Namrata Ki Kahani

rangbaaz 2015-03-20 Comments

अनिल ने फिर से अन्तरा को अपने आगोश में ऐसे ले लिया जैसे कोइ अजगर अपने शिकार को जकड़ लेता है. दोनों एक दूसरे के नंगे बदन के स्पर्श का आनंद ले लगे. अन्तरा का तो मन कर रहा था की वो यूँ ही इसी तरह हमेशा लिपटी रहे. उसे अनिल के लंड का स्पर्श अपने कटी प्रदेश पर मिला जो इस वक़्त पूरा तन कर खड़ा था. उसने अंदाज़ा लगाया की कम से साढ़े नौ इंच का रहा होगा, और खूब मोटा और भारी था, उसकी सहेली सच बोल रही थी.

अनिल उसके होठ चूस रहा था, ऐसे जैसे उसे शायद फिर से न मिले. थोड़ी देर बाद अन्तरा से बोला “अब तुम मेरे होठ चूसो. अन्तरा ने अनिल की गर्दन पर पीछे से हाथ रखा और उसके मोटे मोटे , काले काले , मरदाना होठ चूसने लगी. उसके होठों से जब अनिल की मूंछ के बाल टकराते तब उसे बहुत सुखद एहसास होता. उसे लगता जैसे वो वाकई में किसी मर्द से प्यार कर रही हो. अनिल को भी मज़ा आ रहा था. नम्रता के साथ वो न जाने क्या क्या करना चाहता था.

उसने नम्रता की ब्रा खींच कर फ़ेंक दी और उसकी सुन्दर, गोरी, रसीली चूंचियों को आज़ाद कर दिया. एक पल तो वो उसे देखता रहा. इतनी सुन्दर लड़की, और ऊपर से उसकी गुलाबी गुलाबी नाज़ुक मुलायम चूंचियां. वो चूंचियों पर टूट पड़ा, ऐसे जैसे कोइ भूखा आदमी खाने पर टूट पड़ता है. वो दोनों हाथों में उसकी चूचियों को भर कर उनसे खेल रहा था. नम्रता अपनी गर्दन घुमाये हलकी हलकी सिस्कारियां भर रही थी:
“अहह….!”
“उह्ह..हह…!”
अनिल अब उसकी चूंचियां अपने गाल पर रगड़ रहा था. नम्रता को उसकी हलकी सी बढ़ी हुई शेव चुभ रही थी. उसने अनिल को रोकना चाह लेकिन अनिल तो मदहोश था, नम्रता उसे जितना रोकती, वो और करता.

अगले ही पल वो उसकी चूंचियां चूसने लगा. नम्रता को एक करेंट जैसा लगा. ऐसा करेंट उसे बहुत दिनों के बाद लगा था. उसने अनिल के सर को थाम लिया और अपनी चूंचियां चुसवाने लगी. उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और आहें भर के अनिल के बाल और कंधे को सहला लगी.
“उह्ह..!”

अनिल को पता चल गया था की नम्रता को मज़ा आ रहा था. उसकी चूंचियां वो बहुत शौक से चूस रहा था. ऐसी सुन्दर लड़की उसने पहले कभी नहीं चोदी थी. करीब १५ मिनट तक अनिल नम्रता की चूंचियों का रस पीता रहा. उसके बाद वो उठा और अपनी चड्ढी उतार फेंकी.

उसका लालची लंड फुदक कर बाहर आ गया. उसके लौढ़े को बहुत भूख लगी थी. और इतनी सुन्दर लड़की को देख कर उसकी भूख कई गुना बढ़ गयी थी.

नम्रता ने अब अनिल का प्रचंड लंड देखा- साढ़े नौ इंच लम्बा, उसी की तरह तवे जैसा काला रंग, खीरे जैसा मोटा, उसकी नसें उभरी हुईं थी. अनिल की चौड़ी विशाल बालदार कली जांघों के बीच खम्भे की तरह तन कर खड़ा और पत्थर की तरह सख्त. उसका काला काला सुपाड़ा फूल कर गुलाब की कली तरह खिल गया था. अनिल बिस्तर पर बैठी हुई नम्रता के किनारे आकर खड़ा हो गया और उसकी प्रतिक्रिया देखने लगा.

नम्रता अब अनिल की शकल देख रही थी. अनिल ने धीरे से नम्रता के गुलाबी गालो को सहलाया और दूसरे हाथ से उसके चेहरे पर अपना लंड तान कर
बोला ” लो चूसो इसे..”
“नहीं.. मुझे नहीं पसंद…” नम्रता नहीं चूसना चाहती थी. उसने विक्रांत को भी मना कर दिया था लंड चूसने से.
“अरे.. तुम बड़ी अजीब लड़की हो… पहली लड़की हो जो इसे चूसने से मना कर रही हो, वर्ना लड़कियां तो पागल रहती हैं मेरा लंड चूसने के लिए.”
नम्रता ने अपने चेहरा घुमा लिया. अनिल उसके बगल बैठ गया और अपनी बाँहों में ले लिया.
“दो मिनट के लिए चूस लो. न अच्छा लगे तो छोड़ देना”
“नहीं, मुझे घिन आती है.” नम्रता ने विरोध किया.
“थोड़ी देर चूसोगी तो घिन भी चली जाएगी. देखो कितना मस्त लंड है मेरा… ये जब तुम्हारे अन्दर घुसेगा तो बहुत मज़ा आएगा तुम्हे” इतना कहते ही अनिल ने उसका एक हाथ अपने लंड पर रख दिया. लौढ़ा पकड़ते ही नम्रता के शरीर में चार सौ चालीस वोल्ट का करंट दौड़ गया.

अनिल ने अपनी टांगे पलंग पर फैला लीं और नम्रता को झुका कर अपना लौढ़ा चुसवाने की कोशिश करने लगा. नम्रता पहले बहुत झिझकी लेकिन फिर अनिल ने ज़बरदस्ती उसके सर को पकड़ कर अपने लंड पर दबा दिया. नम्रता ने अनिल के लंड के सुपाड़े को मुंह में ले लिया. उसे उबकाई आने लगी. लेकिन अनिल ने उसका सर अभी भी दबा रक्खा था.
“चूसो न… जैसे लोलीपोप चूसते हैं…” अनिल बोला.
नम्रता मन मार कर अपनी जीभ से उसका सुपाड़ा सहलाने लगी. उसने किसी तरह बस उसके सुपाड़े के ऊपर का हिस्सा अपने मुंह में लिया हुआ था. अनिल का बस चलता तो पूरा का पूरा लंड उसके मुंह में घुसेड़ देता और अपना वीर्य भी उसके गले में गिरा कर प्रेग्नेंट कर देता.

लेकिन नम्रता ढंग से चूस नहीं रही थी- अनिल को मज़ा नहीं आ रहा था. लेकिन वो फिर भी अपना लुंड चुसवा रहा था- वो नम्रता जैसी सुन्दर लड़की के गुलाबी-गुलाबी नाज़ुक होटों के बीच अपने काले-काले लंड को देखना चाहता था. वो ये देखना चाहता था की नम्रता उसका लंड चूसते हुए कैसी लगती है.

दो मिनट तक नम्रता यूँ ही अपने होटों और जीभ से उसके लौढ़े को सहलाती रही फिर बोली “अब बस करूँ..?”
अनिल मुस्कुराया और बोला “हाँ ठीक है, बस करो.. आओ आकर लेट जाओ”
नम्रता बिस्तर पर लेट गयी. अनिल उठा और नम्रता की टांगे उठा कर उसके सामने घुटनों के बल खड़ा हो गया और उसकी टांगे अपने कन्धों पर रख लीं. नम्रता समझ गयी थी की अब क्या होने वाला है.
“अनिल… इतना बड़ा अन्दर नहीं जा पायेगा.”
अनिल की हंसी छूट गयी. वो बहुत अनुभवी था. “हा हा हा… घबराओ मत, सब अन्दर चला जाता है.”
“लेकिन … लेकिन … मैं प्रेगनेन्ट हो गयी तो?”
“चल बेवक़ूफ़… अनवांटेड 72 खा लेना…. फालतू में डरती हो.”
” अनिल… आराम से करना.. प्लीज़..”
इस पर अनिल कुछ नहीं बोला. उसने चूत के मुहाने पर अपने लंड का सुपाड़ा टिकाया और कस के शाट मारा.
“मम्मी…” नम्रता कराह उठी. उसे अपना पहला अनुभव याद आ गया.
अनिल का लंड आधा उसकी चूत में समा गया था. अनिल उसे पूरा अन्दर तक घुसेड़ दिया.
“हाह्ह्ह….!!!” नम्रता ने कराहते हुए उछल कर अनिल के चौड़े चौड़े कन्धों को थाम लिया.
अनिल को बहुत मज़ा आ रहा था. जिस चीज़ की कल्पना वो कई दिनों से कर रहा था, आज उसके सामने घटित हो रही थी. कचनार की कली सी सुन्दर लड़की की गुलाबी गुलाबी मुलायम चूत में उसका काला-काला लंड घुसा हुआ था. और नम्रता उससे लिपटी हुई छटपटा रही थी.
एक पल को को वो उसे यूँ ही देखता रहा. फिर उसने अपनी कमर हिलानी शुरू की.
उसकी कमर के हिलने से नम्रता का छटपटाना और कराहना भी शुरू हो गया.

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