Badi Mushkil Se Biwi Ko Teyar Kiya – Part 17

iloveall 2017-02-18 Comments

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खैर जब मैं उस पार्टी में नीना से मिली तो मुझे बहुत अच्छा भी लगा और मैं थोड़ी निश्चिन्त भी हुई। मुझे नीना एक अच्छी और समझदार औरत लगी।

सामान्यतः रात को जब मैं थकने का बहाना कर के सोने लगती और जब अनिल कुछ दिनों से सेक्स न पाने के कारण मुझे सेक्स करने केलिए तैयार करने लगता था, तो वह अपने तरीके से सेक्सी बातें करते हुए मुझे ललचाता, उकसाता या फिर मेरी चूत में उंगली डाल कर मुझे गरम करने की कोशिश करता रहता था।

पर उस औरत नीना से मिलने के बाद से मैंने देखा की वह बिस्तरे में जैसे मैं हूँ ही नहीं ऐसे पड़ा रहता था और कुछ सोचता रहता था। एक बार तो रात को मैंने उसे अपने ही लन्ड को मूठ मारते हुए (masturbate करते हुए) भी देखा। मुझे बड़ा दुःख हुआ। मैं साथ में ही सो रही थी और मेरा पति मूठ मार रहा था यह बात मुझे ठीक नहीं लग रही थी। पर मैं क्या करती? मुझे भी अनिल से सेक्स करने में वह आनंद नहीं आ रहा था और उनसे सेक्स करने का मन नहीं हो रहा था। ।

खैर मैं मेरे पति को अच्छी तरह से जानती थी । वह कब क्या सोचते हैं वह मैं उनके चेहरे के भाव से ही पहचान लेती थी। मैं समझ गयी थी की अनिल नीना पर डोरे डालने की कोशिश कर रहे थे। पर मुझे पता था की नीना ऐसे आसानी से फंसने वाली नहीं थी। और फिर नीना का पति भी नीना पर डोरे डालने नहीं देगा। अगर कभी कुछ ऐसा वैसा हुआ तो मेरे पास भी ब्रह्मास्त्र था। नीना का पति राज तो मेरा दीवाना था ही। उसको तो मैं अपनीउँगलियों पर नचा सकती थी। उसको फाँसने में मुझे ज्यादा कुछ करना नहीं पड़ेगा। मेरे पति की नीना को फांसने की नादान हरकतों पर मुझे मन ही मन हँसी आ रही थी। मैंने मेरे पति की हरकतों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया।

उस कार्यक्रम के बाद हम दोनॉ जोड़ोँ का एक दूसरे के घर आने जाने का एक हफ्ते में एक बार तो होता ही था। कभी कभी हम दो बार या कभी कभी तो तीन बार भी मिल लिया करते थे। मैंने महसूस किया की मेरा पति अनिल नीना की और आकर्षित तो था, पर नीना से डरता था। अनिल ने एक बार मुझे जाने अनजाने में कह दिया था की उस दिन वह नीना के घर गया था। राज घर में नहीं था। अनिल जोधपुर से कोई हेंडीक्राफ्ट की दो लकड़ी की मूर्ति लाया था। उसमें से एक उसने हमारे घर में शो केस में रखी था और दूसरी वह नीना को भेंट करना चाहता था।

जब वह मूर्ति उसने नीना को देना चाहा तो नीना ने मेंरे पति को ऐसी फटकार लगाई की उसकी सूरत रोनी सी हो गयी। नीना के घर से जब वह वापस आया तो मैं मेरे पति को देखते ही भांप गयी की मेरे ठर्कु पति को अच्छी लताड़ पड़ी थी। मैंने उसे समझाया की अगर उसे गिफ्ट देनी ही थी तो राज के घर में होते हुए देनी चाहिए थी। एक औरत घरमें अकेली हो और उसे कोई गिफ्ट देना चाहे तो वह तो उसका गलत मतलब निकालेगी ही।

अनिल झुंझलाया हुआ था। वह बोल पड़ा की नीना ने ठीक नहीं किया। अनिल ने मुझसे पूछा की अगर राज मुझे ऐसे गिफ्ट देता तो क्या मैं मना करती? मैं सोच में पड़ गयी। तब अनिल ने मुझे कहा की अगर राज मुझे कोई गिफ्ट देता है तो मैं उसे मना न करूँ। मैं इसे सुनकर हंसने लगी। क्योंकि मुझे तो गिफ्ट लेना बहुत ही पसंद था। दिवाली में जो थोड़ी बहुत गिफ्ट आती थी तो मैं उनको बड़ी सम्हाल कर रखती थी। मैंने अनिल से कह दिया की मैं तो भई कभी कोई गिफ्ट के लिए मना नहीं करूँगी। मैंने मेरे पति से कहा की मैं नीना से भी बात करुँगी की उस ने अनिल का गिफ्ट क्यों नहीं लिया।

मैं यह भली भांति जानती थी की यदि अनिल ने नीना को पाने की ठान ली, तो येन केन प्रकारेण वह नीना को अपने जाल में फांस ने की क्षमता रखता था। पर नीना ने भी शायद मेरे पति की नियत पहले से ही भांप ली थी। मैं उतना तो जान गयी थी की नीना एक मजबूत चरित्र वाली स्त्री थी। वह अनिल को ऐसी वैसी हरकत नहीं करने देगी और आसानी से मेरे पति की चाल में फंसने वाली नहीं थी। इस वजह से मैं पूरी तरह से आश्वस्त थी।

वैसे नीना का पति भी काफी स्मार्ट था। मुझे वह एक अच्छा सीधा सादा और भला इंसान लगा। अनिल की तरह वह ज्यादा चालु नहीं लग रहा था। उस दिन भी डांस में हालांकि उसने मुझसे शारीरिक स्पर्श करने की चेष्टा तो की पर और ज्यादा कुछ करने की या कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। बेचारे का लन्ड उसकी पतलून में फूला जा रहा था। खैर कुछ दिन ऐसे ही बीत गए।

मुझे मेरा घर ज़रा भी अव्यवस्थित हो यह बिलकुल पसंद नहीं था। अनिल इस मामले में एकदम निखट्टू था। मुझे यह पसंद नहीं था की घरमें कोई भी उपकरण खराब हो। मेरी शादी के पहले मैं यह उम्मीद रखती थी की अगर मेरा पति इंजिनीअर होगा तो घर की सारी चीजों को रिपेयर तो कर सकेगा। पर मेरी वह आस सफल नहीं हुई। अनिल उस मामले में भी निकम्मा था।

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