Namrata Ki Kahani

rangbaaz 2015-03-20 Comments

कुछ दिन यूँ ही बीत गए. इन दिनों अदिति और नम्रता की ज़िन्दगी उसी तरह, पक्की सहेलियों की तरह चलती रही. दोनों एक दूसरे के घर आती जाती रहीं. नम्रता अदिति से मिलने उसके घर जाती, तो कभी कदार अनिल और वो आमने सामने पड़ते. अनिल मुस्कुरा कर उसे ‘हेलो’ बोलता और नम्रता सिर्फ अभिवादन में सर हिला कर आगे निकल जाती.

फिर एक दिन कालेज के फ्री पिरीअड में अदिति नम्रता एक जगह एकांत में ले गयी.
“सुनो, तुमसे कोइ मिलना चाहता है.” अदिति ने कहा. उसके चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान थी.
“कौन?” नम्रता ने उसे घूरते हुए कहा.
“अनिल.”
“अनिल… ?? तुम्हारा वो पड़ोसी जिसके साथ तुम…?” नम्रता बोलते बोलते रुक गयी.
“हाँ वही.” अदिति अभी भी मुस्कुरा रही थी. उसे मालूम था की नम्रता की प्रतिक्रिया क्या होगी.
“चल… मैं क्यूँ मिलूं उससे?”
“वो तुम्हे पसंद करता है.”
“हे प्रभु… तुमने मुझे समझ के क्या रक्खा है? मैं उस काले राक्षस से नहीं मिलूंगी, वो भी एक बच्चे का बाप.”
“मेरी बात सुनो पागल लड़की.” अदिति ने फिर समझाना शुरू किया “तुम्हे तुम्हारी शराफत कहीं नहीं ले जाएगी. ज़िन्दगी के मज़े लेने सीख लो.”
नम्रता को गुस्सा आने लगा. “तुम्हारा दिमाग ख़राब है क्या? इतनी बड़ी दुनिया में और कोइ नहीं उस काले हवालदार के आलावा?”
“क्या कमी है उसमे? की वो एक बच्चे का बाप है, शादी शुदा है? कौन कह रहा उससे शादी करने को या उसका बच्चा पालने को? बस उसके साथ ऐश करो… वो भी तो यही चाहता है.” अदिति ने समझाना जारी रक्खा. नम्रता अदिति की हर सलाह मानती थी, और अदिति को ये बात बहुत अच्छे से मालूम थी. “अगर तुम उसके साथ सो गयी तो कौन सा कानून तोड़ोगी? कौन सी किताब में लिखा है ये सब करना जुर्म है? अपनी दकियानूसी सोच से बाहर निकलो और देखो ज़िन्दगी कितनी रंगीन है.”
“छी.. उस काले के साथ…” नम्रता ने मुंह बनाते हुए कहा.
“अरे पागल, काले मर्द तो कितने सेक्सी लगते हैं. कभी गौर से देखा है उसे? उसपर उसका काला रंग कितना जचता है” अदिति ने फुसलाना जारी रखा.
नम्रता ने एक छोटे से पल को कल्पना की- वो और अनिल लिपटे हुए हैं.. नम्रता का गोरा गोरा गुलाबी बदन अनिल के काले काले चौड़े शरीर में समाया हुआ है. उसे एक ब्लू फिल्म की याद आ गयी जो उसने कभी अदिति के साथ देखी थी- उसमे एक लम्बा चौड़ा काला अफ़्रीकी एक गोरी लड़की के साथ जुटा हुआ था.
नम्रता की चूत गीली होने लगी. लेकिन झिझक अभी बाकी थी.
“लेकिन वो उम्र में कितना बड़ा है..”
” छः साल. तुम बीस की हो और वो छब्बीस का. कोइ ख़ास फर्क नहीं. उसकी उम्र भले ही छब्बीस हो, वो अभी भी जवान है और ऊपर से हट्टा कट्टा, लम्बा चौड़ा. और सुनो, वो छब्बीस साल का है, यही तो सबसे बड़ी खूबी है- उसे बहुत तजुर्बा है इस सब का. तुम्हे जन्नत की सैर करा देगा- उसका औज़ार बहुत बड़ा है” अदिति खींसे निपोर रही थी.” इतना मज़ा तो तुम्हे विक्रांत ने भी नहीं दिया होगा. ” अदिति के लिए नमिता को फुसलाना बड़ी बात नहीं थी.
औज़ार की बात पर नम्रता भी मुस्कुराने लगी “चल… कैसी लड़की हो तुम… अपने बायफ्रेंड से अपनी सहेली को मिलवा रही हो.”
“ओ हेल्लो… वो मेरा बायफ्रेंड नहीं है, न मेरा उससे कोइ चक्कर है. मैं पहले ही बता चुकी हूँ. वो तुम्हे पसंद करता है और उसी ने मुझ से तुमसे मिलाने के लिए कहा- मुझे कोइ हर्ज़ नहीं.” अदिति ने सफाई दी”एक बार मिल लो यार, मिलने में क्या हर्ज़ है. कौन कह रहा की उसके साथ सो जाओ.”
“चल… मैं जा रही हूँ.. समाजशास्त्र का क्लास शुरू होने वाला है.. आ जाओ..” नम्रता वहां से चल दी.

उस दिन बात यहीं पर खत्म हो गयी. लेकिन अदिति बार बार नम्रता को अनिल से मिलने के लिए फुसलाती रही- उस तरफ अनिल अदिति के पीछे पड़ा था की वो नम्रता को उससे मिलने के लिए राज़ी करे.
धीरे धीरे नम्रता अदिति के फुसलाने में आने लगी. जब भी वो एकांत में होती उसका दिमाग अपने आप कल्पना करने लगता- वो अपने आप को अनिल से सेक्स करते हुए कल्पना करती, और उत्तेजित हो जाती. लेकिन उसमे अभी थोड़ी शर्म बाकी थी. अदिति अपनी सहेली को अच्छे से जानती थी. वो और अदिति जब भी अकेले मिलते, वो अनिल के साथ किये अपने काले कारनामे सुनती.
“कल शाम को उसने मुझे ज़ोर से दबोच लिया”
“देख.. मेरा होठ सूज गया है… अनिल ने कल खूब चूसा”
“अनिल की छाती देखी है? चौड़ी होने के साथ साथ बाल भी बहुत हैं”
और नम्रता अन्दर ही अन्दर उत्तेजित हो जाती. वो सब चुप चाप सुनती रहती, अदिति को चुप होने के लिए मना नहीं करती, उसके दिमाग में वैसी ही ब्लू फिल्म चलने लगती- उस हब्शी की जगह अनिल और उस लड़की की जगह वो – दोनों एक दूसरे से लिपटे आनंद से छटपटा रहे होते.
अदिति नम्रता का मन ताड़ लेती. उसे पटा था की नम्रता अपने मुंह से कभी अनिल से मिलने के लिए ‘हाँ’ नहीं बोलेगी.

कुछ हफ्ते बाद अदिति के मम्मी-पापा एक शादी में दिन भर के लिए चले गए. उसके भाई पढ़ाई के लिए शहर से बाहर जा चुका था. उसका घर पूरा दिन के लिए खाली था. उसके दिमाग में बल्ब जला- उसे ख्याल आया क्यूँ न नम्रता को बिना बताये यहाँ बुलाया जाये, और अनिल के साथ अकेला छोड़ दे. बाकी का कम तो अनिल खुद कर लेगा. उसने पहले अनिल से मोबाईल फोन पर बात की. उस वक़्त पर वो थाने पर डयूटी पर था. अदिति की बात सुनते ही वो थाने में बहना बना कर सीधे अदिति के घर आ गया, वर्दी तक नहीं बदली.
“क्या बात है…!!!” अनिल के लिए दरवाज़ा खोलते हुए अदिति ने चुटकी ली “नम्रता इतनी पसंद है की वर्दी में ही चले आये? वर्दीवाले गुंडे!!”
अनिल मुस्कुराते हुए अन्दर घुसा और दबी आवाज़ में पूछा “आ गयी वो?”
अदिति की अब हंसी निकल गयी.
“थोड़ा सबर करो. पांच मिनट पहले फ़ोन पर बात हुई है उससे… अभी आ रही है, रस्ते में है.”
“हाय … कितने दिनों से सपने देख रहा हूँ उसके…!”
“बस थोड़ी देर और.. सपना सच होने वाला है.” अदिति अनिल को अपने बेडरूम में ले गयी.
अनिल पलंग पर पसर गया और अदिति को खींच लिया.
“अरे… ये क्या कर रहे हो… तुम यहाँ नम्रता के लिए आये हो… छोड़ो मुझे..!” अदिति बोली
“जानेमन.. जब तक नहीं आती तब तक तुम ही से काम चला लेते हैं…” कहते हुए अनिल ने अदिति का हाथ अपनी पैंट की ज़िप वाले भाग पर रख दिया.
अदिति उसका खीरे जितना मोटा, नौ इंच का लंड सहलाने लगी.
“सुनो… नम्रता को इसकी आदत नहीं है… आराम से करना.” उसने उसका लंड पैंट के ऊपर से सहलाते हुए हिदायत दी.
“पता नहीं यार…शायद मेरा कंट्रोल छूट जाये… इतनी सुन्दर लड़की को कोइ भी दबा दबा कर चोदेगा…”
“बिलकुल नहीं… आराम से करना … कुछ गड़बड़ न हो जाये, बेचारी है भी बिलकुल फूल से नाज़ुक.”
“सच कह रही हो. फूल सी नाज़ुक है तुम्हारी सहेली… बिलकुल कच्ची कली… उससे सुन्दर लड़की मैंने आजतक नहीं देखी.” अनिल उसकी कल्पना कर रहा था.”
“पता है, वो हमारे कालेज की मिस फर्स्ट इयर है. उसने ब्यूटी कम्पटीशन जीता था. उसके पीछे कितने लड़के पड़े हैं…” अदिति ने अपनी सहेली का बखान किया.
“आज वो मेरी होने वाली है” अनिल का लंड बिलकुल टाईट खड़ा था.
तभी दरवाज़े की घंटी बजी.”लो आ गयी. शान्ति से बैठे रहो.” अदिति फुर्ती से पलंग से उठी और दरवाज़ा खोलने पहुंची.
“आ जाओ हिरोइन.. ” नम्रता को छेड़ते हुए बोली “आज तो बहुत सुन्दर लग रही हो.. पार्लर गयी थी क्या?”
नम्रता मुस्कुराता हुए बोली “सिर्फ चेहरा स्क्रब करने गयी थी.. बस.”
“अच्छा, आजा अन्दर.” अदिति उसे अपने बेडरूम में ले गयी.
नम्रता अन्दर आई और अनिल को वहां देखते ही स्तब्ध रह गयी.
“अरे, क्या हुआ? बैठ जाओ न.” अदिति ध्यान भंग करते हुए बोली और नम्रता को बेडरूम के कोने में पड़े सोफे पर बैठा दिया. अनिल पलंग पर बैठा नम्रता को देख कर हलके हलके मुस्कुरा रहा था.
“कैसी हैं नम्रता जी?” अनिल ने बातचीत शुरू की.
“अच्छी हूँ.” नम्रता ने सकपकाते हुए जवाब दिया. वो अब अदिति को घूर रही थी. उसके चेहरे पर अनकहा सा सवाल था: ‘ये सब क्या है?’
अदिति किसी भी अन्तरंग सहेली की तरह नम्रता का सवाल ताड़ गयी और सिर्फ मुस्कुराती रही. नम्रता समझ गयी की उसे अनिल से मिलने के लिए बुलाया गया है.
अदिति नम्रता के बगल कुर्सी पर बैठ गयी.
“और सुनाओ, सुबह से क्या कर रही थीं?” अदिति ने बात शुरू की.
“कु.. कुछ नहीं.. टी वी देख रही थी” वो अभी भी हिचकिचा रही थी.
“हम्म.. ” अब अनिल बोला “कौन कौन से चैनल पसंद हैं आपको?”
“ये तो बस ‘ज़ूम’ देखती रहती है…” अदिति ने बताया.
“ज़ूम में तो गाने आते हैं न?” अनिल ने पूछा.
“हाँ.” नम्रता ने जवाब दिया.
“मुझे तो ज्यादा टी वी देखने की फुर्सत नहीं मिलती. कभी कभी पिक्चर देखने चला जाता हूँ.” अनिल ने बातचीत जारी राखी “आप पिक्चर देखती हैं नम्रता जी?”
“हाँ, कभी कभी इसके साथ चली जाती हूँ.” अदिति की तरफ इशारा करती हुई बोली. अब वो धीरे धीरे खुलने लगी थी. उसके अन्दर अजीब से भाव था. इतने लम्बे चौड़े भीमकाय मर्द को, वो भी पुलिस की वर्दी में देख कर वो हलकी सी सहम गयी थी. लेकिन उसको अच्छा भी लग रहा था, वो जिसके साथ वो रति क्रिया करने की चोरी चोरी कल्पना करती थी, आज उससे बातें कर रहा है.
अनिल को लड़कियां पटाना आता था. उसे मालूम था की नम्रता उसके डील डौल से घबरा गयी है, इसीलिए वो अपनी बातों में चाशनी मिला रहा था.
“मुझे तो दबंग बिलकुल बकवास लगी” नम्रता ने हाल ही देखी फिल्म के बारे में अपनी राय ज़ाहिर करी.
“अच्छा, क्यूँ? मुझे तो बहुत अच्छी लगी.” अनिल ने जवाब दिया. अब वो दोनों आराम से बातें कर रहे थे.
बातें करते करते अनिल जिस सोफे पर नम्रता बैठी थी, उस पर आकर बैठ गया, उसके बगल.
नम्रता ने पहली बार अनिल को इतने करीब से देखा : घनी घनी मूछें, चमकीली चमकीली बाज़ के जैसी तेज़ आँखें. अब उसे अदिति की बात समझ में आने लगी- अनिल वाकई बहुत बांका मर्द था. उसका काला रंग और उसकी पुलिस वाला हेयर कट उसके व्यक्तित्व और शरीर को निखार रहा था. नम्रता की नज़र ज़रा नीचे, उसकी गर्दन और छाती पर गयी – अदिति ठीक ही कह रही थी- उसकी छाती पर बाल थे जो उसकी वर्दी की कमीज़ के गले से झाँक रहे थे. इसके अलावा उसके मांसल हाथों पर भी बाल थे. उसे हमेशा से बाल वाले लड़के पसंद थे- इसीलिए उसे विक्रांत भी पसंद आया था.

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