Khul Gaya Darwaja – Part 4

iloveall 2017-06-03 Comments

जब मैंने मंजू के नंगे स्तन देखे तो मैं पागल सा हो गया। मेरा मन किया की मैं भी अंदर घुस जाऊं और मंजू की चूचियों को चूसने लगूं और उसकी फूली हुई निप्पलों को काट कर लाल करदूँ। पर सब मुझे छोटा मानते थे। देव लगा हुआ था तो मेरा नंबर कहा लगने वाला था? खैर, मैं मन मारकर अपने लण्ड को हिलाता हुआ, जो अंदर चल रहा था वह अद्भूत दृश्य देखने में जुट गया।

पिछला पार्ट यहाँ पढ़िए!

देव के दोनों हाथ मंजू को चरम सीमा रेखा पर पहुंचाने में ब्यस्त थे। मंजू की आँखें बंद थीं और वह पूरी तरह से देव के एक हाथ से उंगली चोदन और दूसरे हाथ से अपने स्तनों को जोश से दबवाने का उन्माद भरा आनंद अपनी आखें बंद कर महसूस कर रही थी। मुझे लगा की उसके बदन में अचानक जैसे कोई भूत ने प्रवेश किया हो ऐसे मंजू का बदन कांपने लगा।

मैं अचम्भे में पड गया की यह मंजू को क्या हो गया। मंजू के मुंहसे आह… आह… निकलने लगी। मंजू जो कुछ समय पहले देव से भाग रही थी अब देव को चोदने के लिए बिनती कर रही थी। उस के मुंह से बार बार, “ओह… देव… आह… ओह… आह.. मुझे चोदो और.. और…” मंजू का बदन इतने जोर से हिलने लगा की साथ साथ मेरा पूरा पलंग भी उसके साथ हिल रहा था। और फिर अचानक एक झटके में वह शांत हो गयी।

इतनी फुर्ती से मंजू की टांगों के बिच में उसकी चूत में से अपने हाथ और उँगलियों को अंदर बाहर करते हुए देव भी थोड़ा सा थक गया था। थोड़ी देर के लिए दोनों शांत हो गए। मैंने देखा की मंजू पलंग पर से थोड़ी उठी और उसने देव को उसकी बाहों में लेने के लिए अपनी बाहें उठायीं। देव खड़ा हुआ। उसका लंबा घंट जैसा लण्ड एकदम्म कड़क खड़ा हुआ था। वह अपना लण्ड एक हाथ से सेहला रहा था। मंजू ने देव का लण्ड अपनी एक हथेली में पकड़ा और उसे हिलाती हुई वह पलंग पर ठीक तरह से लम्बी होती हुई लेट गयी और तब उसने देव को उसके ऊपर चढने के लिए इंगित किया।

देव मंजू के लेटे हुए नंगे बदन को देखता ही रहा। मंजू की हलके फुल्के बालों से छायी हुई उभरी हुई चूत उसके मोटे लण्ड को ललकार रही थी। देव ने लेटी हुई मंजू की टांगों को अपनी टांगों के बिच में लेते हुए अपने घुटनों के बल दो हाथ और दो पाँव पर झुक कर मंजू के नंगे बदन को निहार ने लगा। नग्न लेटी हुई मंजू गज़ब लग रही थी। मंजू ने अपने दोनों हाथों को लंबाते हुए देव का सर अपने हाथों में लिया और देव का मुंह अपने मुंह से चिपका कर उसके होंठ अपने होठों से चिपका दिए।

दोनों पागल प्रेमी एकदूसरे से चिपक गए और एक अत्यंत गहरे घनिष्ठ अन्तरङ्ग चुम्बन में लिप्त हो गए। देव का लण्ड तब दोनों के बदन के बिच मंजू की जांघों के बिच था। वह मंजू की गीली चूत पर जोर दे रहा था। उनका चुम्बन पता नहीं कितना लंबा चला। थोड़ी देर के बाद मंजू ने देव का मुंह अपने मुंह से अलग किया। मुझे दोनों की गहरी साँसे कमरे के बाहर खड़े हुए भी सुनाई पड़ रही थी। इतना लंबा चुम्बन करने के समय दोनों की साँसे रुकी हुई थी सो अब धमनी की तरह ऑक्सीजन ले रही थी।

मंजू ने देव की आँखों में आँखें मिलाई और थोड़ा सा मुस्कुरा कर बोली, ‘देख पगले! कुछ पाने के लिए मेहनत तो करनी पड़ती है। अब मुझे देखता ही रहेगा या फिर अपनी मर्दानगी का अनुभव मुझे भी कराएगा? मैं भी तो देखूं, तू कैसा मर्द है?”

देव चुप रहा। उसने फिर झुक कर मंजू के लाल होठों पर अपने होंठ रख दिए और थोड़ा सा उठकर अपने घोड़े से लण्ड को ऊपर उठाया। मंजू ने देव का लण्ड अपनी हथेली में लिया और उसे हलके से हिलाते हुए धीरे से अपनी चूत के केंद्र बिंदु पर रखा। फिर थोड़ा ऊपर सर करके मंजू देव के कानों में बोली, “देख, अब तू तेरे यह मरद को धीरे धीरे ही घुसेड़ियो। तेरा लण्ड कोई छोटा नहीं है। मेरी बूर को फाड़ न दे।”

मंजू फिर पहली बार देव से डरी, दबी हुई प्यार भरे लहजे में बोली, “देख यार, अच्छी तरह उसे गीला करके हलके हलके डालियो। ध्यान रखना अब मैं और मेरी यह चूत सिर्फ मेरी नहीं है। यह तेरी भी है। अब यह जनम जनम के लिए तेरी हो गयी। जब तू चाहे इसका मजा ले सकता है।”

देव मंजू को देखता ही रहा। उसकी समझ में नहीं आरहा था की उस दिन तक जो मंजू उसकी रातों की नींद हराम कर रही थी और जो मंजू उससे भाग रही थी उस को अपने पास फटक ने नहीं दे रही थी वही मंजू कैसे उससे इतने प्यार से भीगी बिल्ली की तरह अपनी टांगें उठाकर उसे बिनती कर रही थी और उससे चुदवाने के लिए उत्सुक हो रही थी। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।

देव को भी एहसास हुआ की अब वह कोई साधारण छैला नहीं रहा। अब उसकी सपनों की रानी उस दिन से तन और मन से उसकी हो गयी थी। अब उसे मंजू के पीछे दौड़ने की जरुरत नहीं थी। वह जान गया की जवानी की जो आग उसके बदन में लगी हुई थी वही आग मंजू के बदन में भी लगी हुई थी। उस सुबह वह मंजू के पीछे भागने वाला सड़क छाप रोमियो नहीं बल्कि मंजू का प्रेमी बन गया था। मंजू अब जनम जनम की उसकी संगिनी बनाना चाहती थी। देव भी तो यही चाहता था। पर शायद देव प्यार की जो शरारत भरी हरकतें मंजू ने उसके साथ और उसने मंजू के साथ तब तक की थीं उसकी उत्तेजना खोना भी नहीं चाहता था।

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