Anubhavi Raat

manju rani 2012-01-06 Comments

Anubhavi Raat

पाठको को मेरा चूत खोलकर सादर प्रणाम, मेरा नाम मंजू है, मैं यहाँ पर नयी नयी हूँ, और नही जानती की कैसे लिखा जाता है, ये बात मैं किसी से कह नही सकती पर इंटरनेट के माध्यम से मुझे अपने विचारो को खुल कर लिखने मैं ज़रा भी हिचक नही होती, क्योंकि इंटरनेट पर इंसान अपने विचारो को सही तरह से अभिव्यक्त कर सकता है और इससे गोपनीयता भी बनी रहती है, मैं यहा पर अपनी एक कहानी, दरअसल ये कोई कहानी नही, मेरे साथ हुई एक सच्ची घटना है, आपका मन करे तो विश्वास करना नही तो जैसी आपकी मर्ज़ी. पर मेरा भगवान जानता है की मेरा लिखा हुआ एक एक लफ्ज़ सच्चा है

बात उन दिनों की है जब मैं अठारह साल की थी, अपनी नटखट सहेलियों की बदौलत मैने चूत मैं उंगली करना सीख लिया था और ज़्यादातर समय मैं उंगली डालकर चूत के दाने को गोल गोल घुमाने मैं ही व्यतीत करती थी पर मुझे सेक्स का ज्ञान नही था, मैने सेक्स के बारे मैं अपनी सहेलियों से बहुत कुछ सुन रखा था पर अभी इस मामले मैं अनुभव नही था, पर मन ही मन मैं किसी शानदार जानदार लोडे से चुदना चाहती थी, जो मुझे तबीयत से चोदे और मेरी चूत जिसकी खुजली दिन रात मुझे परेशन करती रहती थी, का एक बार तो भुर्ता बना दे,जिसमे इसको फाड़ने की हिम्मत हो और मुझे मुक्ति दे सके, पर मैं क्योंकि अंतर्मुखी थी ये बात मेरे अलावा किसी को पता नही थी, और किसी के सामने बात करने मैं मुझे शर्म महसूस होती थी, बस अभी तो ख़यालो मैं ही अपने आपको उंगली से चोदती रहती थी, मैं जी भर कर चुदना चाहती थी पर हाय… किसको बताऊ ? कैसे बताऊ? लड़को से तो मुझे बात करने मैं भी डर लगता था, और लड़कियाँ मेरी ये इच्छा पूरी कर पाने मैं असमर्थ थी, मन मसोस कर रह जाती थी पर मुझे नही पता था की मेरी जिंदगी मैं एक शानदार लोडे का आगमन होने वाला है

मेरी ये हसरत भी जल्द ही पूरी हो गयी, एक बार मेरे मम्मी पापा को दो दिन के लिए मेरी सिस्टर (मेरी दूर के ताऊ की लड़की) की शादी मैं जाना पड़ गया, इकलौती होने की वजह से मुझे घर पर ही रहना पड़ा और मम्मी पापा मेरी देखभाल की ज़िम्मेदारी मेरे पड़ोस वाली आंटी के उपर छोड़ गये

दिन मैं घर की सॉफ सफाई के बाद मैं थोड़ी देर के लिए आंटी के बुलावे पर उनके घर मैं चली गयी, आंटी के पति का देहांत हो चुका था, उनका एक स्मार्ट ,सुंदर डील डौल वाला लड़का था परवीन, जिसने इसी साल कॉलेज मैं बी एस सी मैं दाखिला लिया था |

जैसे ही मैने उनके घर मैं प्रवेश किया उनका लड़का मुझे देखते ही बोला हाय मंजू, कैसी हो, इधर तुम कभी आती नही, कभी कभी इधर भी आ जाया करो, आओ बैठो ना, उसके बाद इधर उधर की बातें होने लगी, मैने इतने आकर्षक व्यक्तित्व वाला लड़का पहली बार देखा था, वो भी मेरी चुचियो की गोलाई पर कुछ ज़्यादा ही ध्यान दे रहा था, मैं मन ही मन खुश हो गयी, सोचने लगी जब शिकार ही अपने आप जाल मैं फसने को तैयार है तो फिर ज़्यादा मेहनत की ज़रूरत नही है, सोचने लगी इसको कैसे पटाया जाए,इतने मैं आंटी चाय लेकर आ गयी और कहने लगी और मंजू पढ़ाई कैसी चल रही है, मैने कहा ठीक ही चल रही है आंटी, थोड़ी देर आंटी से बतियाती रही, फिर मैने थोड़ी देर मैं कहा अच्छा आंटी अब चलती हूँ, आंटी ने कहा मंजू अगर रात मैं डर लगे तो हमारे घर पर आकर सो जाना, डरपोक तो मैं थी ही, मैने कहा ठीक है आंटी, उसके बाद मैं चली आई.

बस मुझे इसी मोके का ही तो इंतज़ार था, रात मैं आंटी के घर चली गयी, आंटी ने मुझे रात को सोने के लिए अपने गेस्ट रूम मैं ठहरा दिया, मैं लगातार परवीन के ख़यालो मैं खोई हुई थी की कब मुझे नींद आ गयी पता ही नही चला, सपने मे मैने देखा की कोई मेरी लॉन्ग स्कर्ट उपर करके पेंटी के उपर से चूत चाट रहा है और मुझे मज़ा आ रहा है, धीरे धीरे मुझे ये अहसास होने लगा की सचमुच कमरे मैं कोई है और मेरी चूत के उपर अपना मूह रखा हुआ है, मैं अंदर तक गनगना गयी, बैचनी और बेकरारी बढ़ने लगी डर के मारे मेरा बुरा हाल था, चुपके से देखा तो वा परवीन ही था, उसने चूत के अग्रभाग पर अपना मूह रख दिया था और हल्के हल्के उसे चूस भी रहा था, हाय राम अब क्या करूँ? मैं घबरा गयी, एक बार तो मन हुआ की उठकर उसको पूछू की क्या कर रहे हो ?

पर कुछ ना करते हुए सोने की एक्टिंग करने लगी की देखे इसका कितना लंबा लौड़ा है और ये कैसे चुदाई करता है, और अनमने भाव से टाँग थोड़े और फैला दी ताकि उसे चूत चाटने मैं कोई परेशानी ना हो, जब उसने मेरी तरफ से कोई विपरीत प्रतिक्रिया होते हुए नही देखी तो उसने आराम नितंब उठा करके पेंटी उतार दी , दरअसल अब वो भी समझ चुका की मैं चुदवाने के पक्के मूड मैं हूँ, उसने टांगो को और अच्छी तरह से फैला दिया और बड़े प्यार से मेरी चूत के उपर आए मटर के दाने को चारो तरफ गोल गोल अपनी मुलायम जीभ को घुमाने लगा, मुझे इतना मज़ा जिंदगी मैं पहली बार आया था मैं चुप चाप लेटी रही, और वो लेटे लेटे चूत चाटता रहा, बीच मैं कभी कभी वो निपल की भी चिकोटी काट लेता था, धीरे धीरे मुझ पर मदहोसी छाने लगी, मेरी चूत मैं झुर झुरी होने लगी, शरीर कांपने लगा, दिल ऐसे धड़कने लगा जैसे लोहार की धौकीनी हो, लग रहा था जैसे चूत की गहराई मैं काफ़ी अंदर कुछ गोल गोल घूम रहा हो, मेरी कुँवारी चूत का मक्खन पिघल पिघल कर उसके मुंह मैं गिरने लगा, पर मज़ाल की उसने एक बूँद भी नीचे गिरने दी हो, लग रहा था जनम जनम का प्यासा हो, सारा मक्खन पी गया वो, मेरी साँसे धौकनी की तरह चलने लगी, ऐसा लगा की चूत के अंदर से कुछ निकलने वाला है, मेरी गांड अपने आप उपर नीचे होने लगी, मज़ा इतना आ रहा था की बस पूछिए मत, ये जिंदगी भर मेरी चूत ऐसे ही चाट ता रहे, अपने आप ही मेरी चूत उसकी जीभ पर उपर नीचे होने लगी, मैने अपने आप को तो कई बार झाड़ा था पर चूत चटवाने का अपना ही अलग अंदाज़ है, अब मुझसे कंट्रोल नही हो रहा था मेरे दिमाग़ के फ्यूज़ उड़ चुके थे और चूत

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