Aur Hum Pyaase Hi Reh Gaye

Deep punjabi 2016-08-11 Comments

आखिर पूजा वाला दिन भी आ ही गया और जब भाभी मेरे पास आई तो मैं उस वक़्त पीसीओ पे एक ग्राहक को अटेंड कर रहा था। दुकान भी खुली थी, भाभी दुकान् में मुझे न पाकर सांझी खिड़की से ही पीसीओ में आकर सामने पड़ी कुर्सी पे आकर बैठ गयी और जब वो ग्राहक चला गया तब बोली,” दीप एक फ़ोन करना है अपने मायके में, क्योंके जो पण्डित पूजा करने वाला आ रहा है वो उनके गांव का ही है। उसको बोलना है के जल्दी से आ जाओ सब तैयारिया हो चुकी है।

मैंने उसका दिया नम्बर डायल कर दिया और बात करने लगी। वो फोन नम्बर पण्डित जी के पड़ोस का था। वो बोले 5 मिनट बाद फोन लगाना हम उनको बुलाकर लाते हैं।भाभी ने फोन काट दिया और मुझे कहा के दीप पीसीओ का दरवाज़ा बन्द करदो क्योंके रोड पे होने की वजह से यातायात की आवाज़ से फोन सुनने में दिक्कत हो रही है।

मेने उठ कर दरवाजा अंदर से ही लोक कर लिया। जिस से कमरे में अँधेरा हो गया। मेने जेसे ही बल्ब जगाया भाभी बोली, बन्द ही रहने दो दीप, अँधेरा ही ठीक है। मैं उनकी बात मानकर उसके साथ वाली कुर्सी पे आकर बैठ गया।

करीब 5 मिनट बाद भाभी बोली दीप अब फोन लगादो आ गए होंगे पण्डित जी।

मेने वही नम्बर रिडायल कर दिया और भाभी बात करने लगी। इतने में मेने डरते डरते अपना दायना हाथ भाभी की जांघ पर रख दिया और आहिस्ता आहिस्ता उसे सहलने लगा और सोचने लगा आज जो भी होगा देखा जायेगा।

सहलाने के 5 मिनट तक भाभी ने कोई विरोध नही किया और मेरी तरफ देखकर दुबारा फोन पे बात करने लगी और फेर फोन काट दिया। मुझे लगा शयद अब मुझपे गुस्सा करेगी पर ऐसा कुछ भी नही हुआ वो चुप चाप बैठी रही जिस से मेरी हिम्मत और बढ गयी और मैं फेर उसकी जांघ सहलाने लगा।

अँधेरे में पीसीओ मनिटर की लाइट में जितना भी दिखा मेने देखा के भाभी की आँखे बन्द है और मुंह से आआआह्ह्ह्ह्ह, सीईईईईईइ की कामुक आवाज़ निकल रही थी।

कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार निचे कोममेंट सेक्शन में जरुर लिखे.. ताकि देसी कहानी पर कहानियों का ये दोर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।

मेने उसका हाथ पकड़ कर अपने खड़े लण्ड पे रख लिया और वह उसे सहलाने लगी। जिस से मुझे भी मज़ा आने लगा। मेने उसकी सलवार में आगे से हाथ डाला तो महसूस किया भाभी की चूत पानी छोड़ रही थी। जेसे ही नज़दीक होकर भाभी को चूमने के लिए आगे बड़ा।

दुकान की खिड़की से भाभी की बड़ी बेटी अपनी माँ को ढूंढते हुए आ गयी। हम दोनों के तो जैसे फ्यूज़ ही उड़ गए। पर अँधेरे की वजह से उसे कुछ दिखा नही। हमने जल्द से अपने कपड़े ठीक किऐ और बाहर आ गए। इतना अच्छा मौका हाथ से निकल जाने से अब हम दोनों पछता रहे थे।

दोस्तों यह था एक और अनुभव कैसा लगा अपने विचार इस पते पर भेजदो। आपकी बड़ी मेहरबानी होगी.. मेरी मेल आई डी है “[email protected]”.

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