Jindagi Ki Kahani – Part I
This story is part of a series:
जब राजेश का मोबाइल बजा उसकी तंद्रा टूटी और सोमया की गोध से हिल उसने अपना मोबाइल देखा तो रुखसाना का नाम स्क्रीन पे दिख रहा था।
‘रुखसाना की कॉल है’
‘वो तो असलम के साथ होगी इस वक़्त.. चलो बात तो करो’
राजेश ने कॉल रिसीव किया ‘ हे गुड़िया आज मेरी याद कैसे आ गयी.. वो घनचक्कर कहाँ है’
‘भाई’ रुकसाना की आवाज़ भर्रईइ हुई थी।
‘क्या हुआ? तुम रो रही हो!’ बोलते हुए हैरानी से राजेश ने सोमया की तरफ देखा।
सोमया ने लपक के राजेश से मोबाइल चीन लिया।
‘रुख़ क्या हुआ?’
‘तुम तुम भाई को लेकर अभी यहाँ आओ।’
‘कहाँ?’
‘बुढहा गार्डेन’
‘बात तो बता।’
‘तुम बस यहाँ आओ जल्दी।’
‘अच्छा आते हैं.. कम से कम आधा घंटा तो लग ही जाएगा वहाँ पहुँचने में’
सोमया ने कॉल कट कर के राजेश को बताया और दोनो बुधा गार्डन की तरफ चल पड़े।
बुधा गार्डन जब राजेश और सोमया वहाँ पहुँचे जहाँ असलम और रुखसाना थे.. तो जहाँ असलम के लटके चेहरे को देख राजेश को हसी आ रही थी वहीं जब उसने रुखसाना के आँसुओं से भीगे हुए चेहरे को देखा तो दिल में एक टीस सी उठी.. वो दिल से रुखसाना को बहन मानता था।
दोनो उनके पास बैठ गये।
सोमया ने रुखसाना को गले से लगा लिया और उसके आँसू पोंछने लगी। राजेश क ईक ढोल असलम के कंधे पे लगाइ.. ‘ओए आज के मजनू क्यूँ मेरी बहन को रुलाया.. मेरा जीजा बनना है के नही’
बस ये सुनते ही रुखसाना फुट फुट के रोने लगी।
‘आमा हुआ क्या क्या है दोनो में से कोई कुछ बकेगा’ राजेश को गुस्सा चड गया था।
तब असलम ने सारी बात राजेश को बताई।
‘खोदा पहाड़ निकला चूहा वो भी मारा हुआ’ सारी बात सुन के राजेश हासने लगा।
राजेश के हासने पे रुखसाना को गुस्सा चड गया.. आँसू ख़तम और दे दाना दान राजेश के सीने पे मुक्के बरसाने लगी
‘यहाँ जान पे बनी हुई है.. आपको हसी सूझ रही है’
सोमया ने रोकना चाहा रुखसाना को.. पर राजेश ने इशारे से रोक दिया। वो चाहता था रुखसाना के दिल का गुब्बर पूरा बाहर निकल जाए.. और बहन के मुक्के तो प्यार की बरसात होते हैं उनसे दर्द कहाँ होता है।
लगभग टीन चार मिनट तक रुखसाना राजेश की छाती पे मुक्के बरसाती रही। उसका ये रूप देख तो असलम भी एक बार अंदर ही अंदर हिल गया था।
राजेश कप छाप मार ख़ाता रहा। मारते मारते रुखसाना राजेश से चिपक गयी और बिलख बिलख के रोने लगी।
‘बासस्स्स्स् अब एक आँसू नही’ राजेश लगभग गरज पड़ा।
उसकी गरज से तीनो रुखसाना, सोमया और असलम हिल पड़े।
‘अब कभी तुम्हें रोते हुए ना देखूं.. जब तक मैं हूँ.. तुम्हारी हर इच्छा पूरी होगी.. इस घोनचू से शादी करना चाहती हो ना.. तो मेरा वादा है तुम से.. इसको ही अपना जीजा बनूँगा, अब कैसे होगा ये सब वो तुम मुझपे छोड़ दो और अपनी पढाइ पे धयान दो.. एंजाय नाउ अब हम शेलेट हैं.. कल शाम को मैं तुम्हारे घर आऊंगा’
राजेश के बोल सुन रुखसाना के चेहरे पे मुस्कुराहट आ गई.. वो जानती थी की राजेश अपनी बात पे हमेशा खरा उतरता है। अब उसे इस बात की चिंता नही थी.. की राजेश कैसे उसके और असलम के घरवालों को राज़ी करेगा।
रुखसाना के चेहरे पे मुस्कुराहट देख राजेश भी मुस्कुरा दिया.. असलम के कंधे पे ढोल जमाते हुए ‘चल घोनचू इसका ख़याल रखना.. अब अगर ये रोई तो तेरी खैर नही’
‘जो आपका हुकुम साले साहब’ कहता हुआ असलम भी मुस्कुरा उठा।
राजेश और सोमया के निकलते ही असलम और रुखसाना एक दूसरे से लिपट गये अब उन्हें कोई चिंता नही थी।
जब राजेश और सोमया गार्डन के गेट पे पहुँचे तो अचानक राजेश रुक गया।
‘क्या हुआ रुक क्यूँ गये?’ सोमया पूछ बैठी।
‘यार वापस जाएँगे तो बस ट्रॅफिक में घूमते रहेंगे.. एक काम करते हैं हम भी थोड़ी देर यही कहीं बैठ जाते हैं’
‘ह्म रेस्टोरेंट चलते हैं.. मुझे भूख भी लग रही है’
‘चलो’ दोनो गार्डन में बने रेस्टोरेंट में चले जाते हैं और राजेश दोनो के लिए स्नॅक्स और कॉफी का ऑर्डर कर देता है और कोने में एक खाली टेबल पे दोनो जा कर आमने सामने बैठ जाते हैं।
राजेश.. सोमया के हाथों को अपने हाथों में थाम लेता है और उसकी आँखों में झाँकने लगता है।
‘ऐसे क्या देख रहे हो.. पहले कभी देखा नही क्या’ सोमया नज़रें चुराते हुए बोली।
‘यार तुम इतनी सुंदर हो सोच रहा हूँ अपनी बुकिंग करा ही लूँ.. कहीं तुम्हारे मम्मी पापा कुछ और ही ना कर बैठे और मैं बेचारा तुम्हारे बच्चे का बाप बनने की जगह अंकल ना बन के रह जाऊं’
सोमया भी मज़े लेने के मूड में आ गयी।
‘हाँ ये बात तो है.. कल ही मम्मी बता रही थी की पापा अपने किसी दोस्त के बेटे के बारे में बात कर रहे थे’
‘ओ तेरी की.. अब तो आज ही डैड से बात करनी पड़ेगी’
‘अच्छा जी अगर मेरे पापा नही माने तो.. अभी तो तुम पढ़ रहे हो।’
‘यार तुमने भी तो सी.ए करनी है.. तुम्हारे मम्मी पापा को भी रुख़ के घरवालों की तरहा बुखार चड गया है क्या’
‘लड़की हूँ.. का तो शादी के बाद भी हो सकती है.. तुम कैसे कन्विन्स करोगे मेरे पापा को अभी तो ग्रॅजुयेशन भी पूरा नही हुआ तुम्हारा।’
‘लगता है अब वक़्त आ गया है तुम्हारे पापा को होने वाले दामाद से मिला ही दिया जाए.. और तुम्हें हमेशा के लिए फिक्स कर दिया जाए’
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