Party Me Neelam Ki Chut Mili

Deep punjabi 2018-01-11 Comments

वो — (ख़ुशी से हँसकर) — आपका बहुत बहुत धन्यवाद दीप जी, आपने हमे रोज़ की झिक झिक से निजात दिला दी। आपका ये अहसान ज़िन्दगी भर याद रखूंगी। बाय बेटे को स्कूल भेजकर आती हूँ ।

करीब एक घण्टे बाद नीलम का कॉल आया के वो अपने घर से निकल चुकी है । बस 10 मिनट में बताए पते पे पहुँच जायेगी। तब तक आप भी आ जाइये। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।

इधर मैं भी तैयार होकर उससे पहले स्कूटर से निश्चित जगह पे पहुँच गया और मकान का दरवाजा खोलकर, नीलम की राह देखने लगा। थोडी ही देर में नीलम ऑटो से वहां आ गयी। उसने मुझे नमस्ते बोला, मैंने उन्हें बैठने को बोला।

थोड़ी देर इधर उधर की बाते करने के बाद वो बोली, चलो मुझे पहले घर तो दिखादो । मैं उसके साथ उसे घर दिखने के लिए चला आया। वो मेरे आगे और मैं उसके पीछे चल रहा था । आज उसने सफेद काली मैचिंग की एक दम टाइट सलवार कमीज़ पहनी हुई थी। जो के उसपे बहुत ही जच रही थी। एक दम फिट कपड़ो में उसका उभरा ज़िस्म कयामत ढाह रहा था। जिसे देखकर मेरा मन कुछ कुछ बेईमान होने लगा। मेरी नज़र बार बार उसी को ही देखे जा रही थी। जो के उसने भी नोट कर लिया था। मैंने उसे कहा,” अगर आप बुरा नही मनो तो एक बात बोलू?

वो — हांजी, कहिये और आपका बुरा नही मानूंगी। आपसे वादा है।

मैं — इस ड्रेस में आप बहुत खूबसूरत लग रहे हो। मानो कोई परी आसमान से उतरकर यहाँ आ गयी हो। मेरी तो नज़र ही नही हट रही आपसे ?

वो – (थोडा शर्माके) — बहुत बहुत धन्यवाद, हाँ मैं भी कब से नोटिस कर रही हूँ आपको, आप इस तरह से न देखो। मुझे शर्म आ रही है।

मैं — ओये.. होये.. हमसे कैसी शर्म नीलम जी। आप हो ही इतने सुंदर के बार बार आपको देखने को जी चाहता है। काश मेरी भी कोई इतनी सुंदर गर्लफ्रेंड होती। तो मैं उसे दिन रात टिकटिकी लगाकर देखता रहता।

मेरी बात सुनकर वो शर्म से पानी पानी हो रही थी और बोली,” क्या सच में आपकी कोई गर्ल फ्रेंड नही है या ऐसे ही बना रहे हो?

मैं — नही यार गॉड स्वेअर, नही है। होती तो आपको इतना क्यों टिकटिकी लगाकर देखता।

इसपे हम दोनों हंस पड़े। फेर वो बोली,” बाते तो होती रहेगी लेकिन पहले जो काम आये है वो तो करले। मैंने उसे उस घर का पहला कमरा दिखाया जो के एक बेडरूम था। परन्तु धूल मिटटी की वजह से उजडा चमन लग रहा था। बाद में रसोई, बाथरूम, स्टोर रूम आदि सब कुछ दिखाया। उसे घर बहुत पसन्द आया। उसने थैंक्स बोलकर कहा,” आपका बहुत बहुत मेहरबानी आज आपकी वजह से मेरी बहुत बड़ी समस्या हल हो गयी।

मैं — हांजी, इट्स ओके.. लेकिन धन्यवाद से काम नही चलेगा। इसकी पार्टी देनी पड़ेगी।

वो — हांजी जरूर। आपको पार्टी मिल जायेगी। बोलो क्या चाहिए पार्टी में.. कोई गिफ्ट या खाना पीना आदि।

मैं — (मैंने अपने होंठो पे जीभ फेरते हुए उसे अपना इशारा समझाया)….और कहा वो समय देखकर निर्धारित होगा। बस आप अपना वादा भूल न जाना।

वो – (शायद वो समझ चुकी थी के मैं पार्टी में क्या चाहता हूँ) हंसती हुई बोली…. नही.. नही हो ही नही सकता के नीलम अपना वादा भूल जाये। हाँ बस इतना ध्यान रखना आपकी पार्टी मेरे बस की बात होनी चाहिए। मतलब के कोई ऐसी चीज़ न मांग लेना के मेरी पहुँच में न हो या कहलो के ज्यादा महंगी क्योंके हम गरीब घर से सम्बंधित है।

मैं – अरे ! नही नीलम जी, कैसी बात करते हो। इतना भी तंग नही करूँगा आपको के आपको अपनी पहुच से बाहर जाना पड़े। मेरी पार्टी का समान आपकी पहुँच में है और इसे सिर्फ आप ही दे सकते हो।

वो — (इस बार मेरा इशारा एकदम साफ समझ चुकी थी) चलो ठीक है, डील पक्की समझो। घर की साफ सफाई के बाद आपको आपकी पार्टी मिल जायेगी। हाँ लेकिन ये तो बतादो इसका महीने का भाड़ा कितना लोगे आप ?

मैं — अरे, नीलम जी, आपसे ज्यादा थोड़ी लेंगे। जितना आपको अच्छा लगे दे देना, लेकिन इस बात का ध्यान रहे के अपना हक देना नही, हमारा हक मारना नही।

इस तरह से 2 हज़ार में बात पक्की हो गयी और हम अपने अपने घर आ गए।

अगले दिन काम काज से फ्री होकर सादे कपड़े पहने नीलम झाड़ू लेकर नए घर की सफाई करने आ गयी। उसने मुझे फोन लगाया और घर की चाबी देकर जाने को कहा।

मैं बाइक से उसे चाबी देने उनके होने वाले घर पे चला गया। मैं जैसे ही चाभी देकर वापिस आने लगा। तो नीलम बोली,” आप जा रहे हो? अगर बुरा न मानो तो मेरे साथ थोड़ी मदद करवा दो। जिस से मुझे काम में आसानी हो जाये और अकेली बोर भी न होउंगी।

मेरा मन तो रुकने का नही था, लेकिन मन में आया शायद आज पार्टी न दे दे कही।

मैंने कहा,” कोई बात नही नीलम जी, वैसे भी आज फ्री था, चलो आपके साथ मदद करवा देता हूँ। जिस से हम दोनों का मन भी लगा रहेगा।

मैंने बाइक घर के अंदर करली और गेट को अंदर से बन्द कर लिया। फर्नीचर के नाम पे वहां एक खटिया और एक स्टूल, दो कुर्सिया पड़ी थी। हम दोनों कुर्सियो पे बैठ गए और बाते करने लगे। कल की तरह आज भी मेरे मन में सिर्फ वासना का तूफान उमड़ रहा था।

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