Badi Mushkil Se Biwi Ko Teyar Kiya – Part 18
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राज ने रुक कर कुछ खेद पूर्वक मुझे कहा, “इसमें उपकार की क्या बात है? यदि मेरे घर में ऐसे ही नलका खराब हुआ होता और यदि मेरी पत्नी नीना मुझे उसे ठीक करने के लिए कहती तो मेरे उस नलके को ठीक करने पर क्या वह मेरा शुक्रिया करती? अनिल ने मुझे एक बार कहा था की हम दो कपल एक ही हैं। उसने कहा था की वह नीना और तुम में कोई फर्क नहीं समझता। वैसे ही मैं भी तुम में और नीना में फर्क न समझूँ। वह चाहता है की तुम और नीना भी अनिल और मुझ में कोई फर्क न समझो। अगर यह बात सही है तो फिर उपकार की कोई बात ही नहीं है। ”
मैं सोच में पड़ गई। भई इस का क्या मतलब था? क्या मैं राज को अपना पति मान लूँ? क्या अनिल भी वैसा ही सोच रहा था? क्या मेरा पति अनिल, राज की पत्नी नीना को भी अपनी पत्नी समझ ले? क्या इसका मतलब यह था की मेरे और नीना हम दोनों के दो पति थे और राज और अनिल की हम दोनों पत्नियां? क्या मेरा पति अनिल और नीना का पति राज यही प्लानिंग कर रहे थे? क्या ऐसा कह कर राज मुझे यह सन्देश देना चाहता था की उस शाम मुझे बाथरूम में से नहीं भाग जाना चाहिए था? यह सोच कर मेरा माथा ठनका।
पर मुझे ऐसा लगा की शायद यह मेरे दिमाग का कीड़ा था। हमारे पति ऐसा नहीं सोच सकते। मैं अनिल को भली भांति जानती थी। वह तो मुझ पर हमेशा मालिकाना हक़ जताता था। उनका शायद कहने का मतलब यह होगा की हम एक दूसरे से इतने करीब हो गए थे की हमारा सम्बन्ध दोस्ती से भी बढ़ कर और करीब का निजी हो चुका था जिसका नाम देना मुश्किल था। शायद इसी कारण मुझे राज को आधी रात को बुलाने में कोई परेशानी नहीं हुयी और वह आ भी गया। और नीना ने भी अपने पति को किसी और की पत्नी से अकेले में आधी रात को मिलने के लिए इजाजत दे दी। यह सोच कर मैंने अपने आपको सांत्वना दी।
मैं उस समय की बातें सोचने लगी जब हमारी शादी हुई थी। हमारी शादी के बाद का समय मेरे लिए कोई स्वर्णिम युग से कम नहीं था। उन दिनों हम दोनों खूब चुदाई करते थे। अनिल का मोटा और लंबा लन्ड शुरू शुरू में मुझे बड़ा परेशान करता था। शादी के तुरंत बाद तो मेरी चूत इतनी चुदाई की वजह से सूज जाती थी। उस वक्त मेरा पति अनिल अपने आप पर संयम रख कर मुझे ठीक होने का मौका देता था। अनिल मुझसे बहोत प्यार करता था। खैर वोह मुझे अब भी बहोत प्यार करता है। पर हमारी सेक्स लाइफ में जब मेरी बेटी गुन्नू पैदा हुई उस के बाद से थोड़ी दुरी जरूर पैदा हुई थी।
हमारी शादी के बाद से अनिल हमेशा मुझ पर मालिकाना हक़ रखता था। मुझे कोई घूर के देखे वह उसे पसंद नहीं था। वह मुझे अपनी निजी संपत्ति मानता था। यह मुझे भी अच्छा लगता था। मैं सिर्फ मेरे अनिल की बनकर रहना चाहती थी। हम दोनों ने शादी के तीन साल खूब मजे किये।
गुन्नू के जन्म के बाद से धीरे धीरे हम पति पत्नी की दूरियां थोड़ी बढ़ने लगीं। साधारणतः स्त्री की प्रसव के बाद सेक्स में रूचि कम हो ही जाती है। मेरा सिझेरिअन हुआ था। और डॉक्टरों ने शायद आपरेशन के बाद मेरी योनि के छिद्र को थोड़ा ज्यादा ही बड़ा सील दिया था। उस कारण जब अनिल ने मुझे बेटी के प्रसव के बाद पहली बार चोदा तो उसे वह पहली चुदाई के जैसा आनंद नहीं आया।
तब से अनिल सेक्स करने से बचने लगे । मैं यह समझ गयी थी, पर क्या करती? अब हमारे सक्से में वह गर्माहट नहीं थी। जब मैं तैयार होती तो अनिल पोछे हट जाते और जब वह गरम होते तो थकान के कारण मैं बहाना बना लेती। और जब हम दोनों गर्म हो जाते तो मज़ा तो आता था पर वह बात नहीं बन पाती थी। इसका हमारे वैवाहिक जीवन पर विपरीत असर होने लगा। मैं तुरंत इस बात को समझ नहीं पायी।
जब हमारे जीवन में राज और नीना आये और जब मैंने देखा की मेरा पति अनिल, राज की पत्नी नीना की और आकर्षित होने लगा था, तब धीरे धीरे मेरी समझ में आया की सेक्स की दुरी की वजह से हम पति पत्नी में वह पहले वाली बात नहीं रही थी। पर तब शायद देर हो चुकी थी। मैं मन ही मन बड़ी दुखी रहने लगी। मैं तब मेरेपति का दोष भी नहीं निकाल सकती थी। मुझे मेरे पति अनिल की शादी के पहले दी हुई हिदायत याद आयी की अगर वह किसी और औरत को चोदे तो मैं बुरा न मानूँ। मैंने भी उसे शादी से पहले ही इजाजत दे दी थी। पर अब मैं उस पर अपना हक़ जमा रही थी। मैं उसका किसी भी औरत से बंटवारा नहीं करना चाहती थी। मेरे लिए सब असह्य होता जा रहा था।
मैं अनिल के चेहरे पर परिवर्तन देख रही थी। जब नीना ने अनिल से गिफ्ट न लेकर मेरे पति को एक करारा झटका दिया था उसके बाद अनिल कुछ मुरझा सा लग रहाथा। पर उसके एकाध दो दिन के बाद वह जैसे चहकने लगा। मैंने सोचा की क्या कहीं उसने नीना को पटा तो नहीं लिया? पर मेरे पास उसका जवाब नहीं था।
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