Paper Dene Aayi Saali, Choot De Gayi

Deep punjabi 2018-01-16 Comments

मैं — कोई बात नही जानू, बस एक हफ्ते की तो बात है। उसके बाद फेर हम ऐसे ही सोया करेंगे जेसे आज से पहले सोते थे।

इसके बाद मैं अपने बेडरूम में आ गयी ओर दोनों बहने बाते करने लग गयी। जब मैं सोने लगी, तो काजल सुबह होने वाले एग्जाम की तैयारी करने लगी। उधर पतिदेव को आज अलग सोने की वजह से नींद नही आ रही थी। वो करवटे बदल रहे थे। नींद तो मुझे भी नही आ रही थी क्योंके मुझे भी उनसे चिपक कर सोने की आदत है। सो मैं भी बस रात गुज़ारने की खातिर करवटें ले रही थी। काजल को कोई सवाल समझ नही आया तो उसने पहले तो उसने मुझे उठाना चाहा। लेकिन फेर पता नही क्या मन में आया और अपनी किताब लेकर जीजू के कमरे में चली गयी। काफी समय तक वहां जीजू साली हंसी मजाक करते सुनाई देते रहे और इस तरह एक रात गुज़र गयी।

अगली सुबह मैंने चाय बनाकर उन दोनों को उठाया और उनके लिए नाश्ता बनाने लगी। तब तक वो बारी बारी से फ्रेश होने बाथरूम चले गए।

हमने नाश्ता इकठे किया और उन दोनों को बाइक से घर से विदा कर दिया। उसके बाद घर के रोज़ाना के कामो में वयस्त हो गयी। अब ये उनका रोज़ाना का रूटीन बन गया था।

रात को जब तक मैं जागती रहती मुझसे काजल बाते करती रहती। जब मैं सो जाती वो किताब उठाकर अपने जीजू के पास चली जाती। पता नही क्यों मुझे ना चाहते हुए भी मेरी बहन और पति पे क्यों शक हो रहा था। कई बार खुद ही अपनी बात का जवाब देती के नही ऐसा नही हो सकता, बस जीजू साली ही तो है। बस एक हफ्ते की तो बात है। वो बड़ी मुश्किल से तो इतने समय बाद आई है। उसने कौनसा रोज़ाना आना है। एक हफ्ते बाद अपने घर चली जायेगी। हंसने खेलने दो। मैंने उस दिन से उनपे चोरी चोरी नज़र रखनी शुरू कर दी।

एक दिन ऐसे ही विज्ञान की परीक्षा से एक दिन पहले काजल को स्त्री शरीर प्रणाली से सबंधित कोई सवाल समझ नही आ रहा था। तो मैंने उसे समझने की बहुत कोशिश की पर मेरी कोशिश बेकार गयी। मतलब उसकी समझ में बात नही आई।

काजल — दीदी आप सरल भाषा में समझाओ फेर शायद समझ में बात आ जाएं।

मैंने उधारनो साथ समझाया लेकिन उसको सन्तुष्टी न हुई।

मैंने थोडा अकड़ कर बोल दिया, जाओ इसे सरल भाषा में नही समझा सकती।

मेरी बात से वो शायद हर्ट फील कर गई और वो किताब उठाकर अपने जीजू के कमरे में चली गयी। मुझे भी बाद में फील हुआ के मेने उसे डाँट कर अच्छा नही किया। मैं उसे माफ़ी मांगने पति देव के कमरे की तरफ जा ही रही थी के मेने देखा के काजल के जीजू नींद न आने की वजह से करवट बदल रहे थे। उन्होंने बनियान के साथ अंडरवियर पहना हुआ था।

काजल लटका सा मुंह लेकर जीजू की चारपाई जे पास जाकर खड़ी हो गयी। मैं दीवार के साथ सटकर उनकी बाते सुन रही थी। उसे देखकर उसके जीजू ने बोला,” क्या हुआ मेरी प्यारी सी साली को आज मूड उखड़ा उखड़ा सा क्यों है । दीदी ने कुछ कह दिया क्या ?

काजल — हाँ, जीजू मेने विज्ञान का एक सवाल उनसे समझना चाहा लेकिन उन्होंने डाँट दिया। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।

जीजू — चलो कोई बात नही, आओ मेरे पास बैठो, मैं समझाने की कोशिश करता हूँ। बताओ कौनसा सवाल है ?

काजल — ये देखो न किताब में पेज नम्बर 45 पे ये जो स्त्री की शरीर प्रणाली का चित्र बना हुआ है। इसमें लिखा है के गर्भाशय, जीजू मेने बस इतना पूछा गर्भाशय होता क्या है ? उसे समझाना नही आया तो उसने मेरे को डांट दिया ।

जीजू — (हाहाहाहाहा) — तुम्हारी दीदी भी न… इतनी सी बात समझा नही पायी। इधर किताब में देखो। इस लड़की की जांघो के थोडा ऊपर और पेट के निचे एक थैली बनी हुई है न, इसे गर्भाशय बोलते है। सरल भाषा में समझाऊ तो इस लड़की के ही नही, दुनिया में जितनी भी लड़कियां है। उन सब के अंदर ये थैली होती है।

काजल — लेकिन इसका काम क्या है ?जीजू — ह्म्म्म… अब ये भी बताना पड़ेगा क्या ?

काजल — जी हां और वो भी पूरी डिटेल के साथ !

जीजू — सच में नही पता या बस जीजू के मज़े ले रही हो, पहले ये बताओ ?

काजल — नही सच में नही पता, कसम से

जीजू — कमाल है, 10वीं तक पहुँच गई हो और स्त्री शरीर प्रणाली की जानकारी नही है तुझे, क्या मज़ाक कर रही हो साली साहिबा । चलो कोई बात नही बता देता हूँ वो भी, सुनो मैं थोडा प्रेक्टिकली में विश्वाश रखता हूँ ताजो जो कोई भी बात आसानी से समझ आ जाये। अगर तुम बुरा न मानो तो मैं तुम्हे सवाल समझाने की खातिर छू सकता हूँ क्या ?

अशोक की ऐसी बात सुनकर मैं दरवाजे की ओट लेकर और करीब होकर अंदर का नज़ारा देखने लगी।

काजल — हां, क्यों नही जीजू ?

जीजू — ठीक है, एकदम सीधा खड़ जाओ, मेरे सामने बिलकुल सावधान पोजिशन में ।

काजल – लो जीजू, खड़ गयी

जीजू — मेरी बातो को नेगटीवी में न लेना या कहलो के बुरा न मानना, ये बाते हम दोनों में ही रहनी चाहिए, यहां तक के अपनी दीदी से भी न कहना, के जीजू ने ऐसे समझाया है।

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