Khul Gaya Darwaja – Part 2
देव की चंगुल से छूटने के लिए वह देव के दोनों हाथों का पाश, जो उसकी छाती पर था उसे खोलने का जोरों से प्रयास कर रही थी। मंजू की छाती फिर से श्रम के कारण हांफने से ऊपर निचे हो रही थी। मंजू की परिपक्व स्तन ऐसे फुले हुए थे जैसे कोई दो बड़े गोल बैंगन उसकी छाती में रख दिए गए हों। मंजू के जोर जोर से सांस लेने से वह ऐसे फ़ैल रहे थे और ऊपर नीचे हो रहे थे जिसको देखकर किसीका भी लण्ड फुफकारे मारने लगे। देव के बाहों में मंजू के बड़े स्तन इतने दबे हुए थे फिर भी वह दबने से फूलने के कारण देव के हाथ के दोनों तरफ फ़ैल रहे थे और साफ दिख रहे थे। देव ने मंजू के दोनों पांवों को अपने दोनों पांवों के बिच में फँसा कर उसकी गांड के पीछे अपना लण्ड दबा रखा था। मंजू असहाय हो कर फड़फड़ा रही थी।
साथ ही साथ मंजू देव को उल्ट पुलट बोल कर उकसा भी रही थी, “साले छोड़ मुझे। तू क्या सोच रहा है, मैं इतनी आसानी से फँस जाउंगी। अरे तू मुझे क्या फाँसेगा, देख मैं कैसे भाग जाती हूँ। ताकत है तो रोक ले मुझे। मैं भी देखती हूँ तू क्या कर सकता है। अरे तुझमें ताकत है तो अपनी मर्दानगी दिखा मुझे।” ऐसा और कई बातें बोलकर जैसे वह देव को और भड़काना चाहती थी। पर देव उसे कहाँ छोड़ने वाला था। देव ने मंजू को अपनी बाहोंमें ऐसे जकड कर कस के पकड़ा था की आज वह छूट नहीं सकती थी।
मंजू के जवाब में देव भी बोलने लगा, “साली, तू क्या समझती है? मैं क्या कोई ऐसा वैसा ढीलाढाला नरम मर्द हूँ जो तु मुझसे इतनी आसानी से पिंड छुड़ा कर भाग जायेगी और फिर मुझे इशारा कर के उकसाती और भड़काती रहेगी? मैं जानता हूँ की तेरी चूत में मेरे लण्ड के लिए बहुत खुजली हो रही है। इसी लिए तू मुझे हमेशा उकसाती और भड़काती रहती है। अगर तु मुझे पसंद नहीं करती है तो मुझे अभी बोल दे, मैं तुझे इसी वक्त छोड़ दूंगा। मैं तेरे पर कोई जबर दस्ती नहीं करूंगा, पर तू मुझे चुनौती मत दे और यह मत सोच की अगर तू मुझे उकसाएगी तो मैं चुपचाप बैठूंगा। तुझे मेरी मर्दानगी देखनी है न? तो मैं तुझे आज मेरी मर्दानगी दिखाऊंगा।”
उस तरफ मंजू भी कोई कम नहीं थी। वह बोली, “अच्छा? तू मुझे चुनौती दे रहा है? अरे तू मुझे अपनी मर्जी से क्या छोड़ेगा? मैं कोई तुझसे कम नहीं हूँ। मैं खुद ही इतनी ताकतवर हूँ की तुझको आसानी से मात दे दूंगी। और तू क्या कहता है, मैं तुझे यह कह कर मुझे छोड़ने के लिए भीख मांगू की तू मुझे पसंद नहीं है? अरे पसंद नापसंद की तो बात ही नहीं है। जो मुझे वश में कर लेगा मैं तो उसीकी बनकर रहूंगी। तुझमें यदि ताकत है तो मुझे उठाकर कमरे में ले जा और दिखा अपनी मर्दानगी। तू क्या सोच रहा था की आज घर में कोई नहीं है तो क्या मैं तुझसे ड़र जाउंगी? मैं डरने वालों में से नहीं।”
यह साफ़ था की मंजू देव से छूटना नहीं चाहती थी। वह देव को मर्दानगी की बार बार चुनौती देकर शायद यह साबित करना चाहती थी की अगर देव को उसे चोदना है तो उसे वश में करना पडेगा। मेरे लिए भी यह प्रसंग कोई पिक्चर के उत्तेजक द्रश्य से कम नहीं था। मेरा भी लण्ड खड़ा हो गया और मेरे जांघिए में फटकार मारने लगा। मेरा हाथ बार बार मेरे पांवों के बिच में जाकर मेरे चिकने लण्ड को सहलाने लगा।
अगर मंजू देव को कहती की देव उसे पसंद नहीं तो देव उसे छोड़ देता। यह साफ़ था की देव उसपर जबरदस्ती या बलात्कार करना नहीं चाहता था। पर वह तो देव को बार बार चुनौती दे कर के उसके चुंगुल में फंसना ही चाहती थी, ऐसा मुझे साफ़ साफ़ लगा। बस फर्क सिर्फ इतना ही था की वह देव को उसे चोदने का खुल्लम खुल्ला आमत्रण नहीं दे रही थी। शायद कोई भी साधारण नारी कोई भी मर्द से चुदवाने के लिए ऐसा खुल्लम खुल्ला निमत्रण नहीं देगी। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
जब देव ने मंजू से सूना की वह देव को चुनौती दे रही थी की अगर देव उसे वश में कर लेगा तो मंजू उसीकी बन जायेगी, तो देव में अजब का जोश आगया। उसने मंजू की गांड अपने दोनों पाँव के बिच में फँसायी और पिछेसे उसे धक्का मारने लगा। उपरसे अपने हाथों का पाश थोड़ा ढीला करके एक हाथ उसने हटाया और वह मंजू के मम्मों को दबाने लगा।
मंजू को एक मौक़ा मिल गया। जैसे ही देव का पाश थोड़ा ढीला पड़ा की मंजू ने एक धक्का देकर देव का हाथ हटा दिया और भागने लगी। पर उसके पाँव तो देव के पाँव में फंसे हुए थे। भागती कैसे?मंजू धड़ाम से निचे गिर पड़ी। साथ में अपना संतुलन न रखने के कारण देव भी साथ में मंजू के ऊपर गिरा। तब मंजू निचे और देव ऊपर हो गए। मैंने देखा की देव ने मंजू को जमींन पर लेटे हुए अपनी बाहों में ले लिया। अब उसके होंठ मंजू के होंठों से लगे हुए थे। उसने अपने होंठ मंजू के होंठों पर भींच दिए और मंजू के होंठों को चुम्बन करने लगा। उसका कड़ा लण्ड मंजू के घाघरे के उपरसे उसकी चूत में ठोकर मार रहा था। मंजू देव के दोनों बाँहों में फँसी हुई थी। देव ने मंजू को अपने निचे ऐसे दबा रखा था की हिलना तो दूर की बात, मंजू साँस भी ठीक तरह से ले नहीं पा रही थी।
Comments