Shushma Ki Chut Me Ushma – Part III

vikky360001 2015-05-25 Comments

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में: बच्चे को भूख भी लगती हे…

सुषमा: सब्र करो घर जाके पेट भर के खिलाऊगी, बच्चा क्या खायेगा..??

में उसकी जांघ को सिल्की साडी के ऊपर से बड़े प्यार से सहलाते हुए, कुछ मीठा कुछ नमकीन पर आप मेजबान हे, आप जो खिलायेगे वो ही खा लेंगे..

सुषमा: तुमे क्या पसंद हे?

में: दूध…(वो चमकी), मखन, (बिच में वो बोल पड़ी)

सुषमा: दूध और मखन तो में बहोत खिलाउगी, और क्या खाना हे?

में अब सीधा लाइन पे ही आ गया..

में: सपना, सबनम और सुषमा तीनो साथ में… मैंने अपना हाथ उसकी चूत तक लेते हुए कहा..(वो नकली गुस्सा करते हुए अपने पैरो को और चौड़ा किया)..

सुषमा: तुम हमसब से बहोत पिटोगे, हम सब मिलके तुम्हारा कचुम्बर बनादेगे.. अगर सीधे ना रहे..तो…..
मैंने जट से अपने ऊँगली उसके पैर के बिच में फसादी..ओह्ह्ह्हह्ह कितनी गरमी महसूस हुइ मेतो नशे में आ गया.. मेरे पेंट के ऊपर मेरे लंड ने तम्बू बना रखा था और वो उसे निहार लेती थी..

सुषमा: आह्ह्ह वि.की… एक्सीडेंट कराना हे..क्या?

मैंने ऊपर से उसकी चूत को रगड़ना सुरु कर दिया….वो बहोत ही कसमसा रही थी.. में ऊपर से ही ऊँगली से उसकी चूत के होंठो को रगड़ ने लगा…

सुषमा: ओह्ह..वि..की.. तु..म ब..होत…परेशान करते हो… में तुमे डिसमिस कर दुगी…

में: करो ना…(मैंने ऊँगली और दबाई तो मुझे उसकी पेंटी की पट्टी महसूस हुइ, मैंने अपनी ऊँगली पटी को हटाया तो मेरी ऊँगली उसके चूत के फाको तक पहुच गयी.. मेंने उसमे अपनी ऊँगली फसा दी…वो तड़प ने लगी, उसे मजा आने लगा…

सुषमा: वि..की…तुम बहोत…उतावले हो.. सी..सी.. जरा धीरे.. चुभता हे…अह्ह्ह्ह म्मम्ममाआआआआआआआआआ…रुको या…र… आऊच…

में; तुम गाड़ी चलाओ में गियर सम्भालता हु…

सुषमा: यार तेरे जैसा स्पीडी हॉट डॉक्टर मैंने आजतक नहीं देखा….हाआआअ बस रुको…अब्ब्ब….सीस सी कुछ होता…हे….

मैंने बैठे बैठे उसकी साडी को साइड कर उसकी जांघो को नंगा किया…..

सुषमा: उईईईईई…छोडो कोई देखेगा…उईई माँ बेशरम… घर तो आने दो…

मैंने साडी ऊपर कर अपनी ऊँगली टेडी कर सीधी उसकी चूत में घुसेड़ी तो उसकी गर्म चूत बहोत चिकनी और गीली थी.. मेरी ऊँगली गपक पक्क्क आवाज के साथ अन्दर घुस गयी…

सुषमा: आंखे मूंदकर आहे भर रही थी…अहह वि..की….बहोत…खुजली…आह्ह्ह्ह.सीस इससस…धीरे…आउच…ओह्ह्ह्ह माँ…..

उसने हाईवे पर एक पेड़ के निचे कार रोक दी…वो नशे में आ गयी थी और काफी गर्म हो चली थी.. उसके बदन की मीठी मादक करनेवाली मस्त खुश्बू महसूस हो रही…फूल को जितना मसलो उतनी ज्यादा खुश्बू देता हे..

सुषमा: या…र.. घर तो पहुचो…ऊऊफ़्फ़्फ़्फ़ उम्म्म क्या कर रहे हो… में पागल हो जाऊँगी…ऊऊईईईईईईईईईम्मम्मम्माआआआआआआआआआआआअ जोर से में जड़ रही हु…
और करो…हाआआआआ बस वहा जोर से…जरा अन्दर…(वो पैरो को और फैला रही थी….)

जैसे ही उसका जोस बढ़ा.. मैंने अपनी ऊँगली निकाल ली…वो गुस्साई…

सुषमा: ऐईईईए अब पूरा करो…. सीस सी (वो अपनी ऊँगली से चूत खुजाने लगी…) सी सीस
ये क्या किया…(वो मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूत की और खीचने लगी….) उईईईई…वि….की….अब रगडो मेरा होने वाला हे बाबा मत तडपाओ.. जल्दी करो…..

में: अब घर चल के…

उसने गुस्से में साडी ठीक की और कहा…

सुषमा: तू घर आ…….साले आग लगाके ठंडा भी नहीं करता…

मैंने प्यार से उसके होठो को चूमा और कहा….

में: आ रहा हु मेम….

मुझे मेल करे….मेरी कहानी कैसी लगी.. आंटीया और भाभी मुझे बहोत पसंद हे. मुझे आग लगाना और अच्छे से बुजाना आता हे, एक बार पुकार के तो देखो.. हमें समंदर में डूब के तैरना आता हे…

दोस्तों मेरी ईमेल आई डी है “[email protected]”। कहानी पढने के बाद अपने विचार नीचे कमेंट्स में जरुर लिखे। ताकी हम आपके लिए रोज और बेहतर कामुक कहानियाँ पेश कर सकें। डी.के

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