45 Saal Ki Rita Chachi

Dilwala Rahul 2016-11-03 Comments

पिताजी- जो भी करना है कर लियो, लेकिन एक चीज़ का ध्यान रखना, शादी के लिए बोले तो मना कर दियो, इतनी बुढ़िया के प्यार के चक्कर में ना पड़ियो, समझा??

मैं- काहे घबराते हो पिताजी, काम वाम करके छोड़ देंगे, वैसे भी रमेश की माँ है, रमेश मेरा दोस्त है, अगर मेने चाची से शादी करी तो वो मेरा बेटा बन जायेगा.

पिताजी- चल ज्यादा मत सोच अब भोसडीके, और सुन मेरा भी ध्यान रखना बाद मे.

मैं- चिंता मत करो पिताजी, पहले मुझे नहा लेने दो फिर आपको भी डुबकी लगवा देंगे.

पिताजी- बड़ा हरामी है तू मादरचोद, चल अब जल्दी जा चाची के घर में, कैसे लज्जा कर भागी है वो देख.

(और मैं चाची के घर चला गया)

मैं- चाची वो पिताजी गलत समझ बैठे.

चाची- अरे तो समझेंगे नही का, तूने उठाया ही ऐसे था गोद में, अच्छा हुआ कोई और ना देखा.

मैं- देख अब उठा लिए हम, तू दूध पिला अब.

चाची- ठीक है भतीजे, कौन सा वाला पियेगा- दायां या बायां?

मैं- चाची दोनों ही पियूँगा, बारी बारी.

(चाची की साडी का पल्लू नीचे गिर गया था, और साँसे घबराहट से तेज़ चल रही थी और सांस के साथ साथ बूब्स भी बलाउज में उभर रहे थे जिसे देखकर मेरा लोडा कस गया, और चाची ने जब अपना ब्लाउज अपनी छाती से अलग करा तो मेरी सांस ही रुक गयी, इतने बड़े विशालकाय बूब्स मेने किसी के नही देखे थे, अंगूर के दाने के बराबर कसे हुए निप्पल देखकर मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी, मेरे मुह से अचानक गाली निकल गयी)

मैं- भेंचो, क्या है ये?

चाची- गाली काहे देते हो भतीजे, अब पियो दूध जितना मर्ज़ी, अब तो खोल दिए हम.

(और मैने आव देखा न ताव, एक भूखे भेड़िये के जैसे चाची के दूधों में झपट गया और रगड़ रगड़ कर निप्पल चुसन करने लगा, लगभग 15 मिनट तक चूसता रहा और चाची भी चुदायिपूर्ण आहें व सिसकारियां भरने लगी)

चाची- अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह… भतीजे…. अह्ह्हह्ह्ह्ह ऐसे ही चुस अपनी चाची के दूध मेरे प्यारे लाल…. शहह्ह्ह्ह्ह…..

(जब मुझे लगा कि मेरी रंडी चाची गर्म हो चुकी है तो मैने अपने होंठ चाची के होंठों पर रख दिए और जीभ व होंठ रसपान करने लगा, चाची भी पूरी अर्धांग्नी के जैसे मेरा साथ दे रही थी, हम दोनों के थूक का आदान प्रदान एक दूसरे के मुह में हो रहा था, चुम्बन करते करते हम दोनों एकदम नंगन हो गए, और करीब 30 मिनट तक हम ऐसे ही फ्रेंच चुम्बन करते रहे )

चाची- भतीजे, अब तड़पा मत मेरे राजा, डाल दे अपना लण्ड मेरी चूत में और मिटा दे मेरी सालों की खुजली मेरे स्वामी.

मैं- मेरी रांड, आज तेरी चूत से खून की बारिश होगी, फाड़ दूंगा तेरी चूत और गांड को मेरी चाची.

(ज्यादा देर न करते हुए मेने अपना खड़ा लण्ड चाची की चूत के ऊपर रखा और 1 जोरदार धक्का लगाया जिसके कारण चाची की चीख निकल गयी, और धीरे धीरे वो चीख आनन्द की ध्वनि में परिवर्तित हो गयी और शुरू हुआ एक चुदायिपूर्ण सफर का सिलसिला, मैं चाची को एक पत्नी के आदर से चोद रहा था और चाची मुझे पति परमेश्वर मान कर चुदा रही थी, पूरा घर हमारी चीख, आह, और सिसकारियों से गुंझ उठा)

चाची- उईईई……माँ…..अह्ह्ह्ह्ह…. मार दिया रेर्रर्रर्रर्र… उम्म्ममम्ममम्म…. श्ठठठह… मेरे पतिदेव अह्ह्हह्ह्ह्ह…. बच्चा दानी में चोट मार रहा है तेरा हथियार, अह्ह्ह्ह्ह्ह…

मैं- चाची एक और बच्चा दूंगा तुझे मेरी जान, मेरी रांड…. स्स्स्सस्स्स्स….

(और कब आधा घंटा बीता पता नहीं चला, मैं और चाची एक साथ झड़े, मेरा पूरा माल चाची की चूत के अंदर था, हम दोनों एक दूसरे से कांपते हुए लिपट गए, एक अलग ही अनुभव था, एक दूसरे को चुम्बन करते हुए और प्यार करते हुए ऐसे ही बिस्तर पर सो गए)

(जब नौ महीने बाद रमेश घर आया तो अपने नए भाई को देखकर चौंक गया और शर्म से उसका मुह लाल हो गया, गाँव में उसका रहना मुश्किल हो गया, सभी उसे चिढ़ाने लगे, लेकिन पुरे गाँव में किसी को नहीं पता था कि उसका भाई किसका पाप है.

रमेश के जाने के बाद मेरे ठरकी बाप और मैने बाजरे के खेत में एक साथ चाची को चोदा, और अब यह क्रिया चलती रहती है, हम बहुत खुश हैं, चाची कभी कभी पैसों के लिए ग्राम प्रधान से भी चुदवा लेती है लेकिन मुझे कोई फर्क नही पड़ता क्योंकि रंडी का काम ही चुदवाने का होता है)

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सुचना – **इस कहानी के सभी पात्र और घटनाऐं काल्पनिक है, इसका किसी भी व्यक्ति या घटना से कोई संबंध नहीं है। यदि किसी व्यक्ति या घटना से इसकी समानता होती है, तो उसे मात्र एक संयोग कहा जाएगा**

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