Mere Dost Ki Maa Meena – Part 2

Dilwala Rahul 2016-05-20 Comments

हम फ्रेंच किस करते हैं, करीब 10 मिनट चुम्बन करने के बाद मैं आंटी को मयूर के बिस्तर पर पटक देता हूँ और आंटी की गुलाबी नाईटी को उसकी कमर तक उठता हूँ, आंटी की चूत गुलाबी रंग की चिकनी है, उस पर बाल नही हैं, आंटी ने चूत ऐसे साफ करी हुयी है कि किसी का भी चाटने का मन हो जाये..

आंटी की क्लीन शेव चूत को देखकर मेरे मुह में पानी भर आया, मैंने आंटी की चूत पर अपना मुह लगा दिया, जिससे आंटी का पूरा बदन कांपने लगा और वो सिसकारियाँ व आहें भरने लगी, वो अपने हाथ से मेरे बाल को पकड़ कर चूत में मेरे सर को दबा रही है)

आंटी- अह्ह्ह्ह्ह शस्सस्सस्सस.. उम्म्म्म्म ऊम्मम्मम्म.. ऐसे ही चाटो बेटा, साफ कर दो मेरी पुस्सी, खा जाओ मेरी फुद्दी राहुल, तुम लाजवाब हो बेटाअह्ह्ह्ह, चाट और चाट, अह्ह्ह्ह्ह, ओह गॉड, ओह गॉड, उम्म्म्म्म, राहुल यू आर अमेजिंग मेरे बेटे।।।

(मैं आंटी की चूत को तेजी से चाटे जा रहा था, अचानक आंटी की सिसकारियाँ तेज हो गयी, उनके बदन की कम्पन बढ़ गयी, मुझे पता चल गया कि आंटी अब झड़ने वाली है)

आंटी- अह्ह्ह्ह्ह.. राहुलललललल.. उईईईईई.. मैं झड़ने वाली हूँ बेटा.. ह्ह्ह्हह्ह.. आह्ह्ह्ह,, गईईईईईईई मैं तो आज, ओह गॉड, आईईईई मैं आई राहुल.. ओहोऊऊऊ।।।

(और आंटी ने ढेर सारा पानी मेरे मुह में छोड़ दिया और आंटी का बदन कांपने लगा, मैं फिर आंटी के ऊपर चढ़ा और उन्हें फिर चूमने लगा, पहले उनके माथे को चूमा, फिर गाल, फिर गले को चूमने लगा, चाटने लगा, मेरे थूक से आंटी का चेहरा और गला गीला हो गया)

आंटी- राहुल मेरी जान जल्दी डाल अब अपना डंडा मेरी चूत में, अब सहन नही होता बेटा, जल्दी कर स्वाति न आ जाए कमरे में कहीं, आज मेरी आग को बुझा दे राजा, मयूर के पापा तो साल में एक बार आते हैं, मैं तड़प गयी हूँ स्यां, आज मेरी तड़प मिटा दे, मुझे चोदकर आजाद करदे राहुल बेटा।

मैं- ओके मेरी रानी, तू चूत की रानी, मैं हूँ लौड़ों का राजा, थोडा ऊपर थोडा निचे जरा हाथ तो बंटा, देखने दे लाल फुद्दी जरा झाँट तो हटा, मुह खोल अपना मेरा नाम तू चिल्ला, राहुल राहुल कहकर गांड तू हिला।।।

आंटी- आजा मेरी चूत में डाल दे अपना लौड़ा,
रगड़ रगड़ कर करदे मेरी तू, गांड को चौड़ा।।।

मैं- वाह आंटी क्या शायरी करती हो आप भी।

(मैंने अपना लण्ड आंटी की चूत में सेट किया और जोरदार धक्का लगाया जिससे मेरा लण्ड पूरा आंटी की चूत में समा गया, और फिर चुदाई शुरू हुयी, आंटी के और मेरे मुह से सिसकारियाँ निकल रही है जिससे पूरा कमरा गूंज रहा है, मैं आंटी की चूत मैं लण्ड अंदर बाहर कर रहा हूँ, झटकों से आंटी की लाल चूड़ियाँ खनक रही है और पैरों की पजेब की भी आवाजें आ रही हैं जिससे पूरा कमरा खनखना रहा है और इस चूड़ियों की खनखनाहट से मेरा जोश और बढ़ गया)

आंटी- अह्ह्ह्ह्ह चोद चोद, राहुल, बना दे मुझे अपने बच्चे की माँ, डाल दे अपना बीज मेरी कोख में, दे दे मयूर को एक और भाई, चोद मुझे राहुल, चोद, अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म शस्स्स्स्स.. सशह्हह.. ओहो होहोहो।।

मैं- अह्ह्ह्ह्ह,,, आज से तू मेरी बीवी है मीना अह्ह्ह और मयूर मेरा बेटा अह्ह्हह और स्वाति मेरी बेटी है.. आज से मैं तेरा परमेश्वर मेरी जान आह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह।।।

(20 मिनट चुदाई करने के बाद मैं आंटी की चूत में ही झड़ गया और हम थके थके से ऐसे ही एक दूसरे के ऊपर नंगे लेटे रहे, हमे कुछ भी होश नहीं थी, हम एक दूसरे को चूमे जा रहे थे, अचानक दरवाजे में आवाज हुयी तो देखा स्वाति दीदी और मयूर ये सब कुछ देख रहे थे, आंटी और मैं झट से अलग हो गए, मयूर की आँखें गुस्से से लाल थी और उसके हाथ में बेसबॉल का बल्ला था, जिसे लेकर वो मेरे पीछे मुझे मारने को भागा, मैं नंगा ही कमरे से बाहर भागा)

मयूर- रुक मादरचोद, आज तुझे जान से मार दूंगा, क्या बोल रहा था कि आज से मैं तेरा बेटा हूँ, तेरे टुकड़े करके आज कुत्तों को खिला दूंगा, रुक भेनचोद।।।

स्वाति- भाई मार इस हरामी को, इसने हमारी माँ की इज़्ज़त लूट दी, छोड़ना मत इस कुत्ते को।।।

मैं- मयूर बात तो सुन भोसडीके अपनी माँ से तो पूछ ले.. एक बार..

आंटी(रोते हुए)- मयूर बेटा मार इसे, इसने मेरे साथ जबरन ये सब कुछ किया, मेने बहुत विरोध किया लेकिन इसकी ताकत के आगे में हार गयी, इसने मेरा बलात्कार कर दिया बेटा, तेरी बूढी माँ का बलात्कार कर दिया.. हे भगवान..

मैं- साली रंडी, झूठ बोलती है, मयूर भाई तेरी माँ एक नंबर की रंडी है, साफ साफ झूठ बोल रही है ये रांड.. मेरी बात सुन मेरे दोस्त, मेरे भाई, इसने मुझे उकसाया तेरी माँ की कसम।।।

मयूर- स्वाति दीदी इसे उधर से घेरो, पकड़ो इस मादरचोद को, आज खाल निकाल दूंगा इस भें के लौड़े की।।।

(किसी तरह मौका देखकर मैं ऐसा नंगा ही दरवाजे से बाहर भाग जाता हूँ और मयूर मेरे पीछे मुझे मारने को दौड़ता है, किसी तरह उसकी नजरों से ओझल होकर मैं झाड़ियों में छिप जाता हूँ और वहीँ सो जाता हूँ, सुबह सुबह पत्तों के कपडे बनाकर अपने घर चला जाता हूँ..

कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार निचे कोममेंट सेक्शन में जरुर लिखे.. ताकि देसी कहानी पर कहानियों का ये दोर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।

Comments

Scroll To Top