हुए “हाई” कहा। समीर में इतना परिवर्तन लाने के लिए मेरे पति ने क्या किया वह मेरी समझ से बाहर था। मैं समीर के लिए फिर भी खुश थी।
मैं तुरंत रसोई में गई और मैंने मेरे पति राज को रसोई में से ही आवाज देकर बुलाया। जब राज आये तो मैं उनसे लिपट गई और बोली, “तुम्हारे में जादू है। तुमने भला क्या कर दिया की समीर इतने थोड़े समय में ऐसे बदल गए? खैर, जो भी हो, तुमने मेरे सर से एक बड़ा भारी बोझ हल्का कर दिया।”
तब राज ने कहा, “यह तो ट्रेलर था। डार्लिंग, पिक्चर तो अभी बाकी है।” मैं हैरानगी से सोचने लगी की और क्या क्या होगा।
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