Khul Gaya Darwaja – Part 3
देव मंजू को उठाकर मेरे कमरे में ले आया। मंजू अपनी छटपटाहट से देव का काम मुश्किल बना रही थी। मंजू जैसे तैसे देव के चुंगल से छटकना चाहती थी। पर अब देव ज़रा भी असावधान रहने वाला नहीं था। देव ने मंजू को पलंग पर लिटाया। मैं कमरे से बाहर निकल आया और पीछे से दरवाजा बंद किया तो देव ने कहा, “छोटे भैया, दरवाजा खुला ही रहने दो। आज यह छमनियाँ मुझसे कैसे चुदती है वह तुम भी देखो।” सेक्स स्टोरीज इन हिंदी चुदाई कहानी
पर मैं बाहर निकल आया। मुझे अंदर से दोनों की आवाज स्पष्ट सुनाई दे रही थी। मंजू अभी भी देव को चुनौती दे रही थी। वह बोली, “अच्छा! तो तू सोच रहा है तू मुझे आज चोदेगा? तू अपने आपको क्या समझता है? तू मुझे छूना भी मत। अगर तूने मुझे छुया भी तो मैं तुझे नहीं छोडूंगी।”
तब देव बोला, “अरे छमिया, तू मुझे छोड़ना भी मत। मैं भी तुझे चोदुँगा जरूर, पर छोडूंगा नहीं। आज मैं तुम्हें पहली बार चोदुँगा पर आखरी बार नहीं। अब तू मेरी ही बन कर रहेगी। तू मेरे बच्चों की माँ बनेगी और मेरे पोतों की दादी माँ।”
मंजू ने यह सूना पर पहली बार उसका जवाब नहीं दिया। देव ने उसे मेरे पलंग पर लिटाया और भाग न जाए इसके लिए देव ने मंजू को अपने बदन के नीच दबा कर रखा। देव ने अपना सारा वजन मंजू के बदन पर लाद दिया था। मंजू ने एड़ीचोटी का जोर लगा दिया पर अब देव उसे छोड़ने वाला नहीं था। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
मुझसे रहा नहीं। गया मैंने दरवाजे के अन्दर झांका तो देखा की देव मंजू को अपने तले दबा कर उसके ऊपर चढ़ गया था। मंजू को देव ने अपनी दो टाँगों में फाँस कर अपना लण्ड उसकी चूत से सटा कर वह मंजू के ऊपर लेट गया। मंजू के लिए अब थोड़ा सा भी हिलना नामुमकिन था। उसने अपना मुंह मंजू के मुंह पर रखा और अपने होंठ मंजू के होंठ से भींच कर उसे चुम्बन करने लगा। इतना घमासान करने के बावजूद जब देव के होंठ मंजू के होंठ से सट गए तो मंजू चुप हो गयी और देव को चुम्बन में साथ देने लगी। उसके हाथ फिर भी देव की छाती को पिट रहे थे।
देव ने अपनी जीभ मंजू के मुंह में डाली और उसे अंदर बाहर करने लगा। मुझे बड़ा आश्चर्य तब हुआ जब मैंने देखा की मंजू ने अपने होठों से देव की जीभ को जकड लिया और उसकी जीभ को चूसना शुरू किया। अब ऐसा लग रहा था जैसे देव मंजू के मुंहको अपनी जीभ से चोद रहा था। इस तरह देव मंजू के मुंह को अपनी जीभ से काफी समय तक चोदता रहा और मंजू चुपचाप इसे एन्जॉय करती रही।
जब देव ने अपना मुंह मंजू के मुंह से हटाया तो मंजू बोली, “देव तुम अपना शरीर ऊपर से थोड़ा हटा कर तो देखो, मैं कैसे भागती हूँ।”
देव ने मंजू की हुए हँस कर बोलै, “अच्छा? मैं उपर से हट जाऊं तो तुम भाग जाओगी?” मंजू ने मुंडी हिलायी।
अचानक एक ही झटके में देव ने मंजू की चोली जोर से खिंच कर फाड़ डाली। फिर उसने मंजू की ब्रा को पकड़ा और एक ही झटक में तोड़ फेंका। मंजू ऊपर से नंगी हो गयी। उसकी बड़े बड़े स्तन एकदम पहाड़ की दो चोटियों की तरह उन्नत और उद्दण्ड दिख रहे थे। मैं दरवाजे की फाड़ में से मंजू की इतनी सुन्दर रसीली भरी हुई चूचियों को देखता ही रहा। देव ने अपना मुंह मंजू की चूँचियों पर सटा दिया और वह उनको चूसने लगा।
मंजू की शकल उस समय देखने वाली थी। वह अपने मस्त स्तनों को पहली बार कोई मर्द से चुसवा रही थी और उसका नशा उसकी आखों में साफ़ झलक रहा था। अब वह अपने बाग़ी तेवर भूल ही गयी हो ऐसा लग रहा था।
अब वह देव के मुंह को अपने स्तनों पर अनुभव कर रही थी और ऐसा लग रहाथा की वह चाहती नहीं थी की देव वहाँ से अपना मुंह हटाए। देव भी जैसे सालों का प्यासा हो ऐसे मंजू के स्तनों पर चिपका हुआ था। लग रहा था जैसे मंजू के स्तनों में से कोई रस झर रहा था जिसे पीकर देव उन्मत्त होरहा था। ऐसे ही कुछ मिन्टों तक चलता रहा। उसके बाद देव ने अपना मुंह मंजू के स्तनों से हटाया और स्वयं भी बाजू में हट गया। देव मंजू की और देखने लगा। वह मंजू को खुली चुनौती दे रहा था, की अगर मंजू में हिम्मत हो तो वह भाग कर दिखाए।
मंजू ने देव की और देखा। वह धीरे से बैठ गयी। मैं हैरान था की मंजू के बैठने पर भी उसके स्तन ज़रा से भी झुके नहीं। उनमें ज़रा सी भी शिथिलता नहीं थी। उसकी निप्पलेँ कड़क और एकदम अकड़ी हुई थी। उसके स्तन ऐसे भरे हुए अनार के फल के सामान फुले हुए और मंजू की अल्हड़ता को साक्षात् रूप में अभिभूत कर रहे थे।
मंजू ने एक नजर देव की और देखा और बोली, “लेले मजे, तुम मुझे इस तरह नंगी कर के कह रहे हो भग ले? तुम जानते हो की मैं ऐसे बाहर नहीं जा सकती। तुम बहुत चालु हो। आखिर तुमने मुझे फाँस ही लिया। अब मैं तुमको छोडूंगी नहीं। तू क्या समझता है अपने आपको।“ यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
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