Badi Mushkil Se Biwi Ko Teyar Kiya – Part 15
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इस दुगुने उत्तेजक धमाकों को झेलना उसके लिए कठिन हो रहा था। वह हवस की पीड़ा से कराहने लगी। मैंने भी देखा की वह तुरंत ही अपना रस का फौव्वारा छोड़ने वाली थी तो मैंने तेजी बढ़ाई और अपने कूल्हों को ऊपर निचे करते हुए और बिस्तर पर रगड़ते हुए मेरी बीबी ने एक भारी सांस लेते हुए अपना प्रेम रस का झरना छोड़ा।
मैंने ठान लिया था की मैं मेरी बीबी और मेरे दोस्त के बिच हुयी कहानी पूरी सुनूँगा। अपनी पत्नी को बाहों में भरते हुए मैंने उसके गाउन की ज़िप खोल दी। जैसे जैसे मेरी बीबी उसकी अनिल के साथ की रति क्रीड़ा की बात कर रही थी, मैं भी वैसे वैसे अनिल के प्रतिद्वंदी की तरह मेरी बीबी के साथ वही दुहरा रहा था।
मैंने कहा, “मेरी रानी आगे क्या हुआ वह भी तो बताओ।”
मैंने महसूस किया की नीना की छाती की धड़कनें तेज होती जा रही थी। वह बोली, “अनिल के तेज उंगली चोदन से मैं पागल हो रही थी। तुमने भी मुझे यह कहकर हरी झण्डी देदी थी की मैं अनिल के साथ खुल के मस्ती करूँ। अनिल मुझे कह रहा था की तुमने उसे भी मेरे साथ पूरी मस्ती करने की छूट दे दी थी। तो फिर बचा ही क्या था? मैं अपना आपा खो बैठी और अनिल के उंगली चोदन इतनी उकसा गई की उसे मुझे चोदने के लिए चिल्ला कर कहने लगी की बस करो, मुझे तुम्हारी उँगलियाँ नहीं तुम्हारा मोटा लन्ड मेरी प्यासी चूत में चाहिए। बस मेरा इतना कहना ही काफी था। अनिल मुझ पर चढ़ बैठा और मेरी गीली चूत के ऊपर अपना गिला लथपथ मोटा कड़ा लन्ड रगड़ने लगा।
मैं अपने होशो हवास में नहीं थी। मुझ पर भी हवस का जूनून हावी हो गया था। उस वक्त मेरा ध्यान सिर्फ चुदने पर ही था। तुम्हारा प्रोत्साहन और अनिल का मेरी और पागलपन मेरी हवस की कामना की आग को भड़काए जा रहा था। मैंने उसका लन्ड मेरे हाथ में लिया और मेरी चूत के छिद्र के बिच रखा और उसे मेरी चूत में अपने हाथ से थोड़ा अंदर घुसेड़ा। उसने एक धीरे से धक्का मर कर उसे थोडा मेरी चूत में घुसेड़ा। तब मने अनिल की और देखा। वह समझ गया की मैं उसे धीरेसे धक्का मारने के लिए इशारा कर रही थी। धीरे धीरे वह अपना लन्ड अंदर बाहर करने लगा।”
मेरी बीबी मेरे दोस्त से चुदने की बात कह कर शायद उतनी ही उन्मादित हो रही थी, जितना मैं उसकी बात सुनकर हो रहा था। उसने कहा, “बस फिर तो अनिल मुझमें ऐसे जोर जोर से अपना लन्ड पेलने लगा की जैसे वह मुझे आखरी बार चोद रहा हो। मुझे भी आज इतना नशा चढ़ा हुआ था की मैं भी उसके साथ पूरी तरह अपनी चुदाई करवाने के लिए उछल उछल कर उसका लन्ड मेरी चूत में उससे डलवा रही थी। हम दोनों चुदाई में इतने बदहोश हो कर कराह रहे थे की मुझे डर था की कहीं कोई सुन न ले। आज तो तुम्हारे दोस्त ने हद ही कर दी। वह मुझे ऐसे चोदता रहा ऐसे चोदता रहा की आज तो उसने मुझे भी थका दिया। बिच में मैंने उसे एकाध बार रोका भी, क्योंकि मैं बाथरूम जाना चाह रही थी।“
“मैं उठ खड़ी हुई और जब मैंने अपने ऊपर एक चद्दर डाली तो वह भी उसने निकाल दी। जैसे तैसे मैं नंगी ही बाथरूम की और भागी तो वह मेरे पीछे पीछे बाथरूम तक भी पहुँच गया। वह मेरे साथ बाथरूम के अंदर आना चाहता था। शायद वह मुझे पेशाब करते हुए देखना चाहता था। जब मैं उसे पीछे की और हटा ने लगी तब उसने मुझे बाथरूम के बाहर ही जकड लिया।
वहाँ भी मुझे आगे से निचे की और झुका कर जैसे वह मुझे पीछे से चोदना चाहता था। हाय माँ! उसका लन्ड कड़क खड़ा लहराता देख कर में शर्म से मर रही थी की क्या करूँ। बड़ी मुश्किल से मैंने अपने आपको उससे छुड़ाया और उसे बाथरूम के दरवाजे पर ही रोका और तब मैं बाथरूम गयी।“ यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..
मेरी प्यारी बीबी मेरे दोस्त के साथ अपनी काम क्रीड़ा की कहानी सुनाते सुनाते शर्म से लाल हो रही थी। पर मैं भी तो पूरी कहानी सुनने पर अड़ा हुआ था। एक गहरी सांस ले कर नीना फिर से बोलने लगी, “पर पेशाब कर लेने के बाद मैंने जब दरवाजा खोला तो वह वहीँ खड़ा था। उसने मुझे उसी हालात में अपनी बाहों में उठा लिया और फिर मुझे बिस्तर पर लिटा कर मेरे पर चढ़ गया और मेरे पाँव अपने कन्धों पर रखवा कर तुम्हारे दोस्त ने मुझे दुबारा चोदना शुरू किया।” पता नहीं पर शायद आधे घंटे तक हम चुदाई करते रहे। बिच में मैं तो दो बार झड़ चुकी थी। आखिर में एक जोर सी कराह देते हुए उसने अपना पूरा वीर्य मेरी चूत में उंडेल दिया। उसने इतना अपना माल छोड़ा की एक बार तो मैं डर ही गयी की मैं कहीं उस से गर्भवती न बन जाऊं।”
फिर थोड़ा रुक कर वह बोली, “खैर, ऐसा कुछ भी नहीं होगा क्योंकि मैं गोलियां ले रही हूँ। जानूँ, तुमने मुझे एक तरह से पागल बना दिया है। आज तक मैं चुदाई में इतना उन्मादित नहीं हुई जितना तुम दोनों ने मिलकर मुझे बना दिया है। अब जब तुम या अनिल मुझे चोदते हो तो मुझे क्या होता है पता नहीं, पर मेरे पुरे बदन में ऐसा नशा फ़ैल जता है की मेरे हर अंग में बिजली की तरह झटके लगने लगते है। मैं उसका वर्णन करने में असमर्थ हूँ।”
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