Hamari Adhuri Kahani – Part I
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Hamari Adhuri Kahani – Part I
हेलो दोस्तों , मै सेक्स कहानियों को पड़ने का बहुत शुाकिन हूँ, पर मुझे ज्यादातर कहानियां काल्पिनक ही लगती हैं या फिर उन्हें बड़ा चढ़कर लिखा जाता हैं., मैं भी हमेसा से अपने साथ बीती सेक्स घटनाएँ शेयर करना चाहता था पर मुझे लिखने में आलस के कारन लिख नहीं पाता था लेकिन आज सोचा की क्यों न आप सब दोस्तों को अपने साथ हुई घटनाओ से रुबरु करवानो .
मेरा नाम नीरज हैं अभी मैं दिल्ली में रहता हूँ , पर ये कहानी मेरे होम टाउन की हैं और ये कहानी १५ साल पहले की हैं तो कुछ बातें आप को पुराने ज़माने जैसी लगेगी , मेरे पिताजी सरकारी कर्मचारी हैं , और वो जूनियर इंजीनियर की पोस्ट में थे मेरी एक छोटी बहन और माजी हाउस वाइफ हैं.हम सरकारी घर में रहते थे हमारे ब्लॉक में चार घर थे दो ग्राउंड फ्लोर में और दो अप्पर फ्लोर में .इशी तरह के ८ ब्लॉक लाइन से थे. हम ग्राउंड फ्लोर में रहते थे , घर में तीन मुख़्य दरवाजे थे पहला दरवाज दूसरे घर के सामने खुलता था , दूसरा दरवाजा सामने गार्डन के सामने खुलता था और तीसरा बैक के आग्न के बाद रोड पर खुलता था, हमारा बगल वाला घर दो महीने पाहिले खाली हुआ था , वो दादा जी रिटायर हो गए थे. तब मैं १७ साल का था. उस घर में एक कपल रहने आये अंकल की उम्र 40-45 और आंटी की उम्र ३५ के आस पास थी. वो बरेली से ट्रांसफर हो के आये थे तब उत्तरखंड उत्तर प्रदेश में ही था. वो अंकल भी जेइ थे .उनकी ६ साल की बेटा था. आंटी का नाम गोदावरी था और अंकल का नाम जीतेन्द्र प्रसाद था. आंटी की शक्ल रेखा से मिलती थी और रंग बहुत गोरा था, और उनकी मुस्कान बहुत जबदरस्त थी, मुझे उनसे प्यार हो गया था कच्ची उम्र का प्यार, मेरे उनके बारे में कोई गलत विचार नहीं थे.
फिर हमारा उनके घर आना जाना सुरु हो गया मैं अक्सर आंटी और अंकल के साथ कैरम और सतरंज खेला करता था. इसी तरह टाइम बीतता रहा फिर एक दिन मेरे एक दोस्त ने मुझे एक पतली से बुक दिखाई जिसमे अंग्रेज लड़कियों की नंगी पिक्चर्स थी , और उसमे लण्ड , चूत चूसने की, चुदाई की पिक्चर्स भी थी उसे देखे मेरे जिस्म में सिहरन सी दौड़ गई. मैं जब शाम को बाथरूम में गया तो मैंने अपना लण्ड हिलाने लगा और वो बड़ा हो गया और मैंने पहली बार मुट्ठ मारी. अब मैं जब आंटी के साथ कैरम या लूडो खेलता तो मेरी नज़ारे उनके मस्त बूब्स पे चली जाती थी क्योंि घर में अक्सर लूडो खेलते हुए उनका पल्लू नीचे गिर जाता था और वो उसे वापस नहीं रखती थी और मैं पहले खेल में ही ध्यान देता था. पर अब मैं चोरी चोरी उनकी छातियों की गहराई नापने लगा उस समय मुझे अंदाजा नहीं था की बूब्स का क्या साइज था आज कह सकता हूँ ३४ से कम नहीं रहा होगा. ऐसे ही एक दिन उन्होंने मुझे उनकी चुचिया देखते हुए देख लिया वो कुछ बोलने ही वाली थी की रिशु उनका बेटाजो दूसरे रूम में टीवी देख रहा था आ गया और बोला मुझे भी खेलना हैं. और वो बात आई गई हो गई. अब मेरे बोर्ड के एग्जाम ओवर हो गए और मेरी छुट्टियां पड़ गई.
फिर हम दिन में रोज करम या लूडो खेलते थे, लेकिन अक्सर हम दोपहर में दो बजे के बाद खेलते थे और उस समय उनका बेटा रिशु भी घर में रहता था.
एक बार वह बाहर बच्चो के साथ खेलने गया लगभग चार बज रहे होंगे , और हम लूडो खेल रहे थे .मेरा ध्यान आंटी के बूब्स पर जा रहा था आंटी ने फिर देख लिया और बोली क्या देख रहा है लल्ला , वो मुझे लल्ला बोलती थी , और अपने बेटो को भी लल्ला ही बोलती थी मैंने कहा कुछ नहीं, मै घबरा गया और बोला की कुछ नहीं वो बोली मैं कई दिन से देख रही हूँ तू मेरी छाती घूरता रहता है क्या बात है ,मेरे मुह से निकल गया की आंटी वो किताब , आंटी- कैंसी किताब , मैं – कुछ नहीं आंटी , आंटी – बता मुझे , आंटी की आवाज मे कोई गुस्सा नहीं था , तो मैं बोला मेरे दोस्त ने ( मेरा वो दोस्त भी हमारी कॉलोनी मे ही रहता था) एक किताब दिखाई थी ,उसमे वो वो … आंटी – उसमे क्या ? मैं – उसमे नगी औरतो की तस्वीर थी जब से मैंने वो देखि मैं पागल सा हो गया हूँ, और तभी से मैं आपके वो देखता हूँ, आंटी – वो क्या? मैं- आपके दुधु ? आंटी हंसी मम्मे बोल मम्मे …
आंटी – इस उम्र मे होता है ये सब कोई बात नहीं, कोई लड़की नहीं पटाई?
मै- नहीं आंटी मैं लड़कियों से बात भी नहीं करता ( और ये सच ही था मैं लड़कियों से बात करने मे बहुत जीजक्ता था). आंटी मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो.
आंटी- मुझमे ऐंसा क्या है , मै- पता नहीं पर आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो ( हम दोनों bed मे बैठे थे एक दूसरे के सामने , बीच मे लुड्डो था ) आंटी मेरे तरफ एकटक देखते हुए सवाल पूछ रही थी , और उसके चेहरे मे अलग सी ख़ुशी दिख रही थी और उनकी प्यारी प्यारी मुस्कान. उनका पल्लू अभी भी गोदी मे गिरा हुआ था.
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