Khul Gaya Darwaja – Part 2
देव के वापस आने के बाद देव और मंजू की शरारत भरी मस्ती बढ़ती ही जा रही थी। करीब हर रोज, माँ की नजर चुका कर देव मंजू को जकड ने कोशिश में लगा रहता था और मंजू उसे अंगूठा दिखाकर एक शरारत भरी नजर से देख हंस कर खिसक जाती थी। एक दिन सुबह मैं कमरे में पढ़ाई कर रहा था तब मंजू आयी। थोड़ी देर तक तो हम दोनों बात करते रहे पर फिर मुझसे रहा नहीं गया, तो मैंने पूछ ही लिया की उसके और देव के बिच में क्या चल रहा था। रियल इन्सेस्ट सेक्स स्टोरीज हिंदी चुदाई कहानी
मंजू ने मुझे कहा,”छोटे भैया, उसके लण्ड में जवानी की खुजली हो रही है। वह अपनी हवस की भूख मुझसे बुझाना चाहता है। ”
तब मैंने मंजू की और देखा और पूछा, “और तुम? तुम क्या चाहती हो?”
मंजू ने सीधा जवाब दिया, “छोटे भैया, सच कहूं? मेरा भी वही हाल है। मुझे भी खुजली हो रही है। पर मैं आसानी से उसके चुंगल में फंसने वाली नहीं हूँ। मैं देखना चाहती हूँ की उसमें कितना दम है।” यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
मैं मंजू की बात सुन हैरान रह गया। बापरे! एक सीधी सादी गॉंव की लड़की और इतनी चालाक?
मेरी उत्सुकता बढ़ती ही जा रही थी। मैं देखना चाहता था की उन दोनों की जवानी क्या रंग लाती है।
ऐसे ही दिन बितते चले गए। देव को मंजू को फाँसने का मौक़ा नहीं मिल रहा था। माँ के रहने से मंजू को खिसक ने का मौक़ा मिल जाता था, और देव हाथ पे हाथ धरे वापस चला जाता था।
कुछ दिनों के बाद एक दिन हमारी कॉलोनी के दूसरे छोर पर सुबह कॉलोनी की सारी महिलाओं ने मिलकर एक घर में सत्संग का कार्यक्रम रखा था। माँ सुबह तैयार हो कर मुझे घर का ध्यान रखने की हिदायत दे कर सत्संग में जाने के लिए निकली। मैं अपनी पढ़ाई में लगा हुआ था की मंजू आयी और बर्तन मांजने बैठ गयी। बर्तन करने के बाद जब रसोई में झाड़ू लगा रही थी तब तो देव प्रसाद पाइप लेकर घरमें दाखिल हुआ। उसे पता लग गया की घर में मेरे और मंजू के अलावा कोई नहीं था।
देव ने मुझे देखा तो इशारा कर के मुझे मंजू के बारेमें पूछने लगा। मैंने देव को रसोई की और इशारा किया। देव समझ गया की मंजू रसोई में है। देव ने मुझे अपने नाक और होंठों पर उंगली रखकर चुप रहने का इशारा किया। मैं समझ गया की उस दिन कुछ न कुछ तो होने वाला था। बस फिर क्या था? उसने चुपचाप टंकी में पाइप डाला और बाहर जा कर नलका खोल कर पाइप को टंकी में पानी भर ने छोड़ दिया। मंजू तब रसोई घर में झाड़ू लगा रही थी। उसे पता नहीं था की देव आया था। देव चोरीसे दरवाजे के पीछे छुपते हुए मंजू को देखने लगा। मैं सारा नजारा देख रहा था। जैसे ही मंजू दरवाजे से बाहर निकलने लगी की देव ने उसे अपनी बाहों में दबोच लिया।
मंजू देव की बाहोंमें छटपटाने और चिल्लाने लगी। उसे पता था की घरमें मेरे अलावा कोई भी नहीं था। जैसे तैसे देव से अपने आपको छुड़ा कर वह मेरे कमरे की और भागी और मेरे कमरे में घुस कर उसने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया। मैं अपने कमरे में ही था। तब मैंने मंजू से पूछा, “क्या मैं चिल्ला कर सब को बुलाऊँ?”
मंजू ने मेरा हाथ पकड़ा और बोली, “यह हमारे तीनों के बिच की बात है। किसी चौथे को पता नहीं लगना चाहिए। ठीक है?”
मैंने अपना सर हिलाया। उधर बाहर से देव दरवाजा खटखटाने लगा। मैंने मंजू की और देखा। वह जोर जोर से हाँफ रही थी। जोर जोर से सांस लेने के कारण उसकी छाती धमनी की तरह ऊपर निचे हो रही थी। उसके मोटे फल सामान परिपक्व स्तन ऊपर निचे हो रहे थे। मैं उसे देखते ही रहा। मंजू ने मुझे उसकी छाती को घूरते हुए देखा तो बोली, “कैसी लग रही है मेरी चूचियां? मेरे मम्मे अच्छे लग रहे हैं ना? तुम्हें उनको छूना है क्या?”
मैं घबड़ाया हुआ मंजू की और देखने लगा। मंजू ने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी छाती पर रखा और बोली, “दबाओ मेरे शेर, इन्हें खूब दबाओ। आज इन्हें खूब दबना है।” यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
मैं भी पागलों की तरह मंजू के दोनों स्तनों को अपने दोनों हाथों से उसकी चोली के ऊपर से ही जोर से दबाने लगा। आह! कितने मुलायम और कितने कड़क थे उसके मम्मे! उतने में ही बाहर से देव की जोर से दरवाजा खटखटाने की आवाज आयी। वह हमें दरवाजा खोलने के लिए कह रहा था। मैंने फिर मंजू की देखा। मैंने मंजू से कहा, “आज देव तुम्हें नहीं छोड़ेगा। आज वह पक्के इरादे से आया लगता है। क्या करना करना है, बोलो?”
मंजू की सांस थोड़ी थमी तो वह बोली, “धीरे से अचानक ही दरवाजा खोलना। मैं निकल कर भागुंगी। मैं देखती हूँ वह मुझे कैसे पकड़ पाता है?”
मैं चुपचाप दरवाजे के करीब खड़ा हो गया, और एक ही झटके में मैंने दरवाजा खोल दिया। मंजू एकदम निकल कर भागी। पर उसका इतना बड़ा और मोटा घाघरा उसको ज्यादा तेजी से कहाँ भागने देने वाला था? थोड़ी ही दुरमें देव ने भाग कर पकड़ लिया और उसे अपनी बाहोंमें फिरसे दबोच लिया। अब मंजू कितना भी छटपटाये वह उसे छोड़ने वाला नहीं था। देखने की बात वह थी की मंजू भी उसकी पकड़ से छूटने की बड़ी भारी कोशिश कर रही थी पर थोड़ा सा भी चिल्लाना तो क्या आवाज भी नहीं निकाल रही थी। ऐसा लग रहाथा जैसे वह नहीं चाहती थी की कोई उसे छुड़ाए पर वह जैसे देव की मर्दानगी को चुनौती दे रही थी।
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