Do Bund Zindagi Ki

Deep punjabi 2016-09-08 Comments

मैं – तो इसने रोने वाली कोनसी बात है, बताइये?

वो – वो दरअसल बात ये है के हम दोनों को इकठे रहने का समय बहुत कम मिलता है। क्या कहना महीने में दो तीन दिन इकठे सो जाये।

मैं – ऐसा क्यों मैडम, आपकी ड्यूटी तो एक ही जगह की है। शाम को आपके पति घर आते ही होंगे।

वो – हांजी घर भी आते है रोज़ाना, पर दिन के काम के थके खाना खाकर जल्दी से सो जाते है। यदि कई बार उनको सेक्स का बोलू भी तो कल को करने का वादा करके मेरी तरफ पीठ करके सो जाते है। मैं प्यासी ही सो जाती हूँ। गुस्सा भी बहुत आता है, पर घर का माहोल न बिगड़े इस लिए यही बात दिल में दबाकर सो जाती हूँ।

मैं – ह्म्म्म…  बात तो थोड़ी सीरीयस है। क्या इस मामले में मैं आपकी कोई मदद कर सकता हूँ तो बताओ?

वो – मदद तो कर सकते हो, पर मेरे उसूल मुझे इज़ाज़त नही देते।

मैं – मतलब?

वो – मतलब के मैं पतिव्रता स्त्री हूँ, मैं ये हरगिज़ नही चाहती के मेरी कोख में किसी और का बच्चा पले।

मैं – मैं यह तो नही कह रहा के मुझसे सम्बन्ध बनाओ, पर बच्चे के लिए सेक्स तो करना पड़ेगा ना आखिर कब तक इस आग में जलती रहोगे। हर बात की एक हद होती है।

वो – बात तो आपकी ठीक है।। पर मैं करू भी तो क्या? बोलती हूँ तो घर का माहोल खराब होता है।

मैं – आप कुछ न करो, आप जब भी इकठे सोवो तो उन्हें सेक्स के लिए एक बार निमंत्रण दो, आगे मानना या ना मानना उनकी मर्ज़ी है।

वो – वो तो हर बार करती हूँ, पर यदि उनका मूड बन भी जाये तो अपना पानी निकालकर सो जाते है। मेरी कोई परवाह नही करते। आप ही बताओ क्या मेरी कोई भावना नही है। क्या मेरा दिल नही करता होगा सेक्स में संतुष्टि को, उनका क्या है वो तो दिन भर कम पे रहते है शाम को आकर सो जाते है। इधर आस पड़ोस की औरते बार बार पूछती है कब पार्टी दे रहे हो बच्चा होने की? मैं बस उनको कोई न कोई बहाना बनाकर टाल देती हूँ। आस पड़ोस में हमारी बहुत इज्ज़त बनी हुई है। सो ऐसा गलत काम सोचने में भी डर लगता है। किसी को पता चल गया तो अनर्थ हो जायेगा। आप ही बताईये क्या करूँ मैं, बच्चा हर हाल में चाहिए मुझे!!

मैं – अब मैं क्या बोलू आपको।

मेरा इशारा कुछ कुछ समझ गयी वो।

फेर बोली क्या आप मेरी मदद कर दोगे।

मैं – वो कैसे मैडम?

वो – अब ज्यादा बनो मत, सब जानते हो आप कैसे मदद कर सकते हो।

मैं – हाँ मैडम जानता हूँ,पर आप तो पतिव्रता स्त्री हो और आपके उसूल आपको कभी इज़ाज़त नही देंगे।

वो – दफा करो उसूलो को मुझे बस औरत से माँ बनना है।

पता नही उसे क्या हुआ एक मिनट में ही उसने इतना बडा फैसला ले लिया। मेने अपना हाथ उसके हाथ पे रखा वो कुछ नही बोली। मेने हल्के से उसका हाथ दबाया फेर भी कुछ नही बोली।

एक बार मेरी आँखों में आँखे डालकर देखा फेर नज़र नीची करके बैठी रही। मैं उसकी जांघ को सहलाने लगा। वो धीरे धीरे मौन करने लगी और उसकी आँखे बन्द हो रही थी। एक ममता में अंधी होने के कारण वो कुछ भी करने को तैयार हो गई थी। उसकी आँखों में काम वेग देखने लायक था।

मेने उठकर गली वाला दरवाजा अच्छी तरह से बन्द किया और वापिस उसके पास आकर उसको बेड पे लिटाकर चूमने लगा। उसके दिमाग में पता नही क्या आया एक बार भी मेरा विरोध नही किया। मैं उसके पतले हल्के गुलाबी गुलाब की पत्तियो जैसे होंठ अपने होंठो में लेकर चूस रहा था। वो भी आँखे बन्द किये मेरे होंठ चूस रही थी।

करीब 10 मिनट तक उसके मुलायम होंठ चूसने के बाद उसकी कमीज़ ऊपर उठाकर उसके गोरे चिट्टे मम्में हाथो में लेकर दबाने और मुह में लेकर चूसने लगा। क्या गज़ब का स्वाद था, कहने सुनने से परे। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।

वो लडखडाती अवाज़ में बोली –  जल्दी से डाल दो प्लीज़.. कही ये न हो कोई ऊपर से आ जाये और हम दोनों इस हाल्त में पकड़े जाये।

मु्झे उसकी बात जच गयी और सीधा उसकी सलवार का नाडा खींचकर खोल दिया और सलवार टांगो से बाहर निकाल दी। उसकी टांगे चौड़ी करवाकर देखा, एक दम क्लीनशेव चूत थी। जिसमे से उसके कामरस की बूंदे बेह रही थी।

इधर मेने जल्दी से अपनी निकर उतारकर जैसे ही खड़ा लण्ड उसकी तरफ किया तो वो बोली – सॉरी मैं आपका लण्ड नही चूस सकती। मुझे उलटी आ जाती है। माफ़ करना आप को शायद बुरा भी लगेगा,। पर हाँ यदि आप कहो तो इसकी तेल या वैसलिन से मालिश कर सकती हूँ।

मेने बेड से निचे उतरकर बाथरूम में से तेल की शीशी ले आया और उसे पकडा दी। उसने अपनी हथेली पे थोडा सा तेल डाला ओर दूसरे बचे तेल को ढक्कन लगाकर साइड पे रख दिया। हथेली पे पड़े तेल से वो हल्की हल्की मेरे लण्ड को मालिश करने लगी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।

करीब 2 मिनट मालिश के बाद उसे रोक दिया तांजो मेरा उसके हाथ से ही न रस्खलन हो जाये। उसे मेने लेटने का इशारा किया।

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