Sadak Banane Wali Ek Ladki

Deep punjabi 2016-08-23 Comments

Sex Stories In Hindi

हेल्लो दोस्तों नमस्कार, आपका दीप पंजाबी आपके मनोरंजन के लिए एक नई कहानी लेकर हाज़िर है। अब बार बार अपना परिचय क्या देना। आप सब जानते ही हो पंजाब से हूँ। अब बार बार एक बात को क्यों दोहराना। सो ज्यादा समय बरबाद न करते हुए सीधा कहानी पे आते हैं।

ये बात करीब 6 महीने पुरानी है जब हमारे एरिये की सड़के बन रही थी। आपको तो पता ही है सड़क वालो की लेबर में औरते भी होती है। उनके बारे में तो सब जानते ही है। एक दम राजस्थानी पहरावा, कानो में चाँदी के टॉप्स, बाँहो में कन्धों तक सफेद गज़रे, नाक मे नथली, चोली घागरा, पैरों में पायल और ठेठ जुत्ती पहने माशा अल्लाह,  क्या लगती है सड़क वाली औरते।

हमारा घर पड़ोसियों के घर से थोडा हटकर है, मतलब के घर के करीब 1000 फ़ीट आगे पीछे, दाये बायें कोई भी घर नही है। गली में अकेला हमारा घर ही है।

हमारे मोहल्ले में पहले के 4 दिन तो सिर्फ मर्द ही मिट्टी डालते, पानी छिड़कते, रोड रोलर चलाते, ईंटो से सड़क की किनारिया बनाते रहे। फेर एक दिन काम के बोझ को देखते हुए ठेकेदार ने करीब 10 औरते काम पे और बुला ली।

शायद आपको भी पता हो के कई गांवों में जिन घरो के आगे सड़क बनती हो, वही घर उस लेबर को दिन में दो तीन बार चाय पानी देते है। वैसे तो ऐसा किसी भी कानून की किताब में नही लिखा, पर सिर्फ एक इंसानियत के नाते भी चाय पानी दे देते है लोग। खैर छोडो इन बातो को अपनी कहानी पे आते है।

मेरे घर वाले कही रिश्तेदारी में नए मकान बनाने की ख़ुशी में रखे अखंड पाठ के भोग पे गए हुए थे। तो घर पे मैं अकेला था। उनको गए हुए एक घण्टा ही हुआ होगा के ट्रैक्टर ट्राली भर कर आई औरते हमारे गली वाले दरवाजे के बाहर थोडा दूरी पे उतर गयी और काम में लग गयी।

उस वक़्त मैं दरवाजे पे खड़ा उन्हें देख रहा था। फेर थोड़ी देर बाद अपना मन बहलाने की खातिर टीवी देखने लगा। उस वक़्त मेने गर्मी होने की वजह से निकर और बनियान पहनी हुई थी। करीब डेढ़ क घण्टे बाद करीब 20 साल की एक लड़की (जिसका नाम सुमरी था, जो के मुझे बाद में पता चला था) ने दरवाजे को खटखटाया।

मैंने दरवाजा खोला।

उसे देखकर मेरी आँखे उसके चेहरे से हट ही नही रही थी। उसने खुदा से क्या गज़ब की खूबसूरती पायी थी।

एक दम फुर्सत में बनाई हुई चीज़ लगती थी।

उसके बोलने से मेरी सोच की लड़ी टूटी।

वो – नमस्ते साब जी, हमे पीने के लिए आपके घर से ठंडा पानी चाहिए।

उसके हाथ में वो बर्तन था, जिसे पंजाबी में डोलू या डोलनी बोलते है।

मैं – आइये अंदर आ जाइये।

वो अकेली अंदर आ गयी। गली वाला दरवाजा हमारी रसोई से काफी दूर पड़ता था। सो वो मेरे साथ रसोई तक आकर रसोई के बाहर ही रुक गयी। मेने उसे अंदर आने को कहा।

वो बोली – नही साब जी, यहाँ ही पानी ला दो आप।

मैं – अरे..!  आप इतना डरते क्यों हो कुछ नही कहूँगा आपको.. विश्वास करो मेरा।

मेरी बात सुनकर वो अंदर आ गयी और मेने उसे फ्रीज़ से ठंडा पानी निकाल कर उसके साथ लेकर आये बर्तन में उड़ेल दिया।

वो – (मेरे कमरे में चल रहे पंखे की तरफ देखकर) साब जी यदि आप बुरा न मानो तो पंखे के निचे 10 मिनट आराम कर लूं..?

मैं – हाँ क्यों नही, आ जाओ बैठते है।

उसे लेकर मैं अपने कमरे में आ गया। वो निचे फर्श पर ही बैठ गयी और मैं अपने बैड पर बैठा था। वो पसीने से पूरी तरह भीगी हुई थी और लाल रंग की चुनरी से बार बार अपने आप को पोंछ रही थी।

मेने उसके हाल को देखते हुए। उसे अपने बैड पे बैठने को बोला.. क्योंके पंखा बिलकुल बैड के ऊपर लगा हुआ था और हवा भी वहां ज्यादा लग रही थी।

वो थोड़ा सोचकर नीचे से उठकर मेरे बैड पे आकर बैठ गयी। अब उसमे और मुझमे सिर्फ एक फ़ीट का फासला था।

मैं – आपका नाम क्या है ?

वो – जी सुमरी।

मैं – मेरा नाम दीप है। क्या आप चाय या पानी लेंगे?

वो – हांजी पानी पीना है, बहुत प्यास लगी है।

मैं बैड से उठकर रसोई में गया और दो गिलास एक बोतल पानी की ले आया।

मेने दोनों गिलासों में पानी डाला और एक उसको पकड़ाया ओर दूसरा खुद पीने लग गया।

वो प्यासी होने की वजह से एक ही बार में पूरा गिलास पी गयी। जब के मेरे पास पूरा भरा गिलास अभी मेरे हाथो में था।

मैं – लो सुमरी और लो पानी।

उसने अपना गिलास फेर से भरवा लिया और फेर गटक गयी।

तब जाकर कही उसके मन को शांति मिली..

अब उसे आये हुए करीब 10 मिनट हो गए थे।

मेरे पूछने पे उसने बताया के वो राजस्थान के एक छोटे से गांव की रहने वाली है। उसके माँ बाप, भाई बहन सब वहां ही रहते है।

मैं – तो सुमरी यहाँ पंजाब में कैसे आये हो फेर ?

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